मान गए महेश.. क्या गुजरात चुनाव में नयनाबा भी निभाएंगी रिश्ते या पार्टी पड़ेगी भारी 

Gujarat Assembly Election 2022: भरुच जिले की झगड़िया विधानसभा सीट गुजरात ही नहीं इस बार देशभर में चर्चा का केंद्र बनी हुई है। वजह है यहां पिता और पुत्र आमने-सामने थे, मगर बाद में बेटा महेश वसावा मान गया। 

Ashutosh Pathak | Published : Nov 18, 2022 6:01 AM IST

गांधीनगर। Gujarat Assembly Election 2022:  गुजरात विधानसभा चुनाव में कई सीट ऐसी भी है, जहां पार्टी रिश्ते पर भारी पड़ रही है। इसमें एक मामला पिता-पुत्र का था, जो भरुच जिले की झगड़िया विधानसभा सीट पर देखने को मिल रहा था। दरअसल, झगड़िया विधानसभा सीट पर गुजरात के प्रमुख आदिवासी नेता माने जाने वाले छोटू वसावा का मुकाबला उनके ही बेटे महेश से था। यह सीट गुजरात ही नहीं देशभर में चर्चा का केंद्र बनी हुई थी  

बीटीपी यानी भारतीय ट्राइबल पार्टी गुजरात का प्रमुख राजनीतिक दल है और इसके संस्थापक छोटू वसावा ने झगड़िया विधानसभा सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर पर्चा भरा है। इस सीट पर उनके बेटे महेश वसावा ने भी पर्चा भरा था और वो भी पार्टी के अधिकृत प्रत्याशी के तौर पर। रोचक बात यह है कि जिस पार्टी को छोटू वसावा ने बनाया और खड़ा किया, उसी पार्टी से इस बार उन्हें टिकट नहीं देकर उनके बेटे महेश को मिल गया। छोटू ने बेटे को टक्कर देने के लिए निर्दलीय पर्चा भर दिया।  

अंतिम दिन नाम वापस लिया महेश ने 
झगड़िया विधानसभा सीट पर छोटू सात बार से विधायक हैं। मगर पार्टी से टिकट का ऐलान होने के बाद महेश ने नामांकन भर दिया। हालांकि, छोटू के मुताबिक, उनको ऐसा लग रहा था कि भाजपा को टक्कर देने के लिए बेटा सही उम्मीदवार नहीं था। भाजपा उम्मीदवार के सामने महेश कमजोर साबित होते, ऐसे में मैं खुद बेटे को टक्कर देने के लिए खड़ा हो गया। हालांकि, छोटू ने नाम वापसी के अंतिम दिन उम्मीदवारी वापस ले ली। ऐसा उन्होंने क्यों किया, यह स्पष्ट नहीं हुआ। 

महेश ने कहा था कि नामांकन दाखिल करने का सबको अधिकार 
बहरहाल, छोटू इस बात का दावा कर रहे हैं कि भाजपा इस बार गुजरात चुनाव नहीं जीतेगी। मैं आदिवासियों के हित की  लड़ाई लड़ रहा हूं और यह अंतिम सांस तक चलती रहेगी। इसका माध्यम कोई भी हो सकता है, चुनाव या सोशल मीडिया या फिर कुछ और। मुझे इस सीट से कोई नहीं हरा सकता। वहीं, नामांकन दाखिल करने के बाद महेश ने कहा था कि इस बार पार्टी ने मुझे इस सीट पर आधिकारिक उम्मीदवार बनाया है और मैंने अपना पर्चा भर दिया है। नामांकन कोई भी दाखिल कर सकता है, मगर मैं पूरी मजबूती से चुनाव प्रचार कर रहा हूं और पार्टी के सिंबल पर चुनाव लड़कर जीत दर्ज करूंगा। हालांकि, अब पता नहीं ऐसा क्या हुआ कि छोटू ने बिना कुछ कहे चुपचाप नाम वापस ले  लिया। 

भाभी को सबसे कमजोर प्रत्याशी बताया नयनाबा ने 
गुजरात चुनाव में एक सीट और है, जो रिश्ते की वजह से भी चर्चा का केंद्र बनी हुई है। यह सीट है जामनगर उत्तर। इस सीट पर क्रिकेटर रविंद्र जडेजा की पत्नी रिवाबा को भाजपा ने मैदान में उतारा है, वहीं उनकी ननद नयनाबा, जो कि रविंद्र जडेजा की सगी बहन हैं, को कांग्रेस ने टिकट तो नहीं दिया, मगर उनके खिलाफ चुनाव प्रचार की जिम्मेदारी दे दी है। नयनाबा इसमें कोई कसर नहीं छोड़ना चाहतीं और पूरी शिद्दत से भाभी के खिलाफ प्रचार कर रही हैं। पिछले दिनों उन्होंने अपनी भाभी को सबसे कमजोर प्रत्याशी बताया। 

पहले चरण के लिए नाम वापसी की तारीख 17 नवंबर थी 
इस बार गुजरात विधानसभा चुनाव में पहले चरण के लिए नामांकन प्रक्रिया 14 नवंबर अंतिम तारीख थी। दूसरे चरण के लिए नामाकंन प्रक्रिया की अंतिम तारीख 17 नवंबर है। राज्य में पहले चरण की वोटिंग 1 दिसंबर को होगी, जबकि दूसरे चरण की वोटिंग 5 दिसंबर को होगी। वहीं, मतगणना दोनों चरणों की 8 दिसंबर को होगी और संभवत: उसी दिन देर रात तक अंतिम परिणाम जारी हो जाएंगे। पहले चरण की वोटिंग प्रक्रिया के लिए गजट नोटिफिकेशन 5 नवंबर को और दूसरे चरण की वोटिंग प्रक्रिया के लिए 10 नवंबर को जारी हुआ था। स्क्रूटनी पहले चरण के लिए 15 नवंबर को होगी, जबकि दूसरे चरण के लिए 18 नवंबर की तारीख तय है। नाम वापसी की अंतिम तारीख पहले चरण के लिए 17 नवंबर और दूसरे चरण के लिए 21 नवंबर निर्धारित की गई है। 

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