चुन्नू को पुलिस का मुखबिर बताया गया था, जिसके बाद पुलिस और एसटीएफ उसके पीछे पड़ गई। लेकिन, रीतलाल तक कभी नहीं पहुंच सकी। हालांकि साल 2010 में खुद आत्मसमर्पण कर दिया और निर्दलीय चुनाव लड़ा। वह बीजेपी प्रत्याशी से हार गया। बाद में जेल से ही एमलसी बन गया था। साल 2012 में रीतलाल पर मनी लॉन्ड्र्रिंग का केस भी दर्ज किया गया था।