'गुरु' की यह कौन सी सियासत : सिद्धू और कुंवर विजय प्रताप सिंह की नान पॉलिटिकल मिटिंग के पॉलिटिकल मायने क्या?

सिद्धू अमृतसर में आयोजित एक कार्यक्रम में न सिर्फ शामिल हुए बल्कि आम आदमी पार्टी के कुंवर विजय प्रताप सिंह से काफी देर तक गुफ्तगू करते रहे। कार्यक्रम था, पंथक तालमेल संगठन की ओर से पंजाब वातावरण चेतना लहर का।

मनोज ठाकुर, अमृतसर : पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) के बारे में अमृतसर (Amritsar) के स्थानीय पत्रकार अनुज शर्मा एक टिप्पणी करते हैं, वह कब क्या कर जाए, यह सिद्धू खुद भी नहीं जानते। इसलिए उनके बारे में अनुमान लगाना आसान नहीं है। अनुज की यह टिप्पणी काफी मायने रखती है। क्योंकि सिद्धू हैं ही ऐसा। वह जो भी करते हैं, पूरे जोश, उत्साह, लगन और ऐलान के साथ। तभी तो अब जबकि पंजाब कांग्रेस में सीएम चेहरे की घोषणा की बात चल रही है। सिद्धू पार्टी में कभी हाशिए पर तो कभी खास बनते नजर आ रहे हैं। 

कुंवर विजय प्रताप सिंह से मुलाकात
इस सब के बीच एक नया वाकया भी सामने आया। सिद्धू अमृतसर में आयोजित एक कार्यक्रम में न सिर्फ शामिल हुए बल्कि आम आदमी पार्टी (AAP) के कुंवर विजय प्रताप सिंह (Kunwar Vijay Pratap Singh) से काफी देर तक गुफ्तगू करते रहे। कार्यक्रम था, पंथक तालमेल संगठन की ओर से पंजाब वातावरण चेतना लहर का। पर्यावरण को लेकर आयोजित इस कार्यक्रम में पंजाब के पर्यावरणविद संत सीचेवाल भी मौजूद थे। अमृतसर के उत्तरी हल्के में संत सिंह सुखा सिंह स्कूल में अकाल पुरख की फौज की ओर से पर्यावरण जागरूकता के लिए हर साल यह समारोह कराया जाता है। 

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घुमाफिरा के बातें करते  हैं सिद्धू
सीधी बात की बजाय भारी शब्दों के साथ घुमाफिरा कर बात करने वाले सिद्धू इस कला के माहिर खिलाड़ी हैं। अब भले ही कार्यक्रम वातावरण जागरूकता का था। वातावरण बचाने की बात करते हुए सिद्धू ने सियासी प्रदूषण मुक्ति के उपाय भी सुझाए। मंच से बोलते हुए उन्होंने दावा किया कि यदि पंजाब को ईमानदार सीएम मिल जाए तो राज्य छह माह में ठीक हो सकता है। इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल स्टडी मोहाली के डिपार्टमेंट हेड डॉ. हरदेव सिंह का मानना है कि सिद्धू ने यह बात यूं ही कार्यक्रम में नहीं बोली। इसके पीछे उन्होंने बड़ा संदेश देने की कोशिश की है। 

कहीं पार्टी हाईकमान को कोई मैसेज तो नहीं
डॉ. हरदेव सिंह कहते हैं कि शनिवार देर रात पंजाब के सीएम चरणजीत सिंह चन्नी (Charanjit Singh Channi) के रिश्तेदार को ईडी ने गिरफ्तार किया। रविवार को यह कार्यक्रम आयोजित हुआ। जिसमें सिद्धू बोल रहे थे। उन्होंने संबोधित तो पर्यावरण प्रेमियों के कार्यक्रम को किया, संदेश पंजाब के मतदाता, पार्टी आलाकामन और रणनीतिकारों को दिया है। सिद्धू कांग्रेस (Congress) को आगाह करते नजरआए। यह उनके राजनीति का तरीका है। जब भी उन्हें अपनी बात मनवानी होती है, वह सीधे बात नहीं रखते। घुमाफिरा कर भारी शब्दों का इस्तेमाल करते हुए अपनी बात रखते हैं। 

