कभी 2 करोड़ शेयर के मालिक रहे 'YES Bank' के फाउंडर के पास आज बचे सिर्फ 900 शेयर, ऐसे हुई ये हालत
नई दिल्ली: साल 2004 की बात है, देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में एक निजी बैंक का नाम अचानक चर्चा के केंद्र में आ गया। दरअसल, इस निजी बैंक के नाम 'Yes'ने लोगों को आकर्षित किया। लेकिन देश के चर्चित निजी बैंकों में शुमार यस बैंक आज संकट के दौर से गुजर रहा है। हालात इतने खराब हैं कि उसको बचाने की महीनों से कोशिश की जा रही है। इसके अलाव बैंक के शेयर भी लगातार लुढ़कते जा रहे हैं, आज के वक्त यह 50 पर्सेंट नीचे ट्रेड कर रहा है।
Asianet News Hindi | Published : Mar 6, 2020 9:13 AM IST / Updated: Mar 06 2020, 08:12 PM IST
लेकिन सोचिए बैंकों की दुनिया में यह चमकता सितारा अर्श से फर्श तक कैसे पहुंच गया। इस कहानी की शुरुआत राणा कपूर के परिवार के सामंती माहौल और आपसी कलह से होती है। पहले समझते हैं यस बैंक कब और कैसे शुरू हुआ।
यस बैंक की शुरुआत राणा कपूर और उनके एक रिश्तेदार अशोक कपूर ने मिल के शुरू की थी। 26 नवंबर 2008 को मुंबई आतंकी हमले में अशोक कपूर की मौत हो गई। उसके बाद अशोक कपूर की पत्नी मधु कपूर और राणा कपूर के बीच बैंक के मालिकाना हक को लेकर लड़ाई शुरू हो गई थी।
भारत में इसके कितने ब्रांच: यस बैंक देश का चौथा सबसे बड़ा बैंक है और इसके कई सारे ब्रांच पूरे देश भर में फैले हैं। 30 जून 2019 तक आकड़ो के अनुसार , यस बैंक की भारत में 1,122 शाखाएं और 1,220 एटीएम हैं। इसके अलावा, देश में 30 से ज्यादा 'यस एसएमई ब्रांच' भी हैं, जो SMEs को स्पेशलाइज्ड सर्विसेज मुहैया करते हैं।
RBI ने क्या कहा: आरबीआई ने गुरुवार को यस बैंक के निदेशक मंडल को भंग करते हुए प्रशासक नियुक्त कर दिया। केंद्रीय बैंक ने 3 अप्रैल तक बैंक के ग्राहकों के लिए निकासी की सीमा 50,000 रुपये तय कर दी है। यदि किसी खाताधारक के इस बैंक में एक से ज्यादा खाते हैं तब भी वह कुल मिलाकर 50 हजार रुपये ही निकाल सकेगा। खबरों के अनुसार सरकार ने एसबीआई और एलआईसी दोनों से यस बैंक में सामूहिक रूप से 49 प्रतिशत शेयर हासिल करने को कहा है।
मेरे 'शेयर' हीरे हैं: एक समय राणा कपूर के पास बैंक दो करोड़ से ज्यादा शेयर थे जिनकी कीमत लगभग 630 करोड़ के आसपास थी। उन्होंने 2018 में उन्होंने अपने शेयर को हिरा बताया था और कहा था की मैं ये हीरे कभी नहीं बेचूंगा बल्कि इन शेयरों को मैं अपनी तीन बेटियों और उनके बच्चों को दूंगा। उन्होंने कहा था कि इसके लिए मैं अपनी वसीयत में भी लिखूंगा कि एक भी शेयर को बेचा न जाए, लेकिन अंत में उनके पास सिर्फ 900 शेयर रह गए थे, जिनकी कीमत महज अब 58 हजार रुपये रह गई थी।
यस बैंक के सह-संस्थापक और पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी राणा कपूर को पिछले साल रिजर्व बैंक की सख्ती के बाद अपना पद छोड़ना पड़ा। राणा कपूर वित्तीय अनियमितता को लेकर भी सवालों के घेरे में रहे।
यस बैंक को मुश्किलों से उभरने के लिए तत्काल करीब 15 हजार करोड़ रुपये की जरूरत है, इसके लिए बैंक ने कई निवेशकों से निवेश करने की अपील की लेकिन यस बैंक का खाता-बही देखने के बाद निवेश का फैसला टाल दिया गया। सूत्रों का कहना है कि खाता-बही में वित्तीय अनियमितता के कारण से कोई भी बैंक और निवेशक इस बैंक ने निवेश नहीं करना चाहता।
आगे क्या करेगा RBI: तमाम पाबंदियों के बीच अब आरबीआई यस बैंक के बहीखातों और प्रॉपर्टी का मूल्यांकन करेगा और इसके बाद तय करेगा कि आगे क्या किया जा सकता है। उम्मीद है कि 30 दिनों के भीतर यह तय कर लिया जाएगा कि देश के चौथे सबसे बड़े निजी बैंक का मर्जर होगा या टेकओवर।