एशियानेट न्यूज से हुई खास बातचीत में ‘रॉकेट बॉयज’ सीजन 2 के डायरेक्टर अभय पन्नू ने बताया कि उनके लिए इस सीरीज में ताशकंद और कंचनजंगा जैसे इंसिडेंट्स को शूट करना कितना मुश्किल था। उन्होंने नेहरू जी के निधन के बाद कांग्रेस की हालत पर भी बात की।
एंटरटेनमेंट डेस्क. वेब सीरीज 'रॉकेट बॉयज' (Rocket Boys) का दूसरा सीजन 16 मार्च से सोनी लिव पर वेबकास्ट हो रहा है। इसे दर्शकों को बेहतरीन रिस्पॉन्स मिला है। इस सीरीज में बताया गया है कि कैसे स्वतंत्रता के बाद भारत ने अंतरिक्ष को छूने और विश्वस्तर पर परमाणु शक्ति में समानता हासिल करने के लिए प्रयास किए। सीरीज के डायरेक्टर अभय पन्नू (Abhay Pannu) ने एशियानेट न्यूज के लिए विपिन विजयन से खास बात की।
Q. सीजन 2 के लिए 'स्माइलिंग बुद्धा' को क्यों चुना? क्या कभी आर्यभट्ट भारत का पहला सैटेलाइट था, क्या कभी यह माना गया?
A. देखिए, आर्यभट्ट 2020 में। हमने इसके बारे में सोचा था। लेकिन हमने पहला सीजन किया था, हमने ज्यादातर ध्यान रॉकेट के निर्माण पर केन्द्रित करने की कोशिश की और हमें लगा कि सीजन 2 के लिए हमें ज्यादातर बम के निर्माण पर फोकस करना चाहिए। हालांकि, शो का नाम 'रॉकेट बॉयज' है, लेकिन यह कहानी इस बारे में नही है कि रॉकेट कैसे बनते हैं। यह कहानी डॉ. होमी (जहांगीर) भाभा और डॉ. (विक्रम) साराभाई के बारे में है। हमें 'रॉकेट बॉयज' टाइटल अच्छा लगा, इसलिए हमने इसे चुन लिया। लेकिन कहानी इस बारे में है कि भारत ने अपना स्पेस प्रोग्राम कैसे लॉन्च किया और कैसे भारत ने परमाणु बम का परीक्षण किया। पहले सीजन में जहां हमने मुख्य रूप से इस बात पर फोकस किया कि भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम कैसे शुरू हुआ और सीजन 2 'स्माइलिंग बुद्धा' के बारे में है। जब हमने इसके बारे में रिसर्च शुरू की तो अहसास हुआ कि सिर्फ विक्रम साराभाई अकेले नहीं थे, जिन्होंने पहले सैटेलाइट (आर्यभट्ट) के परीक्षण में अहम भूमिका निभाई थी। जब हमने लिखना शुरू किया तो हमने सोचा कि संभवतः अगर हम तीसरा सीजन बनाते हैं तो हम आर्यभट्ट के बारे में बात करेंगे।"
Q. सीरीज में रजा और माथुर जैसे फिक्शनल कैरेक्टर की जरूरत क्यों पड़ी?
A. मैं यह कहने की कोशिश नहीं कर रहा हूं कि मेरे किरदारों की जिंदगी में पर्याप्त संघर्ष नहीं था। लेकिन मुझे लगा कि डॉ. भाभा और डॉ. सारा भाई के लिए चीजें तब तक आसान थीं, जब तक वे पंडित जवाहर नेहरू के आसपास रहे। जहां वे जाना चाहते थे, जा सकते थे, जितना पैसा उन्हें चाहिए थे, वह मिला। उनके पास जेआरडी टाटा थे, पंडित नेहरू थे। डॉ. साराभाई उस दौर के अंबानी थे। उनके पास सबकुछ था, वे वह सबकुछ कर सकते थे, जो वे करना चाहते थे।इसलिए एक कहानीकार और क्रिटिक के तौर पर मुझे यकीन है कि आप भी यह मानेंगे कि बिना संघर्ष और रोड़ों के कहानी नहीं हो सकती। मैं समझता हूं कि जब नेहरु जी का देहांत हो गया और शास्त्री जी सत्ता में आए तो पहला मौक़ा था, जब परमाणु कार्यक्रम को रोक दिया गया था। लेकिन एक ऐसी कहानी बताने के लिए जहां, किरदारों पर लगातार सवाल उठाए जा रहे हैं, उनका विरोध किया जा रहा है या नायकों की यात्रा का किसी तरह का विरोध हो रहा है, उसके लिए यह (रजा और माथुर जैसे किरदार) जरूरी है। मुझे नहीं लगता कि लोग यह समझते हैं कि जिंदगी उनके लिए बेहद मुश्किल नहीं थी। आपके पास एक ऐसा प्रधानमंत्री है, जो कह रहा है, जो करना चाहते हैं, वह करें। बिना किसी का नाम लिए अगर आज प्रधानमंत्री किसी बिजनेसमैन से कह दे कि जो करना चाहते हो, करो तो हम देख चुके हैं कि क्या होता है।"
क्या मैं अपनी कहानी में काल्पनिक पात्र नहीं रख सकता था? हो सकता है कि तीन साल बाद मैं कहूं कि ठीक है शायद मैं इसे उनके बगैर कर सकता था। शायद मैं ऐसी कहानी कह सकता था, जिसमें किसी तरह का टकराव नहीं था। या किरदारों की जिंदगी बिना किसी उथल-पुथल या अशांति के चल रही थी। लेकिन क्या मैं आपकी फैमिली और जनरेशन Z के लिए आकर्षक दृश्य बना पाता, जो कि इस बात की परवाह नहीं करते कि कोई काल्पनिक किरदार है या नहीं, प्योरिटी है या नहीं। आप और मैं शुद्धतावादी हैं। जाहिरतौर पर मैं इस बात से नफरत करूंगा कि उन्होंने शो में काल्पनिक किरदार क्यों डाले? लेकिन हमें शो का आइडिया जनरेशन Z तक पहुंचना था, मिलेनियल्स तक पहुंचना था, उन्हें यह बताना था कि इन किरदारों ने तमाम चुनौतियों के बावजूद क्या हासिल किया। इसलिए इन काल्पनिक किरदारों को पेश करने की जरूरत महसूस हुई।
Q. जब आप ताशकंद (जहां लाल बहादुर शास्त्री की रहस्यमयी तरीके से मृत्यु हुई) और कंचनजंगा (जहां एयर इंडिया विवाद के रहस्यमयी रूप से दुर्घटनाग्रस्त होने से डॉ. भाभा की मृत्यु हुई) जैसे विषयों से गुजर रहे थे तो कभी आपको महसूस हुआ कि जैसे कि आप बारूदी सुरंग से गुजर रहे हैं?
