उस शिकायत में, जयमणि ने कहा था कि वह चेन्नई म्यूजिक अकादमी के पास खड़े थे, तभी रजनीकांत अपनी कार में वहां आए और उन्हें देखते ही उनपर कार चढ़ाने की कोशिश की। इसी शिकायत के आधार पर, 7 मार्च, 1979 को, रायपेट्टा पुलिस इंस्पेक्टर सोमसुंदरम और सब-इंस्पेक्टर बैस्टिन ने रजनी को गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तारी के बाद, उन्हें रायपेट्टा पुलिस स्टेशन में पूरी रात रखा गया। बाद में, उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया गया।
रजनी पर दो धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था। इसके बाद, रजनी ने अपना बयान भी दर्ज कराया। उन्होंने कहा कि उनके पास कार चलाने का लाइसेंस नहीं था और ड्राइवर के न होने के कारण वह खुद ही कार चला रहे थे। उस दिन रास्ते में उन्हें जयमणि दिखाई दिए। उन्हें याद आया कि जयमणि ने उनके बारे में बहुत सी झूठी खबरें लिखी थीं। इसलिए वह उनके पास जाकर कार रोक दी। उनका इरादा जयमणि को मारने का नहीं था।