पंजाब चुनाव: अमृतसर में कांग्रेस को बड़ा झटका, मेयर कर्मजीत सिंह ने AAP जॉइन की, टिकट नहीं मिलने से नाराज थे

कर्मजीत सिंह रिंटू अमृतसर नॉर्थ का बड़ा चेहरा हैं। 2012 के चुनाव में कर्मजीत सिंह रिंटू को अमृतसर नॉर्थ से अनिल जोशी के खिलाफ टिकट दिया गया था। लेकिन, तब अनिल जोशी ने मेयर रिंटू को हरा दिया था। बाद में जोशी को इनाम के तौर पर मंत्री पद मिला था।

अमृतसर। पंजाब चुनाव में वोटिंग से 4 दिन पहले सत्ताधारी पार्टी कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है। अमृतसर के मेयर कर्मजीत सिंह रिंटू ( Karmjit Singh Rintu) ने कांग्रेस छोड़ दी है और आम आदमी पार्टी जॉइन कर ली है। आप संयोजक अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) और पंजाब में आप के सीएम फेस भगवंत मान (Bhagwant Mann) ने रिंटू को पार्टी में शामिल कराया है। अमृतसर में वोटिंग से पहले मेयर का AAP में शामिल होना कांग्रेस (Congress) के लिए बड़ा नुकसान माना जा रहा है।

मेयर रिंटू पिछले कुछ दिनों से कांग्रेस पार्टी से नाराज चल रहे थे। अमृतसर से टिकट नहीं मिलने पर उन्होंने चुनाव प्रचार से दूरी बना ली थी और खुद को सीमित कर लिया था। अब तक वह चुनाव प्रचार पर भी नहीं निकले थे। लेकिन, किसी ने सोचा नहीं था कि वह कांग्रेस को इतना बड़ा झटका दे देंगे।

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अमृतसर नॉर्थ से मांग रहे थे टिकट, पार्टी ने दो बार नहीं दिया
कर्मजीत सिंह रिंटू अमृतसर नॉर्थ का बड़ा चेहरा हैं। 2012 के चुनाव में कर्मजीत सिंह रिंटू को अमृतसर नॉर्थ से अनिल जोशी के खिलाफ टिकट दिया गया था। लेकिन, तब अनिल जोशी ने मेयर रिंटू को हरा दिया था। बाद में जोशी को इनाम के तौर पर मंत्री पद मिला था। 2017 में रिंटू ने फिर नॉर्थ से टिकट मांगा। लेकिन, पार्टी ने उन्हें मना कर दिया था और सुनील दत्ती को टिकट दे दिया था। अब 2022 के चुनावों में भी रिंटू ने अमृतसर नॉर्थ से टिकट मांगा था। इस बार भी पार्टी ने उन्हें टिकट देने से मना कर दिया। जिसके बाद से ही रिंटू ने कांग्रेस के उलट चलने का मन बना लिया था। टिकट घोषित होने के बाद से ही रिंटू ने खुद को सीमित कर लिया था।

सीट छोड़ने के लिए रिंटू को बनाया था मेयर
रिंटू को 2017 के चुनावों में अमृतसर नॉर्थ सीट छोड़ने के लिए ही कैप्टन अमरिंदर सिंह ने अमृतसर मेयर का पद दिया था। इस साल 2022 में उन्हें टिकट मिलना लगभग तय था, लेकिन कैप्टन अमरिंदर सिंह और नवजोत सिंह सिद्धू के बीच पैदा हुई कलह के बाद हालात फिर बदल गए। कैप्टन के करीबी होने के कारण सिद्धू के साथ उनके कुछ खास संबंध नहीं थे।

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