बेटी रेने को लेकर क्यों भागना चाहती थीं सुष्मिता सेन? सालों बाद किया बड़ा खुलासा

Published : Oct 14, 2025, 06:35 PM IST
Sushmita Sen

सार

सुष्मिता सेन ने 21 की उम्र में बेटी रेनी को गोद लेने की लंबी कानूनी लड़ाई का खुलासा किया। इस मुश्किल समय में उनके पिता ने पूरा साथ दिया और अपनी सारी संपत्ति बेटी के नाम करने की पेशकश की, जो केस का टर्निंग पॉइंट बना।

बॉलीवुड एक्ट्रेस सुष्मिता सेन ने हाल ही में एक इंटरव्यू में अपनी पहली बेटी रेनी को गोद लेने के प्रोसेस के उसे घर लाने के लिए लंबी अदालती लड़ाई के बारे में खुलकर बात की। सुष्मिता ने बताया कि उस समय वो केवल 21 साल की थीं। इसके बावजूद उनके पिता ने हर कदम में उनका सपोर्ट किया।

सुष्मिता सेन बना रही थीं यह खास प्लान?

सुष्मिता सेन ने कहा, 'जब मैं 21 साल की थी, तभी मुझे पता चल गया था कि मुझे यही करना है। 21 से 24 की उम्र के बीच मैंने पूरी तैयारी कर ली थी..फिर कानूनी लड़ाई शुरू हो गई। उस दौरान मेरी बेटी मेरे साथ फॉस्टर केयर में थी, लेकिन मन में हमेशा ये डर बना रहता था कि अगर फैसला मेरे पक्ष में नहीं आया तो वो उसे वापस ले लेंगे। उस बच्ची ने मुझे मां कहना शुरू कर दिया था, और मैं इस रिश्ते को किसी भी हाल में खोना नहीं चाहती थी। मैंने पहले से ही एक प्लान बना लिया था। सुनवाई के दिन मैंने अपने पापा से कहा था, 'बस गाड़ी चालू रखना, अगर फैसला हमारे खिलाफ आया, तो हम भाग जाएंगे।' लेकिन पापा ने मना कर दिया और कहा, 'अब तुम इसे जबरदस्ती कर रही हो, ऐसा कुछ नहीं होगा।' लेकिन उस वक्त मेरे दिल में बस एक ही बात थी कि कोई भी मेरे बच्चे को मुझसे अलग नहीं कर सकता है।'

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सुष्मिता सेन के पिता ने कैसे किया था उनका सपोर्ट

सुष्मिता सेन ने आगे कहा, 'मुझे अपने पिता पर बेहद गर्व है। मेरी जिंदगी में जो बच्चे हैं, वो उन्हीं की वजह से हैं। हमारे देश में किसी बच्चे को गोद लेने के लिए या तो पिता या पिता के समान किसी पुरुष की जरूरत होती है। कोर्ट ने मेरे पिता से कहा था कि उन्हें ये साबित करना होगा कि वो बच्चे की परवरिश के लिए आर्थिक रूप से सक्षम हैं और उन्हें अपनी आधी संपत्ति उसके नाम करनी होगी। इस पर मेरे पिता ने जवाब दिया, 'मैं कोई बहुत अमीर आदमी नहीं हूं। अगर आप मेरी आधी संपत्ति भी ले लें, तो भी ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा। मैं यहां अपनी पूरी संपत्ति बिना किसी शर्त के उसकी मां के नाम करने आया हूं।'

जज ने मेरे पापा को यह तक कह दिया था कि कोई भी सम्मानित परिवार का लड़का मुझसे शादी नहीं करना चाहेगा, लेकिन मेरे पिता ने साफ जवाब दिया कि उन्होंने मुझे किसी की पत्नी बनने के लिए नहीं पाला है। इसके बाद जज ने अनुमति दे दी, और यही पल पूरी कहानी का टर्निंग पॉइंट बन गया।

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