
जुलाई में नेटफ्लिक्स और अमेजन प्राइम वीडियो जैसे प्लेटफॉर्म्स से कई फिल्मों को हटा दिया गया है। वजह है प्लेटफॉर्म के साथ इन फिल्मों का कॉन्ट्रैक्ट ख़त्म हो जाना। लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत में फिल्मों की OTT प्लेटफॉर्म्स के साथ डील किस तरह होती है? नहीं तो आइए आपको इस बारे में विस्तार से बताते हैं। भारत में डिजिटल प्लेटफॉर्म्स के साथ फिल्मों और वेब सीरीज की डील दो तरह से होती है। यह उनकी अवधि, शर्तों समेत कई बातों जैसे कि पॉपुलैरिटी, स्टार पावर, बजट और OTT के बिजनेस मॉडल पर निर्भर करती है।
यह नॉन एक्सक्लूसिव या फिक्स्ड टर्म डील होती है। इसकी अवधि आमतौर पर 1 साल से लेकर 5 साल तक की होती है। मान लीजिए कोई कोई थर्ड-पार्टी प्रोड्यूसर या स्टूडियो अपनी फिल्म को नेटफ्लिक्स या प्राइम वीडियो पर बेचता है तो ये अधिकार 2 साल के लिए दिए जाते हैं। समय अवधि पूरी होने पर प्लेटफॉर्म्स फिल्म या वेब सीरीज को हटा सकता है या फिर उसके व्यूज को देखते हुए डील को री-न्यू भी करा सकता है।
इसे फर्स्ट या डायरेक्ट टू OTT डील भी कहते हैं। इसकी अवधि 5 साल या फिर लाइफटाइम के लिए भी हो सकती है, जो कंटेंट पर निर्भर करती है। मान लीजिए अगर कोई फिल्म सीधे OTT पर आती है तो प्लेटफॉर्म के पास लंबे समय तक उसके राइट्स रहते हैं। इनके लिए नेटफ्लिक्स ओरिजिनल या अमेजन एक्सक्लूसिव जैसी टर्म्स से पहचाना जाता है। कभी-कभी ये डील हमेशा के लिए भी होती है। OTT ओरिजिनल फिल्मों को आमतौर पर तब तक दूसरी जगह रिलीज नहीं किया जा सकता, जब तक कि री-लाइसेंसिंग डील ना हो।
उदाहरण के तौर पर सिद्धार्थ मल्होत्रा स्टारर 'शेरशाह' अमेजन प्राइम एक्सक्लूसिव मूवी थी, इसकी अवधि 5 साल तक की थी। RRR की नेटफ्लिक्स के साथ लाइसेंसिंग डील हुई थी, इसलिए इसकी अवधि 2-3 साल थी। 'धमाका' नेटफ्लिक्स की ओरिजिनल फिल्म है, इसलिए इसे कभी नहीं हटाया जाएग।