1. शांति के बराबर दूसरा तप नहीं है
कुछ लोगों के पास दुनिया की सभी सुख-सुविधाएं होती हैं, लेकिन इसके बाद भी उनके मन में शांति का भाव नहीं होता। उनके मन में अशांति का भाव हमेशा बना रहता है। आचार्य चाणक्य के अनुसार जिस व्यक्ति के मन में शांति का भाव होता वही वास्तव तपस्वी कहलाते हैं।