गुजरात में कांग्रेस की भयानक हार की 10 वजह: 32 साल बाद महज 17 सीटों पर सिमटी पार्टी

कभी गुजरात में बेहद मजबूत स्थिति में रही कांग्रेस पार्टी 1995 के बाद से लगातार  विधानसभा चुनाव हार रही है। 2022 में तो कांग्रेस ने हार का नया रिकॉर्ड बना दिया है। बता दें कि कांग्रेस 32 साल पहले यानी 1990 में सबसे कम 33 सीटें जीती थी, लेकिन इस बार उसने इस रिकॉर्ड को भी तोड़ दिया और 182 सीटों वाले गुजरात में सिर्फ 17 सीटों पर सिमट गई।

Gujarat Assembly Election 2022: कभी गुजरात में बेहद मजबूत स्थिति में रही कांग्रेस पार्टी 1995 के बाद से लगातार  विधानसभा चुनाव हार रही है। 2022 में तो कांग्रेस ने हार का नया रिकॉर्ड बना दिया है। बता दें कि कांग्रेस 32 साल पहले यानी 1990 में सबसे कम 33 सीटें जीती थी, लेकिन इस बार उसने इस रिकॉर्ड को भी तोड़ दिया और 182 सीटों वाले गुजरात में सिर्फ 17 सीटों पर सिमट गई। 2017 में 77 सीटें जीतने वाली कांग्रेस को इस बार सीधे-सीधे 60 सीटों का नुकसान झेलना पड़ा है। आखिर क्या रहीं कांग्रेस की अब तक की हार की 10 सबसे बड़ी वजहें, आइए जानते हैं।  

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वजह नंबर 1 - राज्य स्तर पर मजबूत नेतृत्व की कमी 
गुजरात में कांग्रेस के पास राज्य स्तर पर अब भी मजबूत और भरोसेमंद नेताओं की कमी है। 2022 के चुनाव में भी कांग्रेस के पास एक भी ऐसा चेहरा नहीं था, जिसे आगे कर वो मजबूती के साथ गुजरात की जनता का भरोसा जीत सके। यही वजह रही कि 2017 की तुलना में कांग्रेस के वोट शेयर में भारी गिरावट देखने को मिली। पिछली बार कांग्रेस को जहां 41.4% वोट मिले थे, वहीं 2022 में उसका वोट घटकर करीब 27% रह गया।

वजह नंबर 2 - राज्य इकाई में गुटबाजी के साथ अंदरूनी कलह
राज्य में कांग्रेस पार्टी की स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी। वहां संगठन लगभग खत्म होने की कगार पर पहुंच गया है और इसकी सबसे बड़ी वजह राज्य में पार्टी के अंदर गुटबाजी और अंदरूनी कलह है। अहमद पटेल जैसे चुनावी रणनीतिकार के जाने के बाद यहां पार्टी के पास न तो सियासी जनाधार बचा है और न ही मजबूत नेता। कांग्रेस के सभी नेता पार्टी के बजाय अपनी-अपनी स्थिति मजबूत करने में लगे रहे। गुजरात कांग्रेस कई गुटों में बंटी नजर आई, जिसमें शक्ति सिंह गुट, भरत सोलंकी गुट और जगदीश ठाकोर गुट रहे।

वजह नंबर 3 - राहुल गांधी का गुजरात से दूरी बना लेना
राहुल गांधी 'भारत जोड़ो यात्रा' के चलते गैर-चुनावी राज्यों में घूमते रहे, जबकि उनकी मौजूदगी कांग्रेस को मजबूत करने के लिए गुजरात में होनी चाहिए थी। राहुल गांधी और कांग्रेस ने भले ही ये सोचकर यात्रा की हो कि इसका फायदा गुजरात चुनाव में भी मिलेगा, लेकिन गुजरात के लोगों पर कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा का कोई असर होता नहीं दिखा। यही वजह रही कि कांग्रेस को इस बार 60 सीटों का नुकसान हुआ। 


वजह नंबर 4 - 'भारत जोड़ो यात्रा' के चलते नेताओं की गुजरात से बेरुखी
राहुल गांधी के ‘भारत जोड़ो यात्रा’ में बिजी होने के चलते बाकी नेताओं ने भी कांग्रेस को पूरी तरह उसके हाल पर छोड़ दिया। कांग्रेस भले ही अपनी साख बचाने के लिए इस बात का दावा करती रही कि बीजेपी के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर (Anti-Incumbency) है और इसका फायदा उसे मिलेगा। लेकिन, जिस तरह से कांग्रेस के बड़े दिग्गज सोनिया गांधी, प्रियंका गांधी, राहुल गांधी, जयराम रमेश, केसी वेणुगोपाल, अधीर रंजन चौधरी ने गुजरात से दूरी बनाई, उसका खामियाजा पार्टी को हार के रूप में भुगतना पड़ा। 


