
Why did Asrani have to eat wild leaves: शोले फिल्म में अंग्रेजों के ज़माने के जेलर सीन तो आपको याद ही होगा। 70- 80 के दशक के कॉमेडी एक्टर असरानी अपने एक्सप्रेशन और एक्टिंग से दर्शकों को खूब गुदगुदाते थे। हालांकि इसके लिए उन्हें कभी- कभी अजीबोगरीब काम भी करने पड़ जाते थे। असरानी ने हाल ही में BBC NEWS के पॉडकास्ट में एक बेहद रोचक किस्सा बयां किया। एक डायरेक्टर उन पर रोमांटिक सीन फिल्माने चाहते थे, लेकिन उसमें हीरोइन या कोई को-एक्ट्रेस नहीं थी। असरानी ने बताया कि, मुझे अपनी प्रेमिका का जंगल में एक पेड़ के नीचे बैठकर इंतजार करना था। उन्होंने मुझसे पूछा कि इस सीन को कैसे करोगे। तो मैं ने कहा कि मैं अपना घड़ी देखूंगा...जंगल में पेड़ों के आसपास जाकर ताकाझांकी करूंगा...पैर से मिट्टी कुरेदूंगा..वगैरह..वगैरह ऐसा करके उसका इंतजार करता दिखूंगा।
इसके बाद डायरेक्टर ने जो सीन मुझसे करने को कहा, इससे तो मेरे होश ही उड़ गए। वो बोले नहीं आपको ये सब नहीं करना है। आपको उस पेड़ की जंगली पत्तियां चबाना है। अब इसके बाद तो मेरे पास कुछ कहने को रह ही नहीं गया । मैं शॉक्ड हो गया, कुछ देर सोचने के बाद मैं ने कहा...लेकिन इससे इंतजार कैसे मुकम्मल होगा। इसके बाद उन्होंने साउथ की उस मूवी का सीन दिखाया, जिसका रीमेक बनाया जा रहा था। वो बोले ये सीन सुपरहिट हुआ था...इसमें कोई छेड़छाड़ मैं नहीं करूंगा। असरानी ने आगे बताया कि सुपरहिट फिल्मों के रीमेक के सीन के साथ डायरेक्टर इतना पजेसिव होता है कि वो उसमें कोई चेंज नहीं करना चाहता। तो फिर हमने खाए वही जंगली पत्ते, कोई और ऑप्शन ही नहीं था।
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असरानी बीते 5 दशक से बॉलीवुड में काम कर रहे हैं। उन्होंने 350 से भी अधिक हिंदी और गुजराती फिल्मों में एक्टिंग का जौहर दिखाया है। राजेश खन्ना, अमिताभ बच्चन, धर्मेंद्र, जितेंद्र, अक्षय कुमार तक के साथ उन्होंने कॉमेडी सीन में अपनी महारत सिद्ध की है। 'शोले' के जेलर रोल के लिए तो उन्हें हमेशा से याद किया जाता है। असरानी ने कॉमेडी, सपोर्टिंग किरदार में भी अपना लोहा मनवाया है। गुजरात फिल्म इंडस्ट्री में तो वे भी लीड एक्टर भी रहे और 'चाला मुरारी हीरो बनने', 'सलाम मेमसाब' जैसी फिल्मों में उनकी मुख्य भूमिका रही है।