पंजाब चुनाव से पहले CM चन्नी असरदार, सिद्धू को दिया एक और झटका, BSP से आए कोटली का टिकट अपने करीबी KP को थमाया

जानकार मानते हैं कि इस वक्त पंजाब में कांग्रेस का असरदार सरदार एक ही है, वह हैं- चरणजीत सिंह चन्नी। आदमपुर सीट जालंधर जिले की सुरक्षित सीट है। यहां से अकाली दल से पवन कुमार टीनू दो बार विधायक रह चुके हैं। नवजोत सिंह सिद्धू की कोशिश थी कि इस सीट को इस बार कांग्रेस उम्मीदवार जीते। 

Asianet News Hindi | Published : Feb 1, 2022 7:32 AM IST

मनोज ठाकुर, चंडीगढ़। पंजाब चुनाव (Punjab Election 2022) से पहले सीएम चरणजीत सिंह चन्नी (CM Charanjit Singh Channi) असरदार होते जा रहे हैं। मंगलवार को उन्होंने कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) को ने एक और झटका दिया। ये झटका जोरदार तरीके से लगा है। क्योंकि नामांकन के ऐन वक्त सिद्धू के खास सुखविंदर सिंह कोटली (Sukhwinder singh Kotli) से कांग्रेस ने टिकट वापस ले लिया। अब ये टिकट सीएम चरणजीत सिंह चन्नी के रिश्तेदार और पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष मोहिंदर सिंह केपी (Mohinder Singh Kaypee) को दे दिया गया है। बता दें कि कोटली बसपा में महासचिव थे और उन्हें सिद्धू कांग्रेस (Congress) में लेकर आए थे। आदमपुर सीट (Adampur Seat) से उन्हें कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार बनाया था। लेकिन, अब उनका पत्ता साफ हो गया है।

जानकार मानते हैं कि इस वक्त पंजाब में कांग्रेस का असरदार सरदार एक ही है, वह हैं- चरणजीत सिंह चन्नी। आदमपुर सीट जालंधर जिले की सुरक्षित सीट है। यहां से अकाली दल से पवन कुमार टीनू दो बार विधायक रह चुके हैं। नवजोत सिंह सिद्धू की कोशिश थी कि इस सीट को इस बार कांग्रेस उम्मीदवार जीते। ये इलाका शुरू से बसपा के दबदबे वाला रहा है। तभी बसपा का जब अकाली दल के साथ गठबंधन हुआ तो नवजोत सिंह सिद्धू ने बसपा के महासचिव सुखविंदर सिंह कोटली को कांग्रेस जॉइन कराई। इसके पीछे सोच थी कि इस सीट पर कांग्रेस मजबूत होगी। लेकिन कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष मोहिंदर सिंह केपी लगातार पार्टी के निर्णय का विरोध कर रहे थे। 

अचानक टिकट काटे जाने से हो सकता है नुकसान
पार्टी ने उनकी नाराजगी को नजरअंदाज तो कर दिया था, लेकिन अब जिस तरह से सिद्धू पंजाब में खुद फंसते नजर आ रहे हैं तो अब पार्टी के रणनीति सिद्धू के वह निर्णय भी पलट रहे हैं, जिससे पार्टी को नुकसान होता देख रहा है। यह भी एक कारण है कि कोटली का टिकट काटकर केपी को दिया गया है। हालांकि जानकार यह भी मान रहे हैं कि कांग्रेस का यह निर्णय सही नहीं है। इससे अब सीधे तौर पर विपक्ष खासतौर पर अकाल दल को फायदा होगा। क्योंकि बसपा और अकाली दल का गठबंधन है। इस सीट पर अकाली दल की अच्छी पकड़ है। अब अचानक टिकट बदलने से निश्चित ही कांग्रेस को धक्का लग सकता है। विपख खासतौर पर अकाली बसपा गठबंधन इसका लाभ उठाने की कोशिश कर सकता है। 

सिद्धू को लगा है बड़ा झटका
लेकिन, जानकार यह भी बता रहे हैं कि अब कांग्रेस में यह संदेश चला गया कि सिद्धू की जगह चरणजीत सिंह चन्नी को तवज्जो मिल रही है। क्योंकि जिस तरह से कोटली का टिकट कटा, यह सिद्धू के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। अभी चरणजीत सिंह चन्नी को पार्टी ने दो जगह से टिकट दिया है। इसे भी इस तरह से देखा जा रहा है कि कांग्रेस चन्नी पर बड़ा दांव खेलने की तैयारी में हैं। 

सीएम बनने की रेस में पिछड़ते जा रहे हैं सिद्धू
पंजाब कांग्रेस में सीएम पद को लेकर खींचतान काफी लंबी चल रही है। कैप्टन के सीएम पद से हटने के बाद भी यह विवाद खत्म होता दिखाई दे रहा है। क्योंकि सिद्धू खुद सीएम बनना चाहते हैं। इस कोशिश में लगाता कामयाब भी होते जा रहे थे। यह सिद्धू का प्रेशर ही है कि अभी तक पंजाब में कांग्रेस ने सीएम चेहरे की घोषणा नहीं की थी। टिकट बंटने से लेकर किसे कहां से टिकट दिया जाएगा, इसमें भी सिद्धू की चली। लेकिन बिक्रम सिंह मजीठिया प्रकरण के बाद सिद्धू पार्टी में अपनी पकड़ तेजी से खोते नजर आ रहे हैं। यह कई दिनों के घटनाक्रम से देखा भी जा रहा है। 

तो घट रहा है सिद्धू का कद
लेकिन, कोटली वाला झटका सिद्धू के लिए बहुत बड़ा माना जा रहा है। इससे सीधे सीधे सिद्धू के फैसले को बदलने के तरीके से देखा जा रहा है। क्योंकि अभी तक पंजाब कांग्रेस में सिद्धू ने जो बोल दिया, वही फाइनल था, लेकिन अब जिस तरह से उनके लाए गए नेता का टिकट बदल जाना उन्हें साफ संदेश है। 

पांच से छह सीटों पर चल रहा है मंथन
मोहिंदर केपी दो बार के सांसद हैं। वह आदमपुर से टिकट मांग रहे थे। चरणजीत सिंह चन्नी के साथ उनकी रिश्तेदारी है। इसलिए भी यह माना जा रहा है कि चन्नी की बात को अब कांग्रेस में पूरी पावर मिल गई है। इसलिए टिकट का यह फेरबदल हुआ है। कांग्रेस के सूत्रों के मुताबिक कम से कम पांच से छह सीटों पर भी पार्टी मंथन कर रही है। इन टिकटों के बारे में भी पार्टी सोच रही है कि क्या किया जा सकता है। तेजी से बदले घटनाक्रम में पंजाब कांग्रेस में कुछ और उठा-पटक हो सकती है।

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