हनी सिंह के दिमाग में कैसे आया था रैपर बनने का आइडिया, जानिए उनके रॉकस्टार बनने की कहानी
एंटरटेनमेंट डेस्क. यो यो हनी सिंह के नाम से फेमस रैपर हिर्देश सिंह 40 साल के हो गए हैं। 15 मार्च 1983 को करमपुरा, दिल्ली में जन्मे हनी सिंह ने बॉलीवुड को एक से बढ़कर एक रैप सॉन्ग दिए हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि वे रैपर कैसे बने। जानिए पूरी कहानी…
Gagan Gurjar | Published : Mar 15, 2023 3:04 AM IST
कहा जाता है कि हनी सिंह का कभी रैपर बनने का प्लान नहीं था। दरअसल, हनी सिंह भारत के कुछ क्लब्स में जाते थे और इस दौरान उन्हें अहसास हुआ कि वहां इंग्लिश रैप सॉन्ग बजाये जाते थे। यहीं से उन्हें इस म्यूजिक में पोटेंशियल नजर आया।
हनी सिंह ने रैप सिर्फ इसलिए बनाने शुरू किए, क्योंकि वे चाहते थे कि लोग खासकर युवा उन्हें और उनके म्यूजिक को एक व्यक्ति के रूप में देखें। हनी सिंह का यह आइडिया इतना कारगर साबित हुआ कि भारत में रैप्स और रैपर्स की बाढ़ सी आ गई है।
हनी सिंह म्यूजिक को लेकर इतने पैशनेट थे कि उन्होंने लंदन जाकर इसे सीखा। उन्होंने लंदन के ट्रिनिटी कॉलेज से म्यूजिक में ग्रैजुएशन किया है। डिग्री कंप्लीट करने के बाद हनी सिंह ने म्यूजिक कंपोज करना शुरू किया और 2003 में वे म्यूजिक प्रोड्यूसर बन गए।
बताया जाता है कि शुरुआत में हनी सिंह को काफी रिजेक्शन और आलोचना का सामना करना पड़ा। हालांकि, उन्होंने हार नहीं मानी और अपने म्यूजिक के दम पर अपनी एक अलग पहचान बनाई।
हनी सिंह ने बॉलीवुड में डेब्यू फिल्म 'शक्ल पे मत जा' में गाना गाकर की थी, जो गगन सिद्धू पर फिल्माया गया था। फिल्म 'मस्तान' के लिए हनी सिंह को 70 लाख रुपए मिले थे। बताया जाता है कि नसीरुद्दीन शाह और उनके बेटे विवान शाह स्टारर इस फिल्म के गाने के लिए हनी सिंह को मिली यह रकम उस वक्त तक किसी भी सिंगर को मिली सबसे बड़ी रकम थी।
हनी सिंह को पहचान अपने एल्बम 'इंटरनेशनल विलेजर' के गाने 'अंग्रेजी बीट' से मिली थी, जिसे बाद में सैफ अली खान, डायना पैंटी और दीपिका पादुकोण स्टारर 'कॉकटेल' में शामिल किया गया था।
हनी सिंह ने 'देसी बॉयज', 'सं ऑफ़ सरदार', 'खिलाड़ी 786', 'चेन्नई एक्सप्रेस', 'जय हो', 'सिंघम रिटर्न्स', 'गब्बर इज बैक', 'जबरिया जोड़ी', 'छलांग' 'भूल भुलैया 2' और 'सेल्फी' जैसी फिल्मों में गाने गाए हैं। उनका अगला गाना फिल्म 'किसी का भाई किसी की जान' में सुनने को मिलेगा।