बिहार में कोरोना और बाढ़ बनी आफत, घरों में घुसा पानी, नाव में रहने को मजबूर लोग, कुछ यूं काट रहे जिंदगी

पटना (Bihar) । बिहार में हर ओर पानी-पानी हो गया है। इस समय 8 जिले तो बाढ़ की चपेट में हैं। कहा जा रहा है कि यहां करीब तीन लाख लोग फंसे हैं। हालांकि इनके खाने-पीने की व्यवस्था सुनिश्चित कराने के लिए बिहार प्रशासन अब  सामुदायिक रसोईघर का संचालन कराना शुरू कर दिया है। वहीं, उत्तर बिहार के कई जिलों में भारी बारिश और वज्रपात का अलर्ट जारी किया गया है। आज हम आपको बिहार में कोरोना के साथ आफत बनी बाढ़ के बारे में बता रहे हैं, जिसकी तस्वीरें देखने के बाद कोई भी आसानी से समझ सकेगा कि कैसे बिहार के लोग परेशानियों का सामना करने को मजबूर हैं।  

Asianet News Hindi | Published : Jul 20, 2020 3:52 AM IST / Updated: Jul 21 2020, 02:44 PM IST
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बिहार में कोरोना और बाढ़ बनी आफत, घरों में घुसा पानी, नाव में रहने को मजबूर लोग, कुछ यूं काट रहे जिंदगी


बाढ़ की चपेट में बिहार के 8 जिले हैं। प्रभावित जिलों में सीतामढ़ी, शिवहर, सुपौल किशनगंज, दरभंगा, मुजफ्फरपुर, गोपालगंज और पूर्वी चंपारण शामिल है। इन आठों जिलों के 37 प्रखंड के 153 पंचायत शामिल हैं।

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आपदा प्रबंधन विभाग के अनुसार 2.92 लाख लोग अभी बाढ़ की चपेट में है, जिसमें सबसे अधिक दरभंगा के 1 लाख 58 हजार तो किशनगंज के सबसे कम मात्र 290 लोग बाढ़ से प्रभावित हैं।

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सरकार ने प्रभावितों की सहायता के लिए 7 राहत शिविर खोले हैं, जिसमें सुपौल में दो दरभंगा में दो और गोपालगंज में तीन है। इन राहत शिविरों में 2306 लोग रह रहे हैं, जबकि प्रभावितों के लिए जिला प्रशासन की ओर से सामुदायिक रसोईघर का भी संचालन शुरू कर दिया गया है। 

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आपदा प्रबंधन विभाग ने कोरोना काल में जिला प्रशासन को पहले ही निर्देश दे रखा है कि लोगों की सुरक्षा का हर हाल में पालन किया जाए। कॉम्युनिटी किचन में पूरी सतर्कता बरतें और बच्चों व वृद्धों को कोरोना से बचाने के लिए सोशल डिस्टेंसिंग अनिवार्य रूप से मेंटेन करें। 

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उत्तर बिहार में नदियों के पानी में उतार-चढ़ाव के बीच बाढ़-कटाव के संकट से तबाही का दौर जारी है। शनिवार को सीतामढ़ी में एप्रोच पथ तो मधुबनी में पुलिया ध्वस्त हो गई है। 
 

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मुजफ्फरपुर के अहियापुर थाने में पानी घुस गया। सीतामढ़ी में डूबने से दो की मौत हो गई। वहीं, कई मकान, स्कूल और आंगनबाड़ी केंद्र गिरकर पानी में समा गए। 
 

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मुजफ्फरपुर में बूढ़ी गंडक के उफानाने से शहर के निचले इलाकों पर पानी का दबाव बढ़ गया है। जीरोमाइल स्थित अहियापुर थाने में भी बाढ़ का पानी प्रवेश कर गया। वहीं, कई इलाकों में संपर्क मार्ग ही बह गया।
 

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नदी का पानी तेजी से बढ़ने के कारण निचले इलाके के मोहल्ले तेजी से खाली हो रहे हैं। लखनदेई और मनुषमारा का पानी औराई और कटरा के बाढ़ प्रभावित इलाकों में फिर तेजी फैल रहा है।

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राज्य के आठ जिलों- सीतामढ़ी, शिवहर, सुपौल, किशनगंज, दरभंगा, मुजफ्फरपुर, गोपालगंज और पूर्वी चंपारण के 30 प्रखंडों के 150 ग्राम पंचायतें अभी बाढ़ से प्रभावित हैं। इन पंचायतों की दो लाख 90 हजार आबादी प्रभावित हुई है। 

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गोपालगंज के बैकुंठपुर में गंडक नदी पर बने सत्तर घाट महासेतु की सड़क एक पुल के पास बुधवार शाम को बह गई थी। 264 करोड़ रुपए में बने इस पुल का 29 दिन पहले ही उद्घाटन सीएम नीतीश कुमार ने किया था। 
 

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बिहार में नदियां कहीं ना कहीं लाल निशान से ऊपर ही बह रही हैं।  बागमती दरभंगा, सीतामढ़ी और मुजफ्फरपुर में अब भी खतरे के निशान से ऊपर है।

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