हर बार फेल हो रहा है मुकेश अंबानी का ये 'प्लान', इसके लिए कह सकते हैं मोदी सरकार को थैंक्स

मुंबई: मुकेश अंबानी की कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज के ऊपर भारी भरकम कर्ज है। जिससे उभरने के लिए कंपनी ने काफी कदम उठाए हैं। इसके लिए खुद मुकेश अंबानी ने छह महीने पहले एक रोडमैप तैयार किया है जिसके तहत वो 2021 तक कंपनी को काफी हद तक कर्ज मुक्त करना चाहते है। लेकिन उनके इस प्लान को मोदी सरकार की ओर से लगातार झटके मिल रहें है। 

Asianet News Hindi | Published : Feb 24, 2020 6:38 AM IST / Updated: Feb 24 2020, 12:15 PM IST

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हर बार फेल हो रहा है मुकेश अंबानी का ये 'प्लान', इसके लिए कह सकते हैं मोदी सरकार को थैंक्स
आइए जानते हैं कैसे मोदी सरकार की ओर से रिलायंस ग्रुप के प्लान को लगातार चुनौतियां मिल रही हैं।
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ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी ने 12 अगस्त 2019 को बताया था कि रिफाइनिंग-पेट्रोकेमिकल्स बिजनेस की 20% हिस्सेदारी 15 अरब डॉलर (1 लाख करोड़ रुपए) में सऊदी अरामको को बेची जाएगी। रिलायंस ने 18 महीने में कर्ज मुक्त होने की योजना के तहत यह डील की है।
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लेकिन दिसंबर 2019 में सरकार की ओर के कोर्ट में दलील रखी गई कि रिलायंस इंडस्ट्रीज पर 2.88 लाख करोड़ रुपए का भारी भरकम कर्ज है। कर्ज चुकाने के लिए कंपनी संपत्तियों की बिक्री और ट्रांसफर जैसे रास्ते अपना रही है। यह प्रक्रिया आगे भी जारी रही तो सरकार को आर्बिट्रेशन अवॉर्ड चुकाने के लिए कुछ नहीं बचेगा। सरकार को रिलायंस की कारोबारी योजना की जानकारी नहीं है।
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सरकार 2010 से आर्बिट्रेशन अवॉर्ड के लिए लड़ रही है। सरकार के मुताबिक रिलायंस और ब्रिटिश गैस ने प्रोडक्शन शेयरिंग कॉन्ट्रैक्ट का उल्लंघन कर काफी रकम अपने पास रख ली। 2016 में ट्रिब्यूनल ने सरकार के पक्ष में फैसला दिया। सरकार ने दोनों पर 3.8 अरब डॉलर बकाया होने का आकलन किया था। ब्याज समेत यह रकम 4.5 अरब डॉलर हो चुकी है। रिलायंस और ब्रिटिश गैस से रकम नहीं मिलने की वजह से सरकार ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।
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सितंबर 2019 में इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने अंबानी फैमिली को टैक्स में कुछ गड़बड़ियों के लिए लिए नीता अंबानी और उनके बच्चों को नोटिस भेजी थी, हालांकि समूह ने टैक्स में किसी भी तरह की गड़बड़ी के बात से इनकार कर दिया था।
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इसके अलावा 1 फरवरी को अपने बजट स्पीच के दौरान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने PTA(purified terephthalic acid) नाम के एक केमिकल के आयत पर मिलने वाले सब्सिडी को हटा लिया था जिसके वजह से रिलायंस ग्रुप को काफी झटका लगा था। क्योंकि रिलायंस पुरे भारत पॉलिएस्टर यार्न (polyester yarn) का सबसे बड़ा उत्पादक जिसे बनाने में इस केमिकल का इस्तेमाल होता है।
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इसके अलावा सरकार ने डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स में बदलाव का भी प्रस्ताव किया है, यह एक ऐसा कदम जो रिलायंस इंडस्ट्रीज के लिए घातक साबित होगा। रिलायंस समूह ट्रस्ट अपने टेलीकॉम टॉवर और ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क में हिस्सा बेचकर बेचकर पैसे जुटाने और कर्ज चुकाने की कोशिश कर रहा था। लेकिन नियमों में बदलाव के कारण उन्हें ऐसा करने में दिक्कत होगी जिससे उनकी प्रक्रिया और धीमी होगी।
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