वो 5 नेता जिन्होंने बढ़ा दी BJP की टेंशन.. एक नाम जो बन सकता है सबसे बड़ा खतरा 

Gujarat Assembly Election 2022: हर्षद वसावा, मधु श्रीवास्तव, अरविंद लडानी, दिनेश पटेल और सतीश पटेल ऐसे नाम हैं, जो इस बार चुनान में अपनी ही पार्टी यानी भाजपा के लिए मुसीबत बने हुए हैं। पार्टी ने इन्हें मनाने और समझाने के लिए नेता भेजे हैं। 

Ashutosh Pathak | / Updated: Nov 15 2022, 12:58 PM IST

गांधीनगर। Gujarat Assembly Election 2022: गुजरात विधानसभा चुनाव में भाजपा ने कुल 182 में से अब तक दो बार में 166 सीट पर उम्मीदवारों के नाम का ऐलान कर दिया है। पहली बार में 160 और दूसरी बार में 6 उम्मीदवारों के नाम वाली सूची जारी करने के बाद भाजपा की टेंशन बढ़ गई है। लिस्ट में अपना नाम नहीं देखकर बहुत से नेता नाराज हैं, जिन्हें मनाने के लिए पार्टी ने सात नेताओं को कमान सौंपी है। कई नेता मान रहे हैं और कुछ ऐसे भी जो अपने फैसले पर अडिग हैं और टस से मस नहीं हो रहे। 

इस बार गुजरात विधानसभा चुनाव में पहले चरण की वोटिंग प्रक्रिया के लिए गजट नोटिफिकेशन 5 नवंबर को और दूसरे चरण की वोटिंग प्रक्रिया के लिए 10 नवंबर को जारी हो चुका है। स्क्रूटनी पहले चरण के लिए 15 नवंबर को होनी है। वहीं, दूसरे चरण के लिए 18 नवंबर की तारीख तय है। नाम वापसी की अंतिम तारीख पहले चरण के लिए 17 नवंबर और दूसरे चरण के लिए 21 नवंबर निर्धारित की गई है। पहले चरण के लिए नामांकन प्रक्रिया 14 नवंबर अंतिम तारीख थी, जबकि दूसरे चरण के लिए नामाकंन प्रक्रिया की अंतिम तारीख 17 नवंबर होगी। राज्य में पहले चरण की वोटिंग 1 दिसंबर को होगी, जबकि दूसरे चरण की वोटिंग 5 दिसंबर को होगी। वहीं, मतगणना दोनों चरणों की 8 दिसंबर को होगी और संभवत: उसी दिन देर रात तक अंतिम परिणाम जारी हो जाएंगे। 

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हर्षद ने इस्तीफा देकर निर्दलीय पर्चा भरा 
इनमें एक हैं हर्षद वसावा और सीट है नंदोड़। यह आदिवासी सीट है और वसावा भाजपा के टिकट पर 2002 और 2007 में विधायक चुने गए थे। इसके बाद लड़े, मगर जीते नहीं। पिछले विधानसभा चुनाव में यह सीट कांग्रेस के पास चली गई। पार्टी ने इन्हें गुजरात में भाजपा अनुसूचित जनजाति मोर्चा का अध्यक्ष भी बनाया हुआ है, मगर इस बार इनकी जगह डॉक्टर दर्शन देखमुख को टिकट दिया है। ऐसे में हर्षद भाजपा से नाराज हो गए। उन्होंने अनुसूचिज जनजाति मोर्चा के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया और निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर नांदोड़ सीट पर नामांकन दाखिल कर दिया। वसावा की मानें तो यहां दो तरह की भाजपा है। एक असली और दूसरी नकली। जो नकली हैं और पार्टी के पुराने प्रतिबद्ध कार्यकर्ताओं को किनारे लगा रहे हैं, उन्हें इस बार एक्सपोज करेंगे। 

भाजपा के खिलाफ ताल ठोंक रहे मधु 
अमूमन यही स्थिति वडोदरा की है, जहां वाघोडिया विधानसभा सीट पर पार्टी ने छह बार से मौजूदा बाहुबली कद्दावर विधायक मधु श्रीवास्तव का टिकट काट दिया है। पार्टी ने इस बार वाघोडिया सीट पर अश्विनी पटेल को टिकट दिया है। मधु ने इससे नाराज होकर पार्टी को अपना इस्तीफा भेज दिया और कहा कि वे निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे और भाजपा के खिलाफ ताल ठोकेंगे। 

दीनू मामा भी भाजपा को चुनौती देंगे 
यही हाल वडोदरा जिले की पादरा सीट का है। पार्टी ने यहां पर पूर्व विधायक और कद्दावर नेता माने जाने वाले दिनेश पटेल को टिकट नहीं दिया। इससे नाराज लोगों के बीच दीनू मामा के  नाम से मशहूर यह नेता निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर भाजपा को ही चुनौती देने का मन बना चुका है। दरअसल, इस सीट पर अभी कांग्रेस का कब्जा है और भाजपा ने यहां से इस बार चैतन्य सिंह झाला को मैदान में उतारा है। 

लडानी भी भाजपा से नाराज 
भाजपा के लिए दो और बड़े नेता अभी मुसीब का सबब बने हुए हैं। इनमें जूनागढ़ की केशोद विधानसभा सीट से पूर्व एमएलए अरविंद लडानी का नाम भी शामिल है। पार्टी ने इस सीट से लडानी को टिकट नहीं देकर मौजूदा विधायक देवभाई मालम पर ही दोबारा दांव खेला है, जिससे अरविंद नाराज हैं और निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर मैदान में आ गए हैं। 

सतीश को अक्षय पसंद नहीं 
इसके अलावा, करजन विधानसभा सीट पर भाजपा के ही पूर्व विधायक सतीश पटेल भी पार्टी के लिए मुसीब बने हुए हैं। यहां से भी भारतीय जनता पार्टी ने इस बार अक्षय पटेल को ही दोबारा मौका दिया है। अक्षय मौजूदा विधायक हैं और पार्टी को लगता है कि इस बार भी वे सीट निकाल  लेंगे। मगर सतीश को ऐसा नहीं लगता और वे खुद के लिए टिकट चाहते थे। पार्टी ने मौका नहीं दिया तो वे निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर किस्मत आजमा रहे हैं। वैसे, भाजपा इन सभी को समझाने और मनाने में जुटी है। डैमेज कंट्रोल के लिए सात नेताओं की टीम भी बनी है। मगर देखना होगा कि कौन मानता है और कौन लड़ता है। 

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