PHOTOS: ICICI बैंक की CEO रहीं चंदा कोचर ने छुई बड़ी ऊंचाई, फिर आखिर क्यों बर्बाद हो गया करियर

बिजनेस डेस्क। एक मैनेजमेंट ट्रेनी से अपने करियर की शुरुआत करके चंदा कोचर (Chanda Kochhar) लगातार तरक्की करते हुए आईसीआईसीआई बैंक (ICICI Bank) के सीईओ (CEO) पद पर पहुंच गईं। बैंकिंग सेक्टर में उन्होंने पुरुषों के वचर्स्व और एकाधिकार को खत्म किया। चंदा कोचर करोड़ों के दौलत की मालकिन बन गईं। इसके अलावा, उन्हें सरकार से भी सम्मान मिला। लेकिन एक गलती ने उनके पूरे करियर को दागदार बना दिया और उन्हें पद भी छोड़ना पड़ा। आज उनकी संपत्ति तक कुर्क की जा चुकी है। जानें, भारतीय कॉरपोरेट जगत की बड़ी शख्सियत में शुमार चंदा कोचर के सफरनामे के बारे में।

Asianet News Hindi | Published : Nov 17, 2020 9:33 AM IST / Updated: Nov 17 2020, 03:05 PM IST

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PHOTOS: ICICI बैंक की CEO रहीं चंदा कोचर ने छुई बड़ी ऊंचाई, फिर आखिर क्यों बर्बाद हो गया करियर

ऐसे हुई करियर की शुरुआत
चंदा कोचर ने भारतीय बैंकिंग सेक्टर में पुरुषों के वर्चस्व और एकाधिकार को चुनौती देने के साथ पूरी दुनिया में बैंकिंग सेक्टर में अपनी एक अलग पहचान बनाई। चंदा कोचर का जन्म राजस्थान के जोधपुर में एक सिंधी परिवार में हुआ। उन्होंने मुंबई यूनिवर्सिटी से कॉमर्स में बैचलर की डिग्री ली और इंस्टीट्यूट ऑफ कॉस्ट अकाउंटेट्स ऑफ इंडिया से कॉस्ट अकाउंटेसी किया। इसके बाद उन्होंने मुंबई यूनिवर्सिटी से मैनेजमेंट में मास्टर डिग्री ली।

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ऐसे मिली कामयाबी
साल 1984 में बतौर मैनेजमेंट ट्रेनी चंदा कोचर ने आईसीआईसीआई बैंक (ICICI Bank) जॉइन किया। 1994 में आईसीआईसीआई पूर्ण स्वामित्व वाली बैंकिंग कंपनी बन गई। इसके बाद  चंदा कोचर को असिस्टेंट जनरल मैनेजर बनाया गया। चंदा कोचर लगातार सफलता की सीढ़ियां चढ़ती चली गईं। डिप्टी जनरल मैनेजर (DGM) और जनरल मैनेजर (GM) के पदों पर रहने के बाद 2001 में उन्हें बैंक में एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर (Excutive Director) बना दिया गया। इसके बाद उन्हें कॉरपोरेट बिजनेस देखने की जिम्मेदारी सौंपी गई। फिर वो चीफ फ़ाइनेंशियल ऑफिसर (CFO) बनाई  गईं।

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मिला पद्मभूषण पुरस्कार
साल 2009 में चंदा कोचर को आईसीआईसीआई बैंक (ICICI Bank) का सीईओ (CEO) और मैनेजिंग डायरेक्टर (MD) बनाया गया। चंदा कोचर की लीडरशिप में आईसीआईसीआई बैंक ने रिटेल बिजनेस के क्षेत्र में कदम रखा, जिसमें उसे अच्छी सफलता मिली। चंदा कोचर की योग्यता और बैंकिंग सेक्टर में उनके योगदान को देखते हुए भारत सरकार ने साल 2011 में उन्हें अपने तीसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्म भूषण से  नवाजा।

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फोर्ब्स मैगजीन ने लिस्ट में किया शामिल
चंदा कोचर को फोर्ब्स मैगजीन (Forbes Magazine) ने दुनिया की सबसे शक्तिशाली महिलाओं की लिस्ट में शामिल किया था। लेकिन एक बड़े लोन विवाद के मामले में चंदा कोचर को आईसीआईसीआई बैंक के सीईओ पद से इस्तीफा देना पड़ा। बैंक की कर्जदार कंपनी वीडियोकॉन ग्रुप (Videocon Group) की ओर से  चंदा कोचर के पति दीपक कोचर (Deepak Kochhar) की कंपनी में निवेश को लेकर गड़बड़ी के आरोपों के बाद चंदा कोचर ने अक्टूबर 2018 में अपने पद से इस्तीफा दे दिया।
 

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इस्तीफा देने की वजह 
चंदा कोचर पर मार्च 2018 में अपने पति दीपक कोचर को आर्थिक फ़ायदा पहुंचाने के लिए अपने पद के दुरुपयोग का आरोप लगा था। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, आईसीआईसीआई बैंक ने वीडियोकोन समूह को 3,250 करोड़ रुपए का लोन दिया था। वीडियोकॉन ग्रुप ने इस लोन में से 86 फीसदी (करीब 2810 करोड़ रुपये) नहीं चुकाए। साल 2017 में इस लोन को एनपीए (Non-performing Asset) में डाल दिया गया।
 

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वेणुगोपाल धूत से दीपक कोचर के थे बिजनेस रिलेशन
मीडिया रिपोर्ट्स के जरिए यह पता चला कि वीडियोकॉन समूह (Videocon Group) के चेयरमैन वेणुगोपाल धूत (Venugopal Dhoot) के चंदा कोचर के पति दीपक कोचर के साथ बिजनेस संबंध हैं। वीडियोकॉन ग्रुप की मदद से बनी एक कंपनी बाद में चंदा कोचर के पति दीपक कोचर की अगुआई वाली पिनैकल एनर्जी ट्रस्ट (Pinnacle Energy Trust) के नाम कर दी गई। यह आरोप लगाया गया कि धूत ने दीपक कोचर की सह-स्वामित्व वाली इसी कंपनी के जरिए लोन का एक बड़ा हिस्सा ट्रांसफर किया था। आरोप है कि 94.99 फ़ीसदी होल्डिंग वाले ये शेयर्स महज 9 लाख रुपए में ट्रांसफर कर दिए गए थे।

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78 करोड़ रुपए की संपत्ति हुई कुर्क
आईसीआईसीआई बैंक ने शुरुआत में चंदा कोचर के विरुद्ध लगाए गए इन आरोपों को गलत ठहराने की कोशिश की, लेकिन बाद में लगातार दबाव के चलते इस मामले की जांच के आदेश देने पड़े। आईसीआईसीआई बैंक ने स्वतंत्र जांच कराने का फैसला किया। बैंक ने 30 मई 2018 को घोषणा की थी कि बोर्ड आरोपों की विस्तृत जांच करेगा। फिर इस मामले की स्वतंत्र जांच की जिम्मेदारी सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज बीएन श्रीकृष्णा को दी गई। जनवरी 2019 में सुप्रीम कोर्ट की जांच पूरी हुई और चंदा कोचर को दोषी पाया गया। इस साल की शुरुआत में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने चंदा कोचर, दीपक कोचर और उनके स्वामित्व और नियंत्रण वाली कंपनियों से संबंधित 78 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क कर ली।

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