Assam Election: एक समय था जब कांग्रेस ने पूछा था-आप कौन खां, आज इन्हीं के सामने जोड़ने पड़े 'हाथ'

गुवाहाटी, असम. पॉलिटिक्स एक ऐसी 'सोशल' फील्ड जिसमें हर तरह के लोग मिल जाएंगे। अमीर-गरीब, बिजनेसमैन, अनपढ़-पढ़े लिखे आदि। भारतीय लोकतंत्र की खासियत ही यही है कि चुनाव लड़ने के लिए सभी स्वतंत्र हैं। इनसे मिलिए! ये हैं बदरुदीन अजमल। असम की पॉलिटिक्स में इनका अच्छा दखल है। सेंट और परफ्यूम का बिजनेस करने वाले मौलाना अजमल साहब कासमी 17वीं लोक सभा के सांसद हैं। वे 2019 में असम के धुबरी सीट से 'आल इंडिया यूनाईटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट' पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़कर निर्वाचित हुए। कासमी लगातार तीन बार 2009, 2014 और 2019 लोक सभा चुनाव में जीत दर्ज कर चुके हैं। 12 फरवरी, 1950 को नगांव में जन्मे कासमी ने 'दारुल उलूम देवबंद' से पढ़ाई की। आपको जानकर हैरानी होगी कि एक समय में कांग्रेस सरकार ने इन्हें पहचानने से मना कर दिया था, लेकिन इस विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने कासमी की पार्टी से गठबंधन किया है।
 

Asianet News Hindi | Published : Mar 12, 2021 5:41 AM IST
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Assam Election: एक समय था जब कांग्रेस ने पूछा था-आप कौन खां, आज इन्हीं के सामने जोड़ने पड़े 'हाथ'

65 साल के अजमल कासमी ने 2005 में आल इंडिया यूनाईटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट(AIUDF) ने स्थापना की थी। तब 2006 में असम की तत्कालीन कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री तरुण गोगोई ने अजमल को पहचानने से तक इनकार कर दिया था। लेकिन आज परिस्थतियां बदल गई हैं। इस विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने उनकी पार्टी के साथ गठबंधन किया है।
 

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बता दें कि साल 2016 में असम के विधानसभा चुनावों में AIUDF को 14 सीटें मिली थीं, जबकि कांग्रेस को 19 सीटें। यह अलग बात रही कि 2019 के लोकसभा चुनाव में AIUDFकी सीटें 3 से घटकर एक रह गई। यानी अजमल अकेले सांसद बचे। साल 2006 में पार्टी  ने पहली बार चुनाव लड़ा था और 10 सीटें जीती थी। इनमें से दो हिंदू उम्मीदवार थे। 

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हालांकि भाजपा नेता हिमंत बिस्वा शर्मा मानते हैं कि असम की राजनीति में क्षेत्रीय पार्टियों का बहुत ज्यादा दखल नहीं है, लेकिन अजमल एक फैक्टर हैं। वे मुस्लिम वोट बैंक का ध्रुवीकरण करने का माद्दा रखते हैं। अजमल सामाजिक-धार्मिक मुस्लिम संगठन जमियत उलेमा-ए-हिंद की असम इकाई के अध्यक्ष हैं। 

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मौलाना अजमल सेंट-परफ्यूम का बिजनेस करते हैं। उनका कारोबार 50 से ज्यादा देशों में फैला हुआ है। माना जाता है कि उनकी पार्टी AIUDF का बंगाली मूल के मुस्लिमों पर गहरा प्रभाव है। 

(मोदी के साथ अजमल)

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असम विधानसभा चुनाव में इस बार National Register of Citizens for Assam (भारतीय राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर) का मुद्दा अहम है। ऐसे में अजमल की पार्टी कितना असर दिखाएगी, यह तो वक्त बताएगा, लेकिन कांग्रेस उनके जरिये इस मुद्दे को भुनाना चाहती है।

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