Manoj Kumar: इंदिरा गांधी से सीधे भिड़ गए थे मनोज कुमार, अदालत में घसीटा और केस भी जीते!

Published : Apr 04, 2025, 04:06 PM IST
Manoj Kumar Indira Gandhi Fight

सार

Manoj Kumar Death मनोज कुमार अकेले स्टार थे जिन्होंने इमरजेंसी के दौरान इंदिरा गांधी के खिलाफ केस जीता। उन्होंने 'शोले' को पास कराने में भी मदद की, जब सरकार हिंसा के कारण इसे रोकना चाहती थी।

Manoj Kumar Flashback Story:  87 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह गए मनोज कुमार देश के इकलौते ऐसे फिल्ममेकर थे, जिन्होंने Emergency के दौरान तत्कलीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी सरकार  के खिलाफ केस किया था और वे उसे जीते भी थे। खुद मनोज कुमार ने एक इंटरव्यू के दौरान ना केवल यह खुलासा किया था, बल्कि पूरा किस्सा भी सुनाया था। यह 1975 की बात है, जब इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल घोषित कर दिया था और देव आनंद और किशोर कुमार समेत कई बॉलीवुड स्टार्स को पाबंदी का सामना करना पड़ा था। मनोज कुमार भी इन स्टार्स में शामिल थे, जिन्हें सीधे तौर पर सरकार से टकराना पड़ा था।

'इमरजेंसी' के समर्थन में फिल्म बनवाना चाहती थीं इंदिरा गांधी

2015 में हिंदुस्तान टाइम्स से बातचीत के दौरान मनोज कुमार ने इमरजेंसी के दौर का जिक्र किया था और कहा था कि उन्हें 'इमरजेंसी' के सपोर्ट में एक फिल्म बनाने के लिए अप्रोच किया  गया था। उन्होंने कहा था, "इसकी की शुरुआत ठीक से हुई, लेकिन वक्त के साथ मामला गंभीर होता गया।" मनोज कुमार के मुताबिक़, उन्होंने इंदिरा गांधी और उनके बेटे संजय गांधी के साथ 'नया भारत' टाइटल वाली फिल्म को लेकर डिस्कशन किया। शुरुआत में इंदिरा गांधी ने फिल्म की स्क्रिप्ट को मंजूरी दे दी और इसमें स्पेशल अपीयरेंस के लिए तैयार भी हो गईं। लेकिन कुछ महीनों बाद उन्होंने कहा कि वे अपीयरेंस देने की बजाय सिर्फ अपनी आवाज़ देंगी, जिसके चलते उन्हें स्क्रिप्ट बदलनी पड़ रही थी और मनोज कुमार यह मानने को तैयार नहीं थे। उन्होंने बताया था, "मैं इससे सहमत नहीं था। इसलिए सबकुछ कैंसिल हो गया और फिल्म ठंडे बस्ते में चली गई।"

मनोज कुमार जीते थे 'इमरजेंसी' के कानूनों के खिलाफ केस

मनोज कुमार ने इसी बातचीत में यह भी बताया था कि वे इमरजेंसी के दौरान लगाए गए कानूनों के खिलाफ केस जीतने वाले इकलौते फिल्ममेकर रहे हैं। उन्होंने कहा था, "इमरजेंसी के दौरान एक क़ानून था कि कोई भी फिल्म रिलीज के दो हफ्ते के बाद टीवी पर टेलीकास्ट हो सकती है। इसलिए मेरी शुरुआती फिल्मों में से एक 'शोर' (1972) पहले दूरदर्शन पर आई। दो हफ्ते बाद हमने इसे फिर से थिएटर्स में रिलीज किया। लेकिन लोग पहले ही इसे टीवी पर देख चुके थे। इसलिए इसे सिनेमा में देखने कोई नहीं गया। थिएटर्स के घाटे की भरपाई के लिए मुझे जेब से पैसा देना पड़ा। ऐसा ही 'दस नम्बरी' के साथ हुआ। तब मैंने मामले को कोर्ट में ले जाने का फैसला लिया। आखिर में मैंने केस जीत लिया।"

मनोज कुमार ने सरकार को गलत साबित कर पास कराई थी 'शोले'

मनोज कुमार के मुताबिक़, 1975 की क्लासिक धर्मेन्द्र, अमिताभ बच्चन, संजीव कुमार और अमजद खान स्टारर फिल्म 'शोले' को सेंसर बोर्ड से पास कराने में उनका बड़ा हाथ था। उन्होंने कहा था, "मेरे पास उस वक्त के सूचना एवं प्रसारण मंत्री विद्याचरण शुक्ल का फोन आया और बोले, 'हम 'शोले' को पास नहीं कर सकते, क्योंकि इसमें बहुत ज्यादा हिंसा है। मैंने उनके नजरिए को झूठा साबित किया और उन्होंने फिल्म पास कर दी।"

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