यूक्रेन-रूस जंग का हिमाचल चुनाव पर बड़ा असर, जानिए किस पार्टी के लिए मुसीबत बनेगी पुतिन-जेलेंस्की की दुश्मनी

Himachal Pradesh Assembly Election 2022: रूस और यूक्रेन के बीच चल रही जंग का असर हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव पर भी पड़ सकता है। यहां 10 नवंबर को मतदान होना है, जबकि 8 दिसंबर को मतगणना होगी। 

शिमला। Himachal Pradesh Assembly Election 2022: हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में इस बार भाजपा और कांग्रेस के साथ-साथ आम आदमी पार्टी भी ताल ठोंक रही है। सभी अपने-अपने स्तर पर तैयारियों में जुटे हैं और जीत के दावे कर रहे हैं। कांग्रेस सत्ता में वापसी करना चाहती है, जबकि भाजपा सत्ता में बने रहना चाहती है। वहीं, आम आदमी पार्टी भी पहली बार जीत का स्वाद लेने की कोशिश में है। भाजपा और कांग्रेस के लिए बागी मुसीबत का सबब बने हुए हैं, मगर भाजपा के लिए एक और चीज जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से मुसीबत बन सकती है, वो है यूक्रेन और रूस के बीच चल रही जंग। 

दरअसल, इस युद्ध का असर हिमाचल चुनाव पर सीधे पड़ता दिख रहा है और इसके लिए सबसे पहले राज्य के उस क्षेत्र को जानना बेहद जरूरी है, जिससे बद्दी कहते हैं। यह क्षेत्र देश ही पूरे एशिया में फॉर्मास्यूटिकल हब कहा जाता है। हिमाचल प्रदेश को सबसे अधिक रेवेन्यू इसी क्षेत्र से मिलता है। रोजगार में भी यह राज्य का सबसे अहम हिस्सा माना जाता है। मगर यहां महंगाई का असर काफी ज्यादा है और जो व्यवसायी और कारोबारी हैं, वे इसके लिए पुतिन और जेलेंस्की की दुश्मनी और इसकी वजह से जारी युद्ध को बड़ी वजह बता रहे हैं। 

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यूरोप में ऊर्जा संकट बढ़ा और कारोबार पर असर बद्दी में हुआ 

कारोबारियों की मानें तो देश में महंगाई और यूक्रेन-रूस के बीच जारी जंग से काफी असर पड़ा है। इस युद्ध की वजह से यूरोप में ऊर्जा संकट बढ़ा है और इससे यूरोप से ऑर्डर आना लगभग बंद हो गए हैं। ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए यूरोप कपड़े जैसी चीजों पर पैसा नहीं के बराबर खर्च कर रहा है। युद्ध ने इस क्षेत्र से होने वाले पूरे कारोबार को ठप कर रखा है। हालांकि, जंग के अलावा भी कारोबारियों को कई मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। 

28 किमी का रेलवे ट्रैक नहीं बना पाई सरकार 

मुसीबतों में एक रेलवे ट्रैक भी शामिल है, जिसमें चंड़ीगढ़ को जोड़ने वाला रेलवे रूट है। यह ट्रैक करीब 28 किलोमीटर का है और जिन दो राज्यों से इसे होकर गुजरना है, वह हरियाणा और हिमाचल प्रदेश है और दोनों ही जगह भाजपा की सरकार है, मगर इस काम को पूरा नहीं कराया गया। यही नहीं, समय बढ़ने की वजह से इसकी लागत भी बढ़ रही है और यह प्रोजेक्ट अब 1770 करोड़ रुपए तक पहुंच चुका है। 

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