बॉलीवुड डायरेक्टर राकेश ओमप्रकाश मेहरा अपना 62वां जन्मदिन मना रहे हैं। जानिए उनकी ज़िंदगी का एक ऐसी कहानी जो उन्हें मौत के मुंह तक ले गई। जानें दिल्ली 6 के फ्लॉप होने के बाद उन्होंने क्या किया?
Rakeysh Omprakash Mehra Birthday : बॉलीवुड के फेमस डायरेक्टर राकेश ओमप्रकश मेहरा 7 जुलाई को 62 वां बर्थडे सेलीब्रेट कर रहे हैं। वे ये मौका चूक सकते थे यदि वक्त रहते उन्होंने खुद को ना संभाला होता..दरअसल मेगा बजट मूवी के फ्लॉप होने के बाद उन्होंने सुसाइड करने का मन बना लिया था।
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राकेश ओमप्रकाश मेहरा ने रंग दे बसंती जैसी क्लासिक फिल्मों का डायरेक्शन किया है। वे 7 जुलाई 2025 को 62 साल के हो गए हैं। लेकिन जब वे महज 46 साल के थे तब वो सुसाइड करने का मन बना चुके थे।
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अमिताभ के साथ अख्श, फरहान अख्तर के साथ भाग मिल्खा भाग, अभिषेक बच्चन के साथ दिल्ली 6 बनाने वाले टेलेंटेड फिल्म डायरेक्टर राकेश ओमप्रकाश मेहरा ने तीन थे भाई, फन्ने खां, मेरे प्यारे प्राइम मिनिस्टर और मिर्जया जैसी फिल्में बनाई हैं।
राकेश ओम प्रकाश मेहरा ने अमिताभ बच्चन के साथ साल 2001 में अख्श मूवी के साथ उन्होंने डायरेक्शन की शुरुआत की थी। इसमें रवीना टंडन और मनोज बाजपेयी ने भी लीड रोल निभाए थे।
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राकेश ओमप्रकाश मेहरा ने अभिषेक बच्चन और सोनम कपूर को लेकर दिल्ली 6 मूवी बनाई थी। मेगा बजट मूवी में एआर रहमान का म्यूजिक था। मसककली जैसा गाना खूब पॉप्युलर हुआ था। अच्छी ओपनिंग देने के बावजूद ये मूवी बाद में थिएटर पर धराशाई हो गई थी। इसके बाद बाद तो वे एकदम सदमे में चले गए थे।
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फिल्म के फ्लॉप होने के बाद तो राकेश ने खुद को शराब में डुबो दिया था। उन्होंने मन बना लिया था कि वे अब इतनी अल्कोहल पिएंगे की उनकी मौत हो जाए। इस बात का जिक्र राकेश की ऑटोबायोग्राफी 'द स्ट्रेंजर इन द मिरर' में भी किया गया है।
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राकेश की ऑटोबायोग्राफी में लिखा है कि 'दिल्ली 6 शुक्रवार 20 फरवरी, 2009 को अच्छी ओपनिंग के साथ शुरू हुई। रविवार तक 40 करोड़ से ज्यादा का बिजनेस कर लिया था। लेकिन जैसे ही सोमवार आया अचानक थिएटर में दर्शकों का टूटा हो गया। इसने मुझे पूरी तरह से बर्बाद कर दिया था।
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राकेश ओमप्रकाश मेहरा को लगने लगा था के वे नाकाबिल शख्स हैं, उनकी रंग दे बसंती महज इत्तफाक से हिट हो गई थी। वे डीप डिप्रेशन में चले गए थे।
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वे मरने के बारे में सोचना लगे थे। हालांकि बाद में वेनिस फिल्म फेस्टिवल में दिल्ली 6 ने जगह बनाई, जिससे उन्हें दिली तसल्ली मिली थी। उनका विश्वास खुद पर लौट आया था