Economic Survey : इस साल विकास दर माइनस 7.7 फीसदी, अगले साल 11 फीसदी विकास की उम्मीद

बिजनेस डेस्क। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने शुक्रवार को संसद में बजट सत्र से पहले वित्तीय वर्ष 2020-21 का आर्थिक सर्वेक्षण (Economic Survey) पेश किया। इस सर्वे के मुताबिक कोरोना महामारी (Covid-19 Pandemic) की वजह से इस साल सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में 7.7 फीसदी की गिरावट आ सकती है। हालांकि, इस सर्वे में यह भी कहा गया कि इसके बाद अर्थव्यवस्था में तेजी से सुधार होने की संभवाना है और 2021-22 में जीडीपी की विकास दर 11 फीसदी होगी। कोरोना महामारी का असर पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था पर पड़ा है। इसके बाद अर्थव्यवस्था को पटरी पर आने में कम से कम 2 साल लग जाएंगे। बता दें कि इससे पहले 1979-80 में 5.2 फीसदी की नेगेटिव ग्रोथ रही थी। 7.7 फीसदी की नेगेटिव ग्रोथ आजादी के बाद सबसे ज्यादा होगी। (फाइल फोटो)
 

Asianet News Hindi | Published : Jan 30, 2021 6:43 AM IST
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Economic Survey : इस साल विकास दर  माइनस 7.7 फीसदी, अगले साल 11 फीसदी विकास की उम्मीद
कोरोना महामारी की वजह से लगाए गए लॉकडाउन के चलते अप्रैल से जून 2020 के बीच जीडीपी 23.9 फीसदी घट गई थी। अनलॉक की प्रक्रिया शुरू होने के बाद जह स्थिति में कुछ सुधार आया, तो सितंबर तिमाही में जीडीपी में गिरवट 7.5 फीसदी रह गई थी। 2020-21 की पहली छमाही में जीडीपी में 15.7 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई। सर्वे में यह अनुमान व्यक्त किया गया है कि दूसरी छमाही में गिरावट 0.1 फीसदी हो सकती है। (फाइल फोटो)
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जीडीपी में गिरावट की मुख्य वजह सरकारी खर्च का बढ़ना बताया गया है। इस साल 20 जनवरी तक सरकारी कंपनियों के शेयर की बिक्री से सरकार को 15,220 करोड़ रुपए मिले हैं। वहीं, बजट में इसके लिए 2.1 लाख करोड़ रुपए का लक्ष्य रखा गया था। (फाइल फोटो)
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आर्थिक सर्वे में कृषि के क्षेत्र में विकास दर 3.4 फीसदी रहने का अनुमान जताया गया है। कहा गया है कि जीडीपी में इसकी हिस्सेदारी बढ़ेगी। पिछले साल यह 17.8 फीसदी थी, जिसके इस साल बढ़ कर 19.9 फीसदी होने का अनुमान जाहिर किया गया है। इंडस्ट्री में इस साल 9.6 फीसदी गिरावट का अंदेशा है, वहीं सर्विस सेक्टर में ग्रोथ माइनस 8.8 फीसदी रहने का अनुमान व्यक्त किया गया है। (फाइल फोटो)
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इस सर्वे में नए कृषि कानूनों को छोटे किसानों के लिए फायदे वाला बताया गया है। इन कृषि कानूनों के विरोध में किसान दो महीने से आंदोलन कर रहे हैं। सर्वे में कहा गया कि इन कानूनों के लागू होने से होल सेलर और बड़े रिटेलर्स के साथ सौदा करने में किसानों को ज्यादा फायदा होगा। बता दें कि देश में 85 फीसदी छोटे किसान हैं। (फाइल फोटो)
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इस आर्थिक सर्वे में कहा गया है कि नए कृषि कानूनों के तहत किसान अपनी फसल की कीमत खुद तय कर सकेंगे। इसमें रिस्क उनके लिए होगा, जो किसानों के साथ कॉन्ट्रैक्ट खेती का समझौता करेंगे। नए कानूनों में ऐसी व्यवस्था है कि किसानों को उनकी फसल की कीमत 3 दिन के अंदर मिल जाएगी। वहीं, कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग की व्यवस्था से खेती के क्षेत्र में नई टेक्नोलॉजी आएगी। (फाइल फोटो)
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आर्थिक सर्वे में स्वास्थ्य संबंधी सुविधाओं पर सरकारी खर्च कुल जीडीपी का 2.5 से 3 फीसदी तक ले जाने की बात कही गई है। यह लक्ष्य साल 2017 की नेशनल हेल्थ पॉलिसी (National Health Policy) में भी रखा गया था। इसके बावजूद यह 1 फीसदी के करीब ही है। सर्वे में कहा गया है कि इंटरनेट कनेक्टिविटी और हेल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने के लिए खर्च बढ़ाया जाना चाहिए। (फाइल फोटो)
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सर्वे में आर्थिक विकास की दर तेज करने के लिए किए जाने वाले उपायों का जिक्र भी किया गया है। इसमें भारत को दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने के लिए नए तरीकों यानी इनोवेशन पर ध्यान देने की जरूरत बताई गई है। बता दें कि भारत अभी दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। कोरोना संकट की वजह से विश्व अर्थव्यवस्था में 4.4 फीसदी की गिरावट होने का अनुमान भी जताया गया है। यह इस सदी की सबसे बड़ी गिरावट होगी। (फाइल फोटो)
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