पंजाब चुनाव: दमदमी टकसाल समेत कई सिख संगतों का आकली दल-बसपा को समर्थन, जानिए इसके सियासी मायने

Published : Feb 10, 2022, 10:08 AM ISTUpdated : Feb 10, 2022, 10:10 AM IST
पंजाब चुनाव: दमदमी टकसाल समेत कई सिख संगतों का आकली दल-बसपा को समर्थन, जानिए इसके सियासी मायने

सार

दमदमी टकसाल प्रमुख संत ज्ञानी हरनाम सिंह खालसा की अध्यक्षता में गुरुद्वारा बाबा शहीद सरमस्तपुर (जालंधर) में गुरमत सिद्धांत प्रचारक संत समाज की सभा हुई। बैठक में विभिन्न संप्रदायों के लगभग 250-300 संतों, संत महापुर, उदासी, निर्मला, कार सेवा और निहंग सिंह जत्थेबंदियों ने शिरोमणि अकाली दल और बसपा उम्मीदवारों के समर्थन की घोषणा की।  

जालंधर. जैसे जैसे पंजाब विधानसभा चुनाव तारीख नजदीक आते ही यहां की राजनीतिक सरगर्मी तेज होती जा रही है। सिख संगत भी अब अपनी भूमिका की तैयारी में हैं। दमदमी टकसाल प्रमुख संत ज्ञानी हरनाम सिंह खालसा की अध्यक्षता में गुरुद्वारा बाबा शहीद सरमस्तपुर (जालंधर) में गुरमत सिद्धांत प्रचारक संत समाज की सभा हुई। बैठक में विभिन्न संप्रदायों के लगभग 250-300 संतों, संत महापुर, उदासी, निर्मला, कार सेवा और निहंग सिंह जत्थेबंदियों ने शिरोमणि अकाली दल और बसपा उम्मीदवारों के समर्थन की घोषणा की।

आखिर क्यों दमदी टकसाल ने दिया अकाली को समर्थन
संत ज्ञानी हरनाम सिंह खालसा ने कहा कि शिरोमणि अकाली दल खालसा पंथ का महान संगठन है, जो पंथ के धार्मिक और राजनीतिक चुनौतियों के दौरान महान संघर्षों और बलिदानों के बीच पैदा हुआ था। पंथ के हितों की रक्षा करते हुए बलिदान किए हैं। पंथ के गौरवशाली इतिहास और विरासत के संरक्षण के लिए महान कार्य किए हैं। इस वजह से पंथ को गर्व है ए-खालसा, छप्परचिड़ी स्मारक आदि की सेवा की है। इसलिए हम सभी का दायित्व बनता है कि हम सब मिल कर शिरोमणि अकाली दल और बसपा प्रत्याशियों की जीत सुनिश्चित करे। इस बैठक में मुख्य रूप से संत बाबा गुरदयाल सिंह तांडेवाले, संत बाबा महिंदर सिंह जनेरवाले, संत बाबा हकीम सिंह, समेत बड़ी संख्या में अलग अलग संतों ने भाग लिया। 

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संतों का अकाली दल के प्रति झुकाव
इस बार डेरों व संतों पर राजनेताओं का खासा ध्यान है। यह भी एक वजह है कि हर कोई इनका समर्थन हासिल करने के लिए हर संभव कोशिश कर रहा है। मतदान से पहले सिख संतों के अकाली दल को दिए गए समर्थन से अकाली को मजबूती मिलेगी। पंजाबी के सीनियर पत्रकार बलविंदर ने बताया कि हालांकि इसमें कोई दो राय नहीं है कि सिख संतों का अकाली दल के प्रति झुकाव रहता ही है। लेकिन इस बार खुल कर समर्थन दिया गया है। 

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सभी पार्टियों के बीच कांटे की टक्कर की स्थिति
इस वक्त पंजाब में क्योंकि सभी पार्टियों के बीच कांटे की टक्कर की स्थिति बनी हुई है। इसलिए एक एक वोट कीमत है। इस मौके पर सिख संतों का अकाली दल के समर्थन में इस तरह से खड़ा होना निश्चित ही पार्टी के लिए खासा मायने रखता है। ऐसा भी लग रहा है कि इस बार आने वाले दिनों में दूसरे डेरों की ओर से भी इस तरह का समर्थन राजनीतिक पार्टियों को दिया जा सकता है।

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