गोरखपुर में गुरु और चेले के बीच दिखेगा घमासान! जानिए, कभी खास रहे सुनील सिंह कैसे हुए CM योगी से दूर

यूपी विधानसभा चुनाव में गोरखपुर सीट पर गुरु और उनके पुराने सहयोगी के बीच घमासान देखने को मिल सकता है। हिंदू युवा वाहिनी से सपा में शामिल हुए सुनील सिंह इस सीट से चुनाव लड़ सकते हैं। उन्होंने ट्वीटर पर सीएम योगी आदित्यनाथ को चेतावनी भी दी है। 

Asianet News Hindi | Published : Jan 17, 2022 7:21 AM IST / Updated: Jan 17 2022, 01:12 PM IST

गौरव शुक्ला 
लखनऊ
: यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ गोरखपुर शहर सीट से चुनावी मैदान में उतर रहे हैं। हालांकि अपने गढ़ में ही उनकी मुश्किले बढ़ाने की चेतावनी उनके पुराने खास सहयोगी ने दे दी हैं। हिंदू युवा वाहिनी से समाजवादी पार्टी में शामिल हो चुके सुनील सिंह ने यह चेतावनी दी है। सुनील सिंह ने कहा है कि गोरखपुर की धरती इस बार इंकलाब का नया इतिहास लिखेगी। घमंड की हार होगी और संघर्ष की जीत होगी। 

सुनील सिंह ने ट्वीट के जवाब में दी चेतावनी 
सीएम योगी आदित्यनाथ के ट्वीट पर जवाब देते हुए सपा नेता सुनील सिंह ने लिखा कि कही नोट कर लीजिए बाबा। मैं सुनील सिंह घोषणा करता हूं कि इस बार का चुनाव आपके जीवन का सबसे मुश्किल चुनाव बना दूंगा। रिकार्ड मतों से हारने के लिए तैयार रहिए। गोरखपुर की धरती इस बार इंकलाब का नया इतिहास लिखेगी। घमंड हारेगा और संघर्ष की जीत होगी। जय समाजवाद।

 
सुनील सिंह ने सीएम योगी आदित्यनाथ के उस ट्वीट पर यह जवाब दिया है जिसमें उन्होंने भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष और संसदीय बोर्ड का आभार व्यक्त किया था। सीएम ने ट्वीट कर लिखा था कि आगामी विधानसभा चुनाव में मुझे गोरखपुर(शहर) से भारतीय जनता पार्टी का प्रत्याशी बनाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और संसदीय बोर्ड का हार्दिक आभार। 

हिंदू युवा वाहिनी के बढ़ते प्रभाव के साथ नजदीक आए योगी आदित्यनाथ और सुनील सिंह 
सुनील सिंह पहली बार 1996 में योगी आदित्यनाथ के संपर्क में आए थे। उन्होंने 1998 के लोकसभा चुनाव के दौरान जमकर योगी आदित्यनाथ के लिए प्रचार भी किया था। हालांकि किन्ही मतभेदों के चलते उन्होंने समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव की मौजूदगी में सपा की सदस्यता ले ली थी। कहा जाता है कि किसी समय सुनील सिंह की मेहनत देखकर ही योगी आदित्यनाथ ने उन्हें अपना विश्वासपात्र बनाया था। जिस वक्त सुनील योगी आदित्यनाथ के संपर्क में आए उस समय हिंदू युवा वाहिनी का गठन भी नहीं हुआ था। उस दौरान गोरखपुर में गोरखनाथ पूर्वांचल मंच काफी ज्यादा सक्रिय था। इस मंच पर गोरखनाथ मथ का आशीर्वाद माना जाता था। जब सुनील सिंह को इस मंच पर जगह नहीं मिली तो उन्होंने 2000 में युवा वाहिनी का गठन किया। इसे ही महंत अवैद्यनाथ ने हिंदू युवा वाहिनी के नाम से संबोधित किया था। जिसके संरक्षक योगी आदित्यनाथ बनाए गए। 
मीडिया रिपोर्टस के बताया जाता है कि अगस्त 2000 में पहली बार हिंदू युवा वाहिनी की बैठक गोरखनाथ मंदिर के हिंदू सेवा आश्रम में हुई। इसी दौरान हिंदू युवा वाहिनी को विस्तार देने का काम योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर सुनील सिंह ने शुरु किया। हिंदू युवा वाहिनी का प्रभाव बढ़ने के साथ ही योगी आदित्यनाथ और सुनील सिंह की नजदीकियां भी बढ़ गई। 

सरकार बनने के बाद नहीं मिला सुनील सिंह को महत्व 
सुनील सिंह और योगी आदित्यनाथ के बीच 2017 का साल दूरियों में सबसे अहम पड़ाव साबित हुआ। 2017 में विधानसभा चुनाव के दौरान सुनील सिंह युवा वाहिनी के कार्यकर्ताओं को बीजेपी से टिकट दिलाना चाहते थे। लेकिन बीजेपी इसके लिए तैयार नहीं हुआ। रिपोर्टस में बताया जाता है कि योगी आदित्यनाथ इस बात पर सहमत थे कि जिसे बीजेपी प्रत्याशी घोषित करेगी उसे मठ का समर्थन मिलेगा। लेकिन सुनील सिंह इस पर भी सहमत नहीं थे। योगी आदित्यनाथ के मना करने के बावजूद सुनील सिंह ने 2017 में यूपी की 36 सीटों पर अपने कार्यकर्ताओं को लड़वाया। कथिततौर पर योगी आदित्यनाथ ने इस चीज के लिए सुनील सिंह को मना भी किया लेकिन वह नहीं माने। चुनाव के बाद सुनील सिंह के प्रत्याशियों को किसी भी सीट पर जीत नहीं मिली। हालांकि यूपी में बीजेपी 325 सीटें जीतकर सत्ता में आई और योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री बने। इसके बाद उन्होंने सुनील सिंह को कोई भी महत्व नहीं दिया। 

सुनील सिंह ने नए संगठन का किया गठन
सुनील सिंह द्वारा 13 मई 2018 को लखनऊ के वीवीआईपी गेस्ट हाउस में नए संगठन हिंदू युवा वाहिनी भारत का गठन किया गया। इसी के बाद योगी आदित्यनाथ ने सुनील सिंह को हिंदू युवा वाहिनी से बाहर का रास्ता दिखा दिया। फिर हिंदू युवा वाहिनी की पूरी जिम्मेदारी विधायक राघवेंद्र प्रताप सिंह को दे दी गई। इसी के बाद दूरियां बढ़ती गई और सुनील सिंह सपा में शामिल हो गए।

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