इन 522 बेटियों के सिर से पिता का साया उठ गया था, शादी में पिता बनकर पहुंचे पीएम मोदी...

गुजरात में शादियों में होनेवाले खर्च के बारे में प्रधानमंत्री ने कहा कि गुजरात ने समूह विवाह को स्वीकार किया है। पहले चढ़ाउपरी में तथा समाज में रुआब के लिए कर्ज करके भी लोग शादी का शानदार समारोह करते थे। शादियां कर्ज के पहाड़ होने की प्रतियोगिता भी होती थी। समाज धीरे-धीरे जागृत हुआ।

PM Modi in Papa ki Pari:  गुजरात विधानसभा चुनाव के ऐलान के बाद प्रचार करने पहुंचे पीएम मोदी ने रैली का शुभारंभ आदिवासी क्षेत्र वलसाड़ से किया। रैली के बाद प्रधानमंत्री भावनगर में हीरा उद्योग से जुड़े लाखानी परिवार द्वारा आयोजित सामूहिक विवाह समारोह में पहुंचे। यहां पिताविहीन 552 बेटियों के विवाहोत्सव ‘पापा की परी’ में हिस्सा लिया। पीएम मोदी ने उपस्थित लोगों को कई संकल्प कराए और अपील किया कि सामूहिक विवाह समारोहों में समूह भोजन की व्यवस्था बंद किया जाना चाहिए। इसके पहले प्रधानमंत्री मोदी ने भावनगर में रोड शो भी किया।

गुजरातियों में ही है ऐसा संस्कार

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पीएम मोदी, भावनगर में रोड शो के बाद 552 बेटियों के विवाहोत्सव ‘पापा की परी’ में पहुंचे। यह आयोजन राज्य के प्रमुख हीरा उद्योगपति लाखानी परिवार की ओर से किया गया था। पीएम ने कहा कि लाखानी परिवार के कारण इस समारोह में शामिल होने का मौका मिला हैं। समाज के भक्ति और भक्ति भाव न हो तो इस प्रकार का काम नहीं हो सकता। मैं लाखानी परिवार के पूर्वजों को नमन करता हूं जिन्होंने तुम्हें ये संस्कार दिए हैं। धन तो बहुत लोगों के पास होता है। परन्तु यहां धन के साथ मन भी है। मन हो तो ही मंडप तक जा सकते है। यहां समाज के लिए कुछ करने की भावना है।

एक साल से तैयारी में जुटा था लाखानी परिवार

पीएम ने लाखानी परिवार की प्रशंसा करते हुए कहा कि विवाह तो आज है परन्तु लाखानी परिवार इस कार्य में एक वर्ष से तैयारी कर रहा था। बीते छह महीने पहले मुझे आमंत्रित करने के लिए पूरा परिवार आया था। परिवार की आंखों में बेटियों के लिए स्नेह था। परिवार ने एक-एक बेटी के बारे में मुझे जानकारी दी थी। पूरा परिवार भाव विभोर है। यह कोई छोटी घटना नहीं है। इसमें संस्कार, सद्भाव और समाज के लिए श्रद्धा है।

समूह विवाह को प्रोत्साहित करें, समूह भोज बंद करें

गुजरात में शादियों में होनेवाले खर्च के बारे में प्रधानमंत्री ने कहा कि गुजरात ने समूह विवाह को स्वीकार किया है। पहले चढ़ाउपरी में तथा समाज में रुआब के लिए कर्ज करके भी लोग शादी का शानदार समारोह करते थे। शादियां कर्ज के पहाड़ होने की प्रतियोगिता भी होती थी। समाज धीरे-धीरे जागृत हुआ। समूह विवाह की शुरुआत हुई परन्तु समूह विवाह के बाद भी मन में विचार आये कि जाति के लिए तो कुछ करना ही है। उन्हें भोजन कराने के विचार से ही परेशानी की शुरुआत होती हैं। इसलिए घर जाने के बाद अन्य बाबतों पर विचारहीन करें। कर्ज में न डूबें। रूपये हैं तो अच्छे काम में लगाएं। बच्चों के भविष्य के लिए काम आयेंगे। रविवार को संपन्न हुए इस समारोह में प्रधानमंत्री के अलावा भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सी.आर.पाटिल सहित अन्य पदाधिकारी भी उपस्थित थे।

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