महर्षि गोकर्ण का वर्णन श्रीमद्भागवत (Shrimad Bhagwat) में मिलता है। इनका जन्म गाय से हुआ था। कथा के अनुसार, एक ब्राह्मण की कोई संतान नहीं थी, उसकी पत्नी भी बहुत कुटिल थी। एक बार एक महात्मा ने ब्राह्मण को एक फल देकर कहा कि इसे अपनी पत्नी को खिला देना, इससे तुम्हें योग्य संतान की प्राप्ति होगी। ब्राह्मण ने वो फल अपनी पत्नी को दे दिया, लेकिन उसने वो फल स्वयं न खाते हुए अपनी गाय को खिला लिया। पति को शक न हो इसके लिए वह कुछ दिन के लिए अपनी बहन के घर चली गई और उसके पुत्र को अपना बताकर उसका पालन-पोषण करने लगी। फल के प्रभाव से गाय गर्भवती हो गई और उसने एक मनुष्य रूपी पुत्र के जन्म दिया, उसके कान गाय की तरह थे, इसलिए उसका नाम गोकर्ण रखा गया। गोकर्ण महान तपस्वी और धर्मात्मा मुनि थे। उन्होंने ही श्रीमद्भागवत की कथा लोगों को सुनाई थी।