दूसरे विश्वयुद्ध में जान लेने के लिए जिस कारखाने में बनवाए गए थे बम, अब बचाने में कुछ यूं आ रहा काम

मुंगेर। 1941-45 के बीच हुए द्वितीय विश्व युद्ध को दुनिया का सबसे बड़ा युद्ध कहा जाता है। कई राष्ट्रों के बीच हुए इस युद्ध में लाखों लोगों की मौत हुई थी। उस समय भारत अंग्रेजों का गुलाम था। जाहिर है भारत से सभी संसाधनों पर ब्रिटिश हुकूमत का सिक्का चलता था। चूंकि विश्व युद्ध में ब्रिटेन भी था। इस कारण भारतीय सेना के साथ-साथ उस समय भारत के सभी संसाधन द्वितिय विश्व युद्ध में अंग्रेजों की मदद कर रहे थे। उस समय भारत में जहां तोप के गोले और बारूद बनते थे, आज वहीं कोरोना से युद्ध के लिए सैनिटाइजर, वेंटिलेंटर और हॉस्पिटल के बेड बन रहे हैं। 

Asianet News Hindi | Published : Apr 6, 2020 6:29 AM IST
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दूसरे विश्वयुद्ध में जान लेने के लिए जिस कारखाने में बनवाए गए थे बम, अब बचाने में कुछ यूं आ रहा काम
उस समय भारत में जहां तोप के गोले और बारूद बनते थे, आज वहीं कोरोना से युद्ध के लिए सैनिटाइजर, वेंटिलेंटर और हॉस्पिटल के बेड बन रहे हैं।
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एशिया की सबसे पुराने रेल कारखानों में शुमार जमालपुर रेल कारखाना में इस समय सैनिटाइजर, वेंटिलेटर और हॉस्टपिटलों के लिए बेड का निर्माण किया जा रहा है। जमालपुर रेल फैक्ट्री में 24 से ज्यादा कुशल कारीगरों ने प्रथम चरण में 500 लीटर सैनिटाइजर निर्माण के लक्ष्य को पूरा किया है। अब यहां वेंटिलेटर भी तैयार किए जा रहे हैं। इंजीनियर और कारीगरों की टीम को वेंटीलेंटर बनाते देखा जा सकता है।
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एशिया की सबसे पुरानी रेल कारखानों में शुमार जमालपुर रेल कारखाना की। 8 फरवरी 1862 को स्थापित जमालपुर रेल कारखाना में इस समय सैनिटाइजर, वेंटिलेटर और हॉस्टपिटलों के लिए बेड का निर्माण किया जा रहा है। जमालपुर रेल फैक्ट्री में 24 से ज्यादा कुशल कारीगरों ने प्रथम चरण में 500 लीटर सैनिटाइजर निर्माण के लक्ष्य को पूरा किया है।
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कुशल कारीगरों के द्वारा तेजी से अस्पतालों के लिए सैकड़ों बेड का निर्माण कार्य युद्ध स्तर पर किया जा रहा है। वहीं यहां तैयार होने वाले सैनिटाइजर को जिला प्रशासन शहर के मुख्य रेलवे अस्पताल रेलवे हॉस्टल सहित रेलवे यूनिट में बनाए गए होम आइसोलेशन में भर्ती संदिग्धों के लिए उपलब्ध कराया जा रहा है।
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कारखाना के डिप्टी क्रेन इंचार्ज पीके मांझी ने बताया है कि वर्कशॉप जमालपुर में प्रथम चरण में सैनिटाइजर एवं वेटंटिलेटर के साथ अस्पतालों के लिए बेड का निर्माण कार्य भी आरंभ कर दिया गया है।
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खास बात यह है कि इस वेंटिलेटर की लागत महज 10 हजार रुपये ही है। पूर्व रेलवे के महाप्रबंधक और रेल मंत्रालय को इसकी जानकारी दी गई है। जमालपुर रेल कारखाने में केवल रेल संबंधी निर्माण ही नहीं किए गए हैं। देश की जरूरतों के अनुसार इसने रेल के अलावा अन्‍य चीजें भी बनाई हैं। दूसरे विश्‍वयुद्ध के दौरान यहां बम बनाए गए थे।
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