रक्षाबंधन की एक अन्य कथा के अनुसार, जब पांडव राजसूय यज्ञ कर रहे थे, तब उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण को अग्रपूजा के लिए चुना। ये देखकर शिशुपाल नाम का राजा श्रीकृष्ण को अपशब्द कहने लगा। काफी देर तक श्रीकृष्ण उसकी बात सुनते रहे क्योंकि उन्होंने शिशुपाल की 100 गलतियां माफ करने का वचन उसकी मां को दिया था। जैसे ही ये संख्या पूरी हुई श्रीकृष्ण ने अपने चक्र से उसका मस्तक काट दिया। इस दौरान श्रीकृष्ण की उंगली में भी चोंट आ गई थी, जिस पर द्रौपदी ने अपने वस्त्र से एक टुकड़ा फाड़कर उनकी उंगली पर पट्टी बांधी थी। तभी से रक्षाबंधन का पर्व मनाया जा रहा है।