Published : Jan 24, 2021, 11:03 AM ISTUpdated : Jan 24, 2021, 12:17 PM IST
उज्जैन. विद्वानों ने महाभारत को पांचवां वेद कहा है। इस ग्रंथ में लाइफ मैनेजमेंट के भी अनेक सूत्र बताए गए हैं। ये सूत्र आज के समय में भी हमारा मार्गदर्शन करते हैं। महाभारत में मनुष्यों के स्वभाव से जुड़ी 6 ऐसे दोष बताए गए हैं, जिनकी वजह से व्यक्ति हमेशा दु:खी ही रहता है। जानिए कौन-से हैं वो 6 दोष… ईर्ष्या घृणो न संतुष्ट: क्रोधनो नित्यशङ्कित:।
परभाग्योपजीवी च षडेते नित्यदु:खिता:।। अर्थ- ईर्ष्या, घृणा, क्रोधी, असंतोष, दूसरों पर शक करने वाला और दूसरों पर आश्रित व्यक्ति हमेशा ही दुखी रहता है।
1. जो व्यक्ति ईर्ष्या करने वाला होता है, वो हमेशा दूसरों के सुख देखकर मन ही मन जलता रहता है। वो चाहकर भी किसी का भला नहीं सोचता और दूसरों की खुशियां देखकर दुखी होता रहता है।
26
2. जिस व्यक्ति के मन में घृणा का भाव होता है उसे दूसे लोगों को बात करना या किसी तरह का संबंध रखना पसंद नहीं होता। ऐसे लोग दूसरों की तरक्की देखकर दुखी होते हैं और अंदर ही अंदर उनसे जलते रहते हैं।
36
3. क्रोधी व्यक्ति भी हमेशा किसी न किसी बात पर दुखी ही रहता है क्योंकि ऐसे लोगों को अपने अच्छे-बुरे का भान नहीं होता। वो अपने क्रोधी स्वभाव के कारण कुछ न कुछ गलत कर बैठते हैं और बाद में पछता कर दुखी होते हैं।
46
4. कुछ लोग चाहे कितना भी आनंद से रहें, लेकिन उनके मन में अंसतोष की भावना बनी रहती है। ऐसे लोग किसी भी बात से खुश नहीं होते बल्कि दूसरों की खुशी होकर दुखी होते हैं। यही भाव उनके दुख कारण होता है।
56
5. कुछ लोगों का स्वभाव शक करने वाला होता है। यानी वे बिना किसी ठोस वजह से ही किसी पर भी शक करने लगते हैं। उन्हें लगता है कि वो जो सोच रहे रहे हैं, वही सच है। ऐसे लोग अपने शक्की स्वभाव के कारण हमेशा दुख पाते हैं।
66
6. कुछ लोग मजबूरी में दूसरे लोगों पर आश्रित रहते हैं, लेकिन कुछ का स्वभाव ही ऐसा होता है। ऐसे लोग हमेशा लोगों की आलोचना का शिकार होते हैं। इसलिए वे दुखी भी रहते हैं।