वजह नंबर 5 - बड़े नेताओं का कांग्रेस छोड़ बीजेपी में जाना 
पिछले 10 सालों में कई कांग्रेस नेता पार्टी छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए हैं। इनमें पाटीदार समुदाय के सबसे बड़े नेता हार्दिक पटेल और कांग्रेस के 16 विधायक (2017 से 2022 के बीच) भी शामिल हैं। कभी कांग्रेस के बड़े नेता रहे अल्पेश ठाकोर ने भी बीजेपी का दामन थाम लिया। उन्होंने इस बार गांधीनगर साउथ से बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़कर जीत भी हासिल की।


वजह नंबर 6 - कांग्रेस के वोट बैंक में 'आप' की सेंध 
गुजरात में अब तक हुए विधानसभा चुनावों में मुख्य मुकाबला कांग्रेस और बीजेपी में ही होता था। लेकिन 2022 के चुनाव में आम आदमी पार्टी की एंट्री ने मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया। केजरीवाल की पार्टी भले ही गुजरात में सत्ता से काफी दूर रह गई, लेकिन उसने कांग्रेस के वोट बैंक में सेंध लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। यही वजह है कि गुजरात में कांग्रेस को जहां 27% वोट मिले, वहीं आप ने करीब 13% वोट हासिल किया है।


वजह नंबर 7 - ओवैसी की पार्टी से कांग्रेस के मुस्लिम वोट कटे
कांग्रेस को मुस्लिमों के शत-प्रतिशत वोट मिलते थे। लेकिन इस बार गुजरात में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी (AIMIM) ने भी चुनाव में हाथ आजमाया और करीब 13 सीटों पर अपने प्रत्याशी खड़े किए। इससे मुस्लिम वोट बैंक काफी हद तक औवैसी की तरफ शिफ्ट हो गया। एग्जिट पोल के मुताबिक, कांग्रेस को सिर्फ 54% मुसलमानों ने पसंद किया। वहीं, ठाकोर समुदाय ने 29%, एसटी ने 27%, एससी ने 35%, कोली ने 24% और ओबीसी वोटर्स ने 22% पसंद किया।


वजह नंबर 8 - कांग्रेस के बड़े आदिवासी नेताओं का पार्टी छोड़ना    
कांग्रेस के बड़े आदिवासी नेताओं मोहन सिंह राठवा, भगवंत बराड़, राजेन्द्र सिंह राठवा समेत दर्जनों नेताओं ने कांग्रेस छोड़ दी। इसका बड़ा नुकसान पार्टी को झेलना पड़ा है। आदिवासी क्षेत्रों में कांग्रेस का मजबूत वोट बैंक पूरी तरह छिटक गया। इसके साथ ही कांग्रेस क्षत्रिय, आदिवासी, दलित, मुस्लिम समुदाय को भी एकजुट करने में पूरी तरह नाकाम रही।  

वजह नंबर 9 - कांग्रेस के बड़े नेताओं का मोदी पर निजी हमला 
चुनाव के दौरान कांग्रेसी नेताओं की पीएम मोदी पर निजी टिप्पणी करना भी उन्हें हमेशा महंगा पड़ा है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने मोदी को 100 सिरों वाला रावण बताते हुए न सिर्फ देश के पीएम का अपमान किया बल्कि गुजरात की जनता को भी नाराज कर दिया। जोश में खड़गे ये भूल गए कि मोदी को रावण बता कर वो बीजेपी का नहीं, बल्कि अपनी ही पार्टी का नुकसान कर रहे हैं। इसी तरह कांग्रेस के मधुसूदन मिस्त्री ने कहा था- औकात दिखा देंगे। मोदी ने उनके इस बयान को हथियार बनाकर कहा था-तुम मेरी औकात मत दिखाओ। मैं तो सेवादार हूं, नौकर हूं, सेवादार की कोई औकात नहीं होती। 


वजह नंबर 10 - बड़े समुदायों के शीर्ष नेताओं को एकजुट न रख पाना
 गुजरात चुनाव में पटेल समुदाय की अहम भूमिका होती है। कांग्रेस इनको साधने में भी कामयाब नहीं हो पाई। हार्दिक पटेल (पाटीदार), अल्पेश ठाकोर (ओबीसी), भगवंत बराड़ (आदिवासी) जैसे बड़े नेताओं को एकजुट न रख पाने का सीधा नुकसान कांग्रेस को झेलना पड़ा। एक अनुमान के मुताबिक, कांग्रेस को करीब 17% लेवा पटेल, 16% कड़वा पटेल और 21% अन्य पटेलों का ही समर्थन मिला। पटेल समुदाय ने इससे ज्यादा आप को पसंद किया। 

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