विधानसभा चुनाव में पंजाब कांग्रेस की तरफ से चरणजीत सिंह को सीएम फेस घोषित किया है। चन्नी सिटिंग सीएम हैं। एशियानेट न्यूज हिंदी ने पहले ही बता दिया था कि चन्नी सीएम फेस होंगे। आज राहुल गांधी ने इसकी घोषणा कर दी।
मनोज ठाकुर, लुधियाना। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने लुधियाना के दाखा में वर्चुअल रैली को संबोधित किया और चरणजीत सिंह चन्नी को पंजाब में सीएम फेस उम्मीदवार घोषित किया। सिद्धू पहली बार नहीं, दूसरी बार सीएम की रेस से पिछड़ गए। एक मौका तब आया था, जब कैप्टन अमरिंदर को सीएम पद से हटाया जा रहा था। एक मौका अब आया, जब कांग्रेस ने तय किया है कि पंजाब में सीएम फेस कौन होना चाहिए?
सिद्धू ने दोनों बार कड़ी मेहतन की। खुद दांव लगाया। ताकत लगाई। लेकिन वह फिर भी पिछड़ गए। क्यों? जानकार बताते हैं कि अचानक ही सिद्धू नहीं पिछड़े, इसकी वजह रही। कैप्टन के सीएम पद से हटने से पहले सिद्धू ने बगावत की थी। तब उन्हें कांग्रेस का प्रदेश अध्यक्ष बना दिया गया था। सिद्धू को लगा कि अब वह कैप्टन को ओवरटेक कर ही लेंगे। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। कैप्टन से उनकी पटरी नहीं बैठी।
यह भी पढ़ें- पंजाब चुनाव: राहुल के सामने चन्नी बोले- स्टेज चलाने और स्टेट चलाने में फर्क, मान के साथ सिद्धू पर भी निशाना?
सीएम की रेस से पिछड़ने लगे तो रिजाइन तक कर दिया
कैप्टन पर वह भारी नहीं पड़ सके। तब सिद्धू ने एक बार फिर से कैप्टन पर हमला बोलना शुरू कर दिया। नौबत सीएम बदलने की आ गई। कैप्टन हटे। सिद्धू को लगा कि अब वह सीएम बन जाएगे। यहां उन्होंने मेहनत की। खूब तर्क दिए। लेकिन कांग्रेस ने तब सिद्धू को बताया कि क्योंकि वह प्रदेश अध्यक्ष हैं, इसलिए सीएम पद पर नहीं बिठाया जा सकता। यही वह क्षण था, जब सिद्धू के हाथ से सीएम पद आते-आते छिटक गया। सिद्धू तब फिर से आक्रमक हो गए। उन्होंने चन्नी पर भी सवाल उठाना शुरू कर दिया। कई नियुक्तियों पर सवाल उठाए और प्रदेश अध्यक्ष पद से रिजाइन तक कर दिया। यह रिजाइन कई दिन तक यूं ही पड़ा रहा।
सिद्धू के रवैये से हाइकमान भी टेंशन में रहता
तब कांग्रेस ने तय कर लिया था कि यदि सिद्धू स्वयं अपना इस्तीफा वापस नहीं लेंगे तो इसे स्वीकार कर लिया जाएगा। सिद्धू ने रिजाइन वापस ले लिया। यह दूसरा मौका रहा, जब सिद्धू के व्यवहार के बारे में पार्टी आलाकमान को चिंता में डाल दिया। उन्हें समझ में आने लगा कि सिद्धू को यदि फुल पावर दे दी गई तो वह दिक्कत पैदा कर देंगे। क्योंकि वह एक नेता की तरह नहीं सोचते। वह सभी को साथ लेकर नहीं चल पाते। वह अपनी बात पर अड़ जाते हैं। यह तीसरा मौका था, जब सिद्धू की छवि पार्टी में कमजोर हुई।
यह भी पढ़ें- पंजाब चुनाव: सिद्धू बोले- मैं सूरज हूं, अंधेरा चीर के उग जाऊंगा, सीएम फेस को लेकर चन्नी की तरफ इशारा
मगर सिद्धू ने सीएम पद के लिए प्रयास नहीं छोड़ा
चुनाव की घोषणा होते ही चौथे प्रयास में उन्होंने पंजाब मॉडल नाम से एक प्रोग्राम तैयार किया। इसे लेकर उन्होंने खूब मार्केटिंग की। वह इसमें कामयाब भी हो रहे थे। लेकिन, अचानक ही उन्होंने बिक्रम मजीठिया के खिलाफ नशा तस्करी को लेकर जो आरोप लगाए, इसमें वह निकल नहीं पाए। वह विवादों में आ गए। अकाली दल ने उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया। इसका परिणाम यह निकला कि वह बुरी तरह से घिर गए। इसी बीच मजीठिया सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम जमानत ले आए।
पांचवें झटके से कमजोर पड़ गए सिद्धू
यह सिद्धू के लिए पांचवां और बड़ा झटका था। इससे वह पंजाब और कांग्रेस दोनों में कमजोर पड़ गए। उन्होंने मजीठिया को अपने विधानसभा क्षेत्र से लड़ने का चैलेंज दे दिया। इसे मजीठिया ने स्वीकार कर लिया। इस तरह की परिस्थितियों में सिद्धू ने सीएम पद के लिए जो मेहनत की थी, वह बेकार होती चली गई। आज चन्नी को सीएम फेस घोषित कर दिया है।
सिद्धू ने हालात भांपे, मगर बेबस हो गए
इसके लिए कांग्रेस भी बहुत ही रणनीति से काम लिया। सीएम चेहरे की घोषणा में इतना वक्त इसलिए लगाया, क्योंकि यदि नामांकन प्रक्रिया के बीच सीएम चेहरा चन्नी को घोषित कर दिया जाता तो पार्टी को डर था कि कहीं सिद्धू बगावत करते हुए पार्टी ही ना छोड़ दें। कांग्रेस इससे बचना चाह रही थी। यह भी एक कारण था कि सीएम फेस को लेकर कांग्रेस ने थोड़ा वक्त लिया। हालात को सिद्धू भी भांप गए थे, उन्होंने अपने तेवर भी दिखाने शुरू कर दिए थे। लेकिन पार्टी ने बहुत ही सधे तरीके से सिद्धू को साधा।
अंतत: चारों तरफ से घिरे सिद्धू
पंजाब में जब स्टार प्रचारकों की लिस्ट तैयार की गई तो सिद्धू का नाम चन्नी से ऊपर रखा गया। जबकि उत्तराखंड में कांग्रेस के स्टार प्रचारकों में पहले सीएम और बाद में पार्टी अध्यक्ष का नाम था। यह पहला इशारा था, जिसमें कांग्रेस ने सिद्धू को तवज्जो देते हुए उन्हें सीएम उम्मीदवार से दूर ले जाने का काम किया। और अंतत: अब जब सिद्धू की चोरों ओर से घेराबंदी हो गई तो कांग्रेस ने चन्नी को सीएम फेस बना दिया। इस तरह से सीएम पद को लेकर सिद्धू की सारी मेहतन कम से कम इस वक्त तक तो बेकार जाती नजर आ रही है। एक बार फिर उनके हाथ से सीएम की कुर्सी छिटक गई है।
यह भी पढ़ें-