मुकेश अंबानी नहीं बनाने जा रहे कोई नई कंपनी, लेकिन उनके इस नए काम की जितनी तारीफ की जाए वो कम है

Published : Jan 30, 2020, 11:44 AM ISTUpdated : Jan 30, 2020, 12:23 PM IST

मुंबई: अपने नए-नए बिजनेस आईडिया से देश को हमेशा चौका देने वाले मुकेश अंबानी और उनके नेतृत्व वाली कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड एक बार फिर से इसकी तैयारी में है. दरअसल रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने सरकार को प्लास्टिक कचरे से रोड बनाने का प्रस्ताव दिया है. इससे पहले रिलायंस इंडस्ट्रीज इस तरह के एक पायलट प्रोजेक्ट पर काम कर रही है। इसके तहत कंपनी रायगढ़ के नागोथाने में 40 किलोमीटर लंबी सड़क तैयार कर रही है जिसमें कंपनी ने 50 टन प्लास्टिक कचरे का इस्तेमाल किया है।  

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मुकेश अंबानी नहीं बनाने जा रहे कोई नई कंपनी, लेकिन उनके इस नए काम की जितनी तारीफ की जाए वो कम है
इस तकनीक के जरिए प्लास्टिक के पैकेट, पॉलिथिन बैग, बोतल इत्यादि समेत तमाम तरह के प्लास्टिक कचरे के इस्तेमाल से रोड तैयार किए जा सकते हैं। रिलायंस के पेट्रोकेमिकल बिजनेस के सीओओ विपुल शाह ने बताया कि हमें इस तकनीक को तैयार करने में 14 से 18 महीने का वक्त लगा था।
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विपुल शाह ने कहा कि हम फिलहाल नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) से बातचीत कर रहे हैं। उन्होंने बताया की हमने इस मुद्दे पर NHAI से बात की है और उन्हें इस तकनीक के बारे में बताया है की कैसे इस तकनीक का इस्तेमाल करके प्लास्टिक कचरों से रोड बनाया जा सकता है। यही नहीं एनएचएआई के अलावा रिलायंस ने देश के तमाम राज्यों की सरकारों और स्थानीय निकायों से भी इस तकनीक के जरिए सड़कों के निर्माण को लेकर बात की है।
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रिलायंस के सीओओ विपुल शाह ने कहा कि इस तकनीक से कचरे का तो निपटान होता ही है बल्कि यह आर्थिक लिहाज से भी बेहतर है। इसकी मदद से कम लागत में सड़कों का निर्माण किया जा सकता है। विपुल शाह ने बताया की ये सड़क परंपरागत तकनीक से बनने वाली सड़क से कई गुना ज्यादा टिकाऊ और सस्ती होती है क्योंकि इन सड़को को हर साल मरम्मत की जरुरत नहीं पड़ती। उन्होंने बताया, ‘हमारे अनुभव के मुताबिक एक किलोमीटर सड़क के निर्माण के लिए 1 मीट्रिक टन प्लास्टिक का इस्तेमाल किया जा सकता है। यही नहीं इसके इस्तेमाल के जरिए 1 लाख रुपये प्रति किलोमीटर बचाए जा सकते हैं।’
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आपको बता दें कि भारत में इस तकनीक को सबसे पहले त्यागराज कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग में विकसित किया गया था। स तकनीक को विकसित करने वाले राजगोपालन वासुदेवन ने त्यागराज कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग के नाम इसका पेटेंट कराया था। इस तकनीक के जरिए एक बहुत ही बेहतर और टिकाऊ सड़क तैयार की जा सकती है।
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भारत में चेन्नई पहला शहर था जहां पर 2004 में नगरपालिका ने 1000 किमी प्लास्टिक से बनी सड़कों को चालू किया था। तब से भारत की सभी प्रमुख नगर पालिकाओं जैसे पुणे, मुंबई, सूरत, इंदौर, दिल्ली, लखनऊ आदि शहरों में इसका प्रयोग किया है। अब इस क्षेत्र में रिलायंस जैसी बड़ी कंपनियों का प्रस्ताव आना एक अच्छा संकेत है।

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