
चंडीगढ़। पंजाब चुनाव (Punjab Elections 2022) में कुछ ऐसे भी लोग हैं, जिन्होंने कभी वोट नहीं डाला। इस बार भी नहीं। यह लोग क्यों वोट नहीं डाल रहे हैं? पंजाब फार्म वर्कर्स यूनियन के राज्य महासचिव लक्ष्मण सिंह सेवावाला ऐसे व्यक्ति हैं जिन्होंने वोट ना डालने का प्रण लिया है। सेवेवाला का कहना है कि यह लोक राज नहीं, नोट राज है। नेताओं का चरित्र किसी से छिपा नहीं है।
सेवावाला ने तब भी वोट नहीं किया था, जब उनकी चाची चुनाव में खड़ी थी। तब उनकी पत्नी ने भी अपने मताधिकार का प्रयोग किया है। गांव सेवेवाला के ही मजदूर नेता दर्शन सिंह के लिए वोटिंग पहले एक बेकार कागज का टुकड़ा था और अब ईवीएम और कुछ नहीं बल्कि बिजली का एक उपकरण है। जब उनके भाई ग्राम पंचायत चुनाव में खड़े हुए तब उन्होंने उसे भी वोट नहीं दिया था। हालांकि तब परिवार में उनका भारी विरोध हुआ था। उन्होंने जीवन भर मतदान नहीं करने का संकल्प लिया है।
किसान नेता झंडा सिंह जेथुके ने अपने जीवन में केवल एक बार मतदान किया है। पल्स मंच के अध्यक्ष अमोलक सिंह ने कहा कि मतदान ना करने का निर्णय भावनात्मक नहीं, बल्कि आर्थिक और सामाजिक संदर्भ में इसे महसूस करने के बाद लिया गया निर्णय था। उन्होंने कहा कि चुनाव का खेल बल और धोखे से खेला जा रहा है, जिसमें आम आदमी और नेताओं के लिए अलग-अलग व्यवस्था की गई है।
किसान नेता शिंगरा ने कभी नहीं डाला वोट
दिवंगत मेघ राज भगतवाना की बेटी बिंदु का कहना है कि वर्तमान लोक राज में किसी भी अधिकार का कोई मूल्य नहीं है। इसलिए वह मतदान के अधिकार का प्रयोग करना उचित नहीं समझती हैं। पूर्व शिक्षक जगमेल सिंह का पहचान पत्र तो हैं, लेकिन वह मतदान के लिए नहीं गए। उनका कहना है कि इस व्यवस्था में लोगों की कोई भागीदारी नहीं है। गिद्दर के किसान नेता शिंगरा सिंह मान ने भी कभी वोट नहीं डाला।
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युवा भारत सभा के नेता अश्विनी घुड्डा को अब नेताओं ने वोट देने आग्रह करना बंद कर दिया है। उन्होंने कहा कि मतदान करना समय की बर्बादी है, क्योंकि सभी राजनीतिक दलों के नेता एक जैसे हैं। लोक मोर्चा पंजाब के नेता सुखविंदर सिंह ने भी वोट नहीं देने का स्टैंड लिया है। उन्होंने कहा कि वोट से कभी किसी की समस्या का समाधान नहीं हुआ, यह सीट हथियाने का एक तरीका है।
पंजाब फार्म वर्कर्स यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष जे सिंह नसराली ने कहते हैं कि नेता यह प्रचार तो करते हैं कि वोट डालना सभी का अधिकार है, लेकिन बाकी अधिकारों की बात क्यों नहीं करते हैं। मौजूदा व्यवस्था में 49 अच्छे लोग 51 बुरे लोगों से हार जाते हैं। उन्होंने कहा- "नेता चुने जाने के बाद शपथ लेते हैं लेकिन कोई भी इसे पूरा नहीं करता है, इसलिए मतदाता समान रूप से जिम्मेदार हो जाते हैं।’ उन्होंने कहा कि मतदान से समस्या का समाधान नहीं होता, इसलिए कभी भी मतदान नहीं करना चाहिए।
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