A. जाहिरतौर पर ऐसा था। इसे बनाना आसान नहीं था। यह एक बेहद ही मुश्किल शो था। क्योंकि हम सिर्फ डॉ. भाभा या डॉ. सारा भाई जैसे लीजेंड्स के बारे में बात नहीं कर रहे थे, बल्कि डॉ. कलाम, होमी सेठना, रमन्ना, इंदिरा गांधी, जवाहर लाल नेहरू, मृणालिनी साराभाई के बारे में भी बता रहे थे। ये सभी दिग्गज थे। इसलिए उनके योगदान और जिंदगी के साथ न्याय कर पाना चुनौतीपूर्ण था। फिर ताशकंद, कंचनजंगा के बारे में बात करना और उस संदर्भ में स्माइलिंग बुद्धा के बारे में बात करना, इन सभी को दिखाना बेहद चुनौतीपूर्ण था। मैं ये नहीं कह रहा हूं कि मुझे डर नहीं लगा था, मुझे डर लगा था। मैं इस बात से डरा हुआ था कि लोग कैसे रिएक्ट करेंगे। मुझे लगता है कि हमने बिना लोगों के गले में ठूंसे यह बता दिया कि यही हुआ था।
Q. आपने अपने शो में दिखाया कि जब नेहरू जी मृत्यु शैया पर थे, तब कांग्रेस के बीच अंतर्कलह हुई थी? कांग्रेस नेताओं ने इस पर आपको घेरा नहीं?
A. मुझे लगता है कि यह वाकई हुई थी। मुझे यकीन है कि आप भी यह जानते हैं कि कैसे (कुमारास्वामी) कामराज आए। वे किंगमेकर थे। उन्होंने ही यह सुनिश्चित किया था कि शास्त्री जी सत्ता में आएं, ना कि मोरारजी देसाई। क्योंकि उन्हें पता था कि अगर मोरारजी देसाई सत्ता में आए तो फिर कभी गांधी परिवार शासन नहीं कर पाएगा। मैंने यह भी बताया है कि गांधी परिवार कैसा था। बेहद बारीकी से मैंने यह दिखाने की कोशिश की है। वे सत्ता हथियाने की कोशिश कर रहे थे, जैसे कि यह उनका हक़ थी। यह ऐसा कुछ नहीं है, जिसे मैंने बनाया है। क्या यह उस दिन हुआ था, जिस दिन नेहरू का निधन हुआ? नहीं, लेकिन यह हुआ। यह जाहिरतौर पर हुआ।
तीसरा एपिसोड (रॉकेट बॉयज 2 का) लिखने से पहले मैंने कई चीजें पढ़ीं। मुझे लगता है कि मैंने गांधी परिवार को बेहद अच्छे तरीके से दिखाया है। मैंने 'स्माइलिंग बुद्धा' के लिए इंदिरा गांधी को क्रेडिट दिया, जो सही मायनों में उनका ही है। मैंने नेहरू को स्वतंत्र राष्ट्र और वैज्ञानिक यात्रा शुरू कराने का क्रेडिट दिया, जिसके वे सही में हकदार हैं। इसलिए अगर मैंने अच्छा दिखाया तो मुझे लगता है कि मुझे वह दिखाने का भी अधिकार है, जो अच्छा नहीं था।मैंने अपने सभी किरदार लगभग ऐसे ही लिखे हैं। मैंने दिखाया है कि डॉ.भाभा महत्वाकांक्षी थे और उन्होंने कई बड़े काम किए। मैंने कुछ चीजें ऐसी भी दिखाने की कोशिश की, जो उनके बारे में अच्छी नहीं थीं। इसी तरह डॉ. साराभाई महान थे, लेकिन आखिर में उनका एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर हो गया। इसलिए मैंने हर किसी को परफेक्ट दिखाने की कोशिश की। मैंने उन्हें इंसानों के रूओप में दिखाने की कोशिश की, जिनमें कांग्रेस पार्टी भी शामिल है।
Q. आगे क्या?
A. मैं एक फिल्म लिख रहा हूं। उम्मीद है कि अगले महीने या मई में इसका एलान कर दूंगा। मेरी एक एक्टर से बात चल रही है। इसलिए जल्दी ही अनाउंसमेंट हो सकता है।
Q. क्या यह पीरियड थ्रिलर होगी?
A. नहीं, यह पीरियड थ्रिलर नहीं होगी। यह भारत के बारे में और एक इंस्पायरिंग स्टोरी है। देखते हैं...
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