Chhath Puja 2021: आज अंतिम दिन उगते सूर्य को दिया अर्घ्य, पानी में उतरकर पूजा-अर्चना, छठ घाटों पर उमड़ी भीड़

पटना। प्रकृति की आराधना का महापर्व छठ पूजा के चौथे दिन उगते सूर्यदेव को  श्रद्धालुओं ने अर्घ्य दिया है। इसी के साथ छठ महापर्व संपन्न हो गया। यहां कई घाटों पर व्रती रात तक रुके रहे। छठ पूजा के अंतिम दिन श्रद्धालुओं की घाटों पर भीड़ देखी गई। छठव्रतियों और श्रद्धालुओं ने गुरुवार को उगते सूर्य को अर्घ्य दिया। पटना समेत अन्य जिलों के सभी घाटों पर सुबह से ही लोगों की भीड़ जुटनी शुरू हो गई थी। महूर्त के अनुसार सुबह 6.41 बजे लोगों ने उगते सूर्य को अर्घ्य दिया और पारण किया। छठ पूजा के आखिरी दिन उषा अर्घ्य का दिन भी कहा जाता है, इसे पारण भी कहते हैं, क्योंकि इस दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद छठ व्रत का पारण कर लिया जाता है। तस्वीरों में देखिए छठ महापर्व के अंतिम दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देते श्रद्धालु...
 

Asianet News Hindi | Published : Nov 11, 2021 2:14 AM IST / Updated: Nov 11 2021, 07:49 AM IST

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Chhath Puja 2021: आज अंतिम दिन उगते सूर्य को दिया अर्घ्य, पानी में उतरकर पूजा-अर्चना, छठ घाटों पर उमड़ी भीड़

छठ पर्व के आखिरी दिन सुबह से ही नदी के घाटों पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ना शुरू हो जाती है। इस दिन व्रती और उनके परिवार के लोग नदी के किनारे बैठकर जमकर गाना-बजाना करते हैं और उगते सूरज का इंतज़ार करते हैं।

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सूर्य जब उगता है तब उसे अर्घ्य अर्पित किया जाता है, इसके बाद व्रती एक दूसरे को प्रसाद देकर बड़े बुजुर्गों का आशीर्वाद लेते हैं। बाद में व्रती अपने घर आकर अदरक और पानी से अपना 36 घंटे का कठोर  व्रत को खोलते हैं।

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व्रत खोलने के बाद स्वादिष्ट पकवान आदि खाए जाते हैं और इस तरह पावन व्रत का चौथे दिन समापन हो जाता है। घरों में खुशहाली और आनंद का माहौल देखने को मिलता है।
 

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आज उषा अर्घ्य सूर्योदय का समय सुबह 06:41 बजे था। उषा अर्घ्य अर्थात इस दिन सुबह सूर्योदय से पहले नदी के घाट पर पहुंचकर उगते सूर्य को अर्घ्य देते हैं।
 

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यह अर्घ्य सूर्य की पत्नी उषा को दिया जाता है। मान्यता है कि विधि विधान से पूजा करने और अर्घ्य देने से सभी तरह की मनोकामना पूर्ण होती हैं।
 

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इस तरह दें अर्घ्‍य
1. छठ के अंतिम दिन सूर्योदय से पूर्व शुद्ध होकर स्नान कर लें।
2. इसके बाद उदित होते सूर्य के समक्ष जल में खड़े हो जाएं।

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3. खड़े होकर तांबे के पात्र में पवित्र जल भर लें।
4. उसी जल में मिश्री भी मिलाई जाती है।
5. तांबे के लौटे में लाल फूल, कुमकुम, हल्दी आदि डालकर सूर्य को यह जल अर्पित करते हैं।

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6. दोनों हाथों से तांबे के पात्र को पकड़ कर इस तरह जल चढ़ाएं कि कि सूर्य जल चढ़ाती धार से दिखाई दें।
7. फिर दीप और धूप से सूर्य की पूजा करें और आशीर्वाद मांगें।
 

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छठ घाट पर रंग-बिरंगे बल्बों से आकर्षक सजावट के साथ रोशनी की व्यवस्था की गई थी। सुरक्षा के भी पुख्ता इंतजाम किए गए थे। उगते सूर्य को अर्घ्‍य देने के साथ ही यह महापर्व संपन्‍न हो गया। इसके बाद व्रतियों ने अपने घरों में पारण किया।

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इससे पहले बुधवार को अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्‍य देने के लिए घाटों पर भीड़ उमड़ पड़ी थी। छठ व्रती और उनके परिजनों ने भगवान सूर्य को अर्घ्‍य दिया और सुबह के इंतजार के साथ अपने घर वापस लौट गए थे।

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बुधवार को सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित करने के बाद देर शाम सभी छठव्रती घर लौट गए। जबकि कुछ व्रतियों ने घाट पर ही रात बिताई।

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