सीएम के चेहरे की चर्चा के बीच ऐसा क्यों
चूंकि पंजाब कांग्रेस में सीएम चेहरे की बात चल रही है। पंजाब में यह माना जा रहा है कि चरणजीत सिंह चन्नी ही सीएम फेस हो सकते हैं। सिद्धू भी इस तथ्य से वाकिफ हैं। पर अभी चूंकि घोषणा बाकी है। इसका फायदा कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष उठाना चाह रहे हैं। वह चंद शब्द बोल कर चन्नी के रिश्तेदार की गिरफ्तारी के बाद पैदा हुए हालात पर पार्टी का ध्यान आकर्षित करना चाह रहे हैं। वह चन्नी की ईमानदारी पर सवाल उठा रहे हैं। इसके साथ ही स्पष्ट संदेश दे रहे हैं, चुप नहीं बैठेंगे। 

पंजाब मॉडल और विजन को पेश करने की कोशिश
नवजोत सिंह सिद्धू ने पंजाब के पर्यावरण को कैसे बचाया जाए? पंजाब को समृद्ध कैसे बनाया जाए? इस पर लगातार पांच साल से आवाज उठा रहे हैं। अगर अब मुख्यमंत्री की कुर्सी पर कोई अच्छा राजनेता नहीं बैठे तो पंजाब की स्थिति फिर से वही होगी। उन्होंने बातों बातों में अपने पंजाब मॉडल की बात रखी। जिसमें वह दावा करते हैं कि कैसे पंजाब को समृद्ध किया जा सकता है? क्योंकि वह खुद का ईमानदार नेता के तौर पर पेश करते हैं। दावा करते हैं कि उन पर भ्रष्टाचार का कोई आरोप नहीं है। 

खुद की मार्केटिंग करना जानते हैं सिद्धू
सिद्धू को पता है उन्हें अपनी मार्केटिंग खुद करनी है। अभी मौका उनके पास है। कांग्रेस की कमजोरी को वह अच्छे से जानते हैं। पता है, पार्टी उन्हें नाराज नहीं कर सकती। लेकिन यह भी पता है कि वह पार्टी में सीएम चेहरे की पसंद नहीं है। इसलिए आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार कुंवर विजय प्रताप सिंह के साथ देर तक बातचीत भी करते रहे। पंजाब की राजनीति कवर करने वाले सीनियर पत्रकार बलविंदर सिंह ने बताया 2017 के चुनाव में एक वक्त आया था, जब कैप्टन अमरिंदर सिंह (Amarinder Singh) को कांग्रेस सीएम चेहरा नहीं बनाना चाह रही थी, तब कैप्टन ने भाजपा (BJP) के साथ नजदीकी बनानी शुरू कर दी थी। नेता इस तरह की मीटिंग में अपनी पार्टी को यह बताने की कोशिश करते हैं कि उसके पास यह विकल्प है। सिद्धू भी अपनी पार्टी को ऐसा ही कुछ संदेश देने की कोशिश कर नजर आ रहे हैं।  जिस तरह के हालात से सिद्धू दो चार हैं, अब उनके पास ज्यादा विकल्प भी नहीं है। जो उनके पास है, वह उसका बेहतर इस्तेमाल करने की कोशिश में हैं। इसलिए रविवार को अमृतसर का कार्यक्रम सिद्धू के लिहाज से खासा सियासी मायने वाला हो सकता है। 

तो क्या सिद्धू बगावत कर सकते हैं? 
जी बिल्कुल, इस सवाल पर बलविंदर तुरंत हां कर देते हैं। वह उदाहरण गिनवाते हैं, कैसे सिद्धू ने भाजपा के साथ बगावत की। कांग्रेस में आए। सीएम पद पर रहते हुए कैप्टन को घेरा। पद से किस तरह से हटवाया। यह सब उनका काम करने का तरीका है। सिद्धू को यह भी पता है कि बागी तेवर, अड़ियल रवैया, बेबाकी और हमलावर ही उसकी ताकत है। उसकी राजनीति इस पर ही चल रही है। उन्हें पता है, इस वक्त अपनी ताकत को दिखाने का वक्त है। यदि चूक गए तो फिर पता नहीं यह मौका कब मिलेगा। यूं भी सिद्धू जल्दबाजी में रहते हैं। इसलिए रविवार को जो घटनाक्रम अमृतसर में हुआ, सिद्धू को जानने और समझने वालों का पता है वह क्या कर सकते हैं? क्या कहना चाह रहे हैं?

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