37 रुपए लेकर मुंबई आए थे अनुपम खेर, रेलवे प्लेटफॉर्म पर गुजारी रातें, इसलिए भिड़े थे महेश भट्ट से

मुंबई. अपनी अदाकारी, डायलॉग और बेबाकी के लिए फेमस अनुपम खेर (Anupam Kher) को फिल्म इंडस्ट्री में 37 साल पूरे हो गए हैं। 25 मई, 1984 को उन्होंने फिल्म सारांश (Film Saransh) से बॉलीवुड में कदम रखा था। महेश भट्ट (Mahesh Bhatt) की इस फिल्म में उन्होंने 28 साल की उम्र में 70 साल के बूढ़े शख्स का किरदार निभाया था। फिल्म में अनुपम ने एक ऐसे पिता का किरदार निभाया था, जिसके बेटे का निधन हो जाता है। उनके साथ रोहिणी हट्टंगड़ी लीड रोल में थीं। उन्होंने अपने किरदार में इस तरह जान डाल दी थी हर तरफ सिर्फ उन्हीं की तारीफ हो रही थी। हालांकि, इस फिल्म को पाने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ा था। और यहां तक पहुंचने के लिए उन्होंने कई पापड़ बेले। 

Asianet News Hindi | Published : May 25, 2021 12:26 PM IST
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37 रुपए लेकर मुंबई आए थे अनुपम खेर, रेलवे प्लेटफॉर्म पर गुजारी रातें, इसलिए भिड़े थे महेश भट्ट से

सारांश के 37 साल पूरे होने पर अनुपम खेर ने ट्विटर पर एक वीडियो शेयर किया। उन्होंने वीडियो शेयर कर लिखा- आज मेरी पहली फिल्म सारांश को रिलीज हुए 37 साल हो गए। जब मैंने ये वीडियो रिकॉर्ड करना शुरू किया, मैं आप सब का शुक्रिया अदा करना चाहता था!। पर देखिए बात कहां से कहां पहुंच गई। ये है सारांश का प्रभाव। मेरे करियर पर मेरी जिंदगी पर! धन्यवाद भट्ट साहब और  @rajshri! आप सबको भी शत शत नमन।

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संघर्ष के दिनों में अनुपम खेर रेलवे प्लेटफॉर्म पर रात गुजारा करते थे। उन्होंने अपने स्ट्रगल के बारे में एक इंटरव्यू में कहा था- मैं मुंबई कलाकार बनने आया। उस समय मेरी जेब में कुल 37 रुपए थे। उन दिनों मैं रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्म पर सोता था।

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शायद कम ही लोग जानते हैं कि अनुपम को अपनी पहली फिल्म किन मुश्किलों में मिली थी। सारांश में रोल मिलने के बाद उन्होंने 6 महीने पहले से ही अपने किरदार के लिए तैयारी शुरू कर दी थी। लेकिन इसके बाद उन्हें पता चला कि महेश भट्ट ने उन्हें फिल्म से निकालकर संजीव कुमार को वो रोल दे दिया। 

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खबरों की मानें तो इस बात से अनुपम खेर बहुत नाराज हुए और गुस्से में उन्होंने महेश भट्ट के घर जाकर उन्हें श्राप दे दिया था। अनुपम खेर ने इस घटना का जिक्र एक इंटरव्यू में किया था। 

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उन्होंने बताया था- जब फिल्म से निकाले जानें की खबर सुनी तो मैंने मुंबई छोड़ने का फैसला किया। अपना सामान पैक किया और टैक्सी में निकल पड़े। लेकिन मुंबई छोड़ने से पहले मैं महेश भट्ट से मिलने गया, जहां गुस्से में मैंने उन्हें खूब बुरा- भला कहा।

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उन्होंने बताया था- मैं टैक्सी से स्टेशन की तरफ निकल रहा था लेकिन मैंने कहा कि नहीं मैं भट्ट साहब को जाकर बोल देता हूं कि मैं उनके बारे में क्या सोचता हूं। मैं उनके घर जाकर उन्हें खिड़की के पास ले गया। उन्हें टैक्सी दिखाते हुए कहा कि मैं ये शहर छोड़कर जा रहा हूं। आपसे बड़ा धोखेबाज, फ्रॉड कोई नहीं है। मैं रो भी रहा था।

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अनुपम खेर ने बताया था- मैंने महेश से कहा था आप फिल्म सच्चाई पर बना रहे हो, आपकी जिंदगी में ही सच्चाई नहीं है। मैं ब्राह्मण हूं, आपको श्राप देता हूं। ये देखकर भट्ट शॉक्ड रह गए। मैं जाने लगा तो उन्होंने मुझे रोका और कहा कि तुमने जो अभी किया वो कोई नहीं कर सकता, तुम ही फिल्म करोगे।

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फिर महेश भट्ट ने राजश्री प्रोडक्शन को फोन कर कहा कि यदि इस फिल्म में अनुपम खेर नहीं होंगे तो वे ये फिल्म निर्देशित नहीं करेंगे। इस तरह यह रोल अनुपम खेर को मिला करीब 1 करोड़ के बजट में बनी इस फिल्म ने 2 करोड़ का बिजनेस किया था।

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1984 में इस फिल्म को 57वें ऑस्कर अवॉर्ड्स में इंडिया की तरफ से ऑफिशियल एंट्री के तौर पर भेजा गया था, हालांकि फाइनल दौड़ का फिल्म हिस्सा नहीं बन पाई।

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अनुपम खेर ने अपने 37 साल के फिल्मी करियर में कई तरह के रोल प्ले किए। वो कॉमेडी फिल्मों से लेकर एक्शन और फैमिली ड्रामा फिल्मों में काम कर चुके हैं। इतना ही नहीं वो बॉलीवुड के अलावा हॉलीवुड फिल्मों का भी हिस्सा रह चुके हैं।

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अनुपम ने अपने करियर में अर्जुन, जानम, आखिरी रास्ता, कर्मा, संसार, हत्या, तेजाब, राम लखन, डैडी, चालबाज, त्रिदेव, दिल, लम्हे, हम, दिल है के मानता नहीं, बेटा, शोला और शबनम, डर, हम आपके हैं कौन, दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे, कुछ कुछ होता है, मोहब्बतें, क्या कहना जैसी कई सुपरहिट फिल्मों में काम किया है। 

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