अंशुला लिखती हैं, "उसका (रोहन) प्यार मुझे यकीन दिलाता है कि परी कथा सिर्फ किताबों में नहीं होती, बल्कि वे ऐसे पलों में भी ज़िंदा रहती हैं। हंसी, गले मिलना, दुआओं और लोगों से भरा कमरा, जो हमारी दुनिया को भरा-पूरा महसूस कराते हैं। और फिर मां का प्यार चुपचाप हमें अपने आगोश में ले लेता है।"