
भारत सरकार ने एक साथ 19 फिल्मों की स्क्रीनिंग पर रोक का फैसला लिया है। उन्होंने इन फिल्मों को दिखाने की अनुमति देने से मना कर दिया। हम बात कर रहे हैं इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल ऑफ़ केरल (IFFK) 2025 की, जो 12 दिसंबर को शुरू हो चुका है और 19 दिसंबर तक जारी रहेगा। सरकार के इस फैसले से ना केवल फिल्म लवर्स उनके खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं, बल्कि फेस्टिवल के ऑर्गेनाइजर्स की ओर से भी उनकी आलोचना की जा रही है। गौरतलब है कि इस फिल्म फेस्टिवल की ऑर्गेनाइजर केरल स्टेट चलचित्र एकेडमी है, जिसमें हर साल दुनियाभर से हजारों डेलीगेट्स शिरकत करते हैं।
भारत सरकार ने जिन 19 फिल्मों को केरल इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में दिखाने की इजाज़त नहीं दी है, उनमें ज्यादातर वे हैं, जो फिलिस्तीन की थीम पर बनी हैं। इनमें ‘फिलिस्तीन 36’, ‘यश’, ‘वंस अपॉन अ टाइम इन गाजा’ और ‘ऑल दैट्स लेफ्ट यू’ शामिल हैं। इन सभी में कहीं ना कहीं फिलिस्तीन की कहानी दिखाई गई है। बताया जा रहा है कि 'फिलिस्तीन 36' को फेस्टिवल की पहली फिल्म के तौर पर चुना गया था और इसकी स्क्रीनिंग भी हो चुकी है। फेस्टिवल के उद्घाटन वाले दिन जब यह फिल्म दिखाई गई, तब वहां भारत में फिलिस्तीनी राजदूत अब्दुल्ला एम अबू शॉवेश मेहमान के तौर पर मौजूद थे। इस दौरान केरल के संस्कृति मामलों के मंत्री साजी चेरियन ने फिलिस्तीनी मुद्दों पर अपना समर्थन जताया था।
स्पैनिश फिल्म 'बीफ' को भी स्क्रीनिंग की इजाज़त नहीं दी गई है। इसके अलावा 'अ पोएट : अनकंसील्ड पोएट्री', 'बामको', 'बैटलशिप पोटेमकिन', 'क्लैश', 'ईगल्स ऑफ़ द रिपब्लिक', 'हार्ट ऑफ़ द वुल्फ', 'रेड रेन', 'रिवरस्टोन, द आवर ऑफ़ द फर्नेसेस', 'टनल: सन इन द डार्क', 'फ्लेम्स', 'टिम्बकटू', 'वाजि़ब' और 'संतोष' भी उन फिल्मों में शामिल हैं, जिन्हें सरकार ने फिल्म फेस्टिवल में दिखाने की अनुमति नहीं दी है।
किसी भी फिल्म फेस्टिवल से पहले ऑर्गनाइजर्स को उन मूवीज की लिस्ट एडवांस में भारत सरकार के सूचना और प्रसारण मंत्रालय को भेजनी होती है, जो वे दिखाना चाहते हैं। मंत्रालय के पास इन फिल्मों को अनुमति देने और ना देने का अधिकार होता है। इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल ऑफ़ केरल के ऑर्गेनाइजर्स का कहना है कि सरकार ने फिल्मों के प्रदर्शन की इजाज़त नहीं दी, लेकिन इसके पीछे की कोई ठोस वजह उन्हें नहीं बताई गई है।