उम्र कैद की सजा काट रहे ब्रजेश ठाकुर के पास नहीं रहा जुर्माना भरने के लिए पैसा, कभी सरकार के था बेहद करीब

पटना (Bihar) । मुजफ्फरपुर के शेल्टर होम में नाबालिग बच्चियों और युवतियों से दुष्कर्म मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे ब्रजेश ठाकुर ने कोर्ट में अर्जी दी है। जिसमें कहा कि उसकी आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं है कि वह इस बड़े जुर्माने को भर सके। दिल्ली की साकेत कोर्ट ने ब्रजेश ठाकुर को उम्र कैद की सजा सुनाते वक्त अलग-अलग धाराओं में उस पर करीब 32 लाख का जुर्माना भी लगाया था। जांच एजेंसी सीबीआई की तरफ से कभी बिहार सरकार के करीब रहे ब्रजेश ठाकुर को इस मामले में मुख्य आरोपी बनाया गया था। साथ ही इस मामले के सामने आने के बाद सीबीआई और ईडी की तरफ से ब्रजेश ठाकुर के सभी बैंक अकाउंट सील कर दिया गया था।

Asianet News Hindi | Published : Jul 23, 2020 4:21 AM IST / Updated: Jul 23 2020, 09:56 AM IST

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उम्र कैद की सजा काट रहे ब्रजेश ठाकुर के पास नहीं रहा जुर्माना भरने के लिए पैसा, कभी सरकार के था बेहद करीब


ब्रजेश ठाकुर के अलावा 18 और लोगों को भी इस मामले में दोषी ठहराया था। इस मामले में अभी तक सभी दोषी जेल में बंद है। दोषियों में एक दिलीप ने कुछ समय पहले ही दिल्ली हाई कोर्ट में जमानत की अर्जी लगाई है, जिस पर सुनवाई 25 अगस्त को होनी है।

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ब्रजेश ठाकुर ने दिल्ली हाई कोर्ट में निचली अदालत के 20 जनवरी और 11 फरवरी के आदेश को चुनौती दी है। दिल्ली हाई कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई करते हुए सीबीआई को नोटिस जारी कर दिया है और अगली सुनवाई (25 अगस्त) तक इस मामले में एजेंसी को अपना जवाब दाखिल करने का वक्त दिया गया है।
 

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ब्रजेश ठाकुर ने अपनी अर्जी में कहा है कि निचली अदालत का दिया गया फैसला सही नहीं है और कोर्ट में उसको अपनी बात रखने का मौका ट्रायल के दौरान नहीं दिया गया। 
 

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बता दें कि यह पूरा मामला बिहार के शेल्टर होम में नाबालिग बच्चियों और युवतियों से दुष्कर्म से जुड़ा हुआ है। सीबीआई ने कोर्ट में दाखिल की गई अपनी चार्जशीट में बताया कि जिस शेल्टर होम में बच्चियों के साथ दुष्कर्म होता रहा उसको ब्रजेश ठाकुर ही चला रहा था।

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सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर इस पूरे मामले की सुनवाई दिल्ली की साकेत फास्ट ट्रैक कोर्ट में पूरी हुई थी। ये पूरा मामला टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंस की रिपोर्ट के सामने आने के बाद खुला था। इसमें मुख्य आरोपी के तौर पर ब्रजेश ठाकुर का नाम आया, जो बिहार सरकार के बेहद करीब था।

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