
Coolie Movie Review: आमतौर पर शुक्रवार का दिन फिल्मों की रिलीज के लिए जाना जाता है। लेकिन बीते कुछ समय से फेस्टिव सीजन को देखते हुए कई निर्माता अपनी फिल्मों को गुरुवार को लेकर आते हैं, ताकि वीकेंड में कमाई का एक दिन जुड़ सके। ऐसा ही कुछ हुआ 14 अगस्त 2025 को। इस रोज़ एक नहीं, बल्कि दो बड़ी फ़िल्में थिएटर्स में आईं, एक साउथ के गॉड कहे जाने वाले रजनीकांत की 'कुली' तो दूसरी ग्रीक गॉड के नाम से मशहूर ऋतिक रोशन की 'वॉर 2। वैसे तो मैं हर बार हिंदी फ़िल्में देखने जाता हूं। लेकिन इस बार अपने सीनियर से डिस्कशन के बाद तय किया कि तमिल भाषा की पैन इंडिया फिल्म 'कुली' देखी जाए। तो फिर क्या कटा लिया टिकट भोपाल में आशिमा मॉल स्थित सिनेपोलिस मल्टीप्लैक्स का।
पहला दिन, पहला शो सुबह 10:15 बजे का। ट्रैफिक से जूझते हुए घर से तकरीबन 9 किमी. दूर आशिमा मॉल पहुंचते-पहुंचते मुझे लगभग 10:25 हो गया और लगा कि मैं लेट हो गया हूं। लेकिन ऐसा मैं अकेला ही नहीं था। मैंने टिकट खिड़की पर नज़र डाली तो वहां 'कुली' का टिकट लेने वालों की लाइन लगी हुई थी। 10 मिनट ऊपर होने के बाद भी लोगों ने टिकट लिया और स्क्रीन नं. 3 में एंट्री ली। मैं भी अंदर पहुंचा तो थोड़ी राहत आई, क्योंकि अभी स्क्रीन पर विज्ञापन चल रहे थे। यानी फिल्म अभी तक शुरू नहीं हुई थी। सिनेमा हॉल लगभग आधा भरा हुआ था। स्क्रीन पर रजनी को देखने की बेताबी ऐसी थी कि दर्शक स्क्रीन पर आ रहे कमर्शियल्स से इरिटेट होने लगे। खैर, वो समय भी आ गया, जब स्क्रीन पर फ्लैश हुआ 'लाइट्स डाउन, मूवी ऑन।" इस वाक्यांश के आते ही थिएटर में सन्नाटा छा गया।
अब बात फिल्म के बारे में करते हैं। CBFC सर्टिफिकेट, सिगरेट-शराब के डिस्क्लेमर और स्पेशल थैंक्स के मैसेज के बाद फाइनली जैसे ही स्क्रीन पर आया 'सुपरस्टार रजनी'...यकीन मानिए थिएटर्स में जो सीटियों और हूटिंग का शोर था, वह फिल्म के साउंड पर भारी पड़ रहा था। यह शोर तकरीबन 1 मिनट तक होता रहा। इतना ही नहीं, जब रजनीकांत की एंट्री हुई तो एक बार फिर वही शोर। इसे देखकर समझ आ गया कि भाई एक्टर कोई भी हो सकता है, लेकिन सुपरस्टार एक ही है। वो भी ऐसा, जिसकी तूती साउथ से लेकर नॉर्थ तक बोलती है। फिल्म फ्लॉप हो या हिट, लेकिन एक बात की गारंटी है कि रजनी हमेशा हिट है। 70 साल की उम्र में भी जो उनका एनर्जी लेवल है, वह बस देखने लायक होता है। उस पर सोने पर सुहागा होता है उनका एक्शन, उनका चिर-परिचित स्टाइल ।
'कुली' में रजनीकांत ने देवा नाम का किरदार निभाया है, जो 35 साल पहले तक एक कंपनी में बतौर कुली काम करता था। वर्तमान में देवा मेंशन नाम से बोर्डिंग हाउस चला रहे देवा को अचानक अपने जिगरी दोस्त राजशेखर (सत्यराज) की मौत की खबर मिलती है और वह उसे श्रद्धांजलि देने जाता है। इसी दौरान उसे पता चलता है कि राजशेखर की जान हार्ट अटैक से नहीं गई, बल्कि सीने पर कई वार करने से गई है। वह अपने दोस्त के कातिल को ढूंढने निकलता है और फिर कहानी में एक के बाद एक विलेन की एंट्री होती है, जिसका सिलसिला फिल्म के अंत तक नहीं रुकता। दयाल (सोबिन शाहिर), साइमन (नागार्जुन), कल्याणी दयाल (रचिता राम) और अंत में दाहा (आमिर खान)। देवा दुश्मनों से कैसे निपटता है? कहानी में क्या-क्या ट्विस्ट आते हैं? ऐसे कई सवालों के जवाब आपको फिल्म देखने के बाद मिलेंगे।
लोकेश कनगराज ने फिल्म का डायरेक्शन किया है। लेकिन इसे उनकी सबसे कमजोर फिल्म कहा जाए तो कुछ गलत नहीं होगा। कई ट्विस्ट और टर्न लाने के चक्कर में उन्होंने फिल्म में ऐसा मिश्रण बनाया है कि कई जगह आपका माथा घूम जाएगा। फर्स्ट हाफ तो फिर भी ठीक है, लेकिन सेकंड हाफ में आप भी पूछ पड़ेगे कि अरे भाई कहना क्या चाहते हो। एक्टिंग के पहलू से देखें तो फिल्म हिट है। रजनीकांत का कोई तोड़ नहीं है। नागार्जुन, सोबिन शाहिर, सत्यराज, श्रुति हासन, उपेन्द्र, आमिर खान समेत समेत कलाकारों ने अपने हिस्से का काम बखूबी किया है। AI तकनीक का इस्तेमाल का उपयोग भी फिल्म में हुआ है। रजनीकांत, सत्यराज, उपेन्द्र और महेश मांजरेकर आदि के जवानी के दिनों को इस तकनीक की मदद से दिखाया गया, जो अच्छा बन पड़ा है। फिल्म का म्यूजिक खास नहीं है। लेकिन बैकग्राउंड संगीत दमदार है। अगर एक लाइन में कहें तो अगर आप रजनीकांत, उनके एक्शन और उनकी स्टाइल के फैन हैं तो यह फिल्म आपके लिए ही बनी है।