1 सितंबर से खत्म हो रही है EMI में छूट की सुविधा, जानें आगे क्या मिल पाएगी कुछ राहत

बिजनेस डेस्क। कोरोनावायरस महामारी और लॉकडाउन की वजह से लोगों को रिजर्व बैंक ने लोन मोरेटोरियम की व्यवस्था के तहत  EMI जमा करने के मामले में छूट दी गई थी। यह एक ऐसी व्यवस्था थी, जिसमें लोगों को अपने किस्त नहीं जमा करने की छूट मिली थी। लोन मोरेटोरियम की आखिरी तारीख 31 अगस्त तय की गई थी। अब 1 सितंबर से EMI जमा करने में छूट की यह व्यवस्था खत्म हो जाएगी और लोगों को इसे नियमित तौर पर जमा करना होगा। हालांकि, अभी भी अर्थव्यवस्था में मंदी छाई हुई है और लोगों की आमदनी घटती ही जा रही है। ऐसे में,  EMI की रकम जमा कर पाना आसान नहीं होगा। 
(फाइल फोटो)
 

Asianet News Hindi | Published : Aug 29, 2020 10:29 AM IST

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1 सितंबर से खत्म हो रही है EMI में छूट की सुविधा, जानें आगे क्या मिल पाएगी कुछ राहत

दो बार बढ़ाया गया समय 
लोन मोरेटोरियम की व्यवस्था के तहत  EMI माफ किए जाने की कोई बात नहीं थी, बल्कि कोरोना महामारी और लॉकडाउन से आमदनी कम हो जाने के कारण बैंक से कर्ज लेने वालों को राहत दी गई थी। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने यह व्यवस्था लागू की थी और लॉकडाउन जारी रहने के बाद इसे दो बार बढ़ाया भी था। पहली बार इस मार्च से मई और दूसरी बार अगस्त तक बढ़ाया गया।
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1 सितंबर से देनी होगी EMI
अब यह व्यवस्था समाप्त हो जाने के बाद बैंक कर्जदारों को 1 सितंबर से   EMI देनी होगी,  वहीं यह भी सवाल उठ रहे हैं कि क्या कुछ बैंक लोन मोरेटोरियम की व्यवस्था जारी रखेंगे। फिलहाल, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया अब यह छूट देने के पक्ष में नहीं है। अगर रिजर्व बैंक अपने फैसले पर कायम रहता है, तो कर्जदारों को हर हाल में EMI भरनी होगी।
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बैंक नहीं चाहते समय बढ़े
ऐसी भी खबरें आई थीं कि कुछ लोग जरूरत नहीं होने पर भी लोन मोरेटोरियम की सुविधा का लाभ लेकर EMI जमा करने से बच रहे हैं। कुछ बैंकों के प्रबंधन का यह मानना है कि अगर छूट जारी रही तो इसका क्रेडिट पर असर पड़ेगा और लोन डिफॉल्टर्स की संख्या बढ़ सकती है। वहीं, कुछ बैंकों ने सरकार से लोन मोरेटोरियम नहीं बढ़ाने की भी अपील की है। 

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मोरेटोरियम थी टेम्पररी व्यवस्था
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के गवर्नर शक्तिकांत दास ने हाल ही में एक इंटरव्यू में कहा था कि लॉकडाउन में जनता को राहत देने के लिए RBI ने कई कदम उठाए थे और लोन मोरेटोरियम भी उनमें एक था। उन्होंने कहा कि यह एक अस्थाई व्यवस्था थी। 
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रिस्ट्रक्चरिंग का मिल सकता है फायदा
एक तरफ जहां लोन मोरेटोरियम हट रहा है, वहीं RBI के गवर्नर शक्तिकांत दास ने मौद्रिक समीक्षा नीति की घोषणा करते हुए लोन रिस्ट्रक्चरिंग की सुविधा दिए जाने की घोषणा की थी। 
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क्या है यह सुविधा
लोन रिस्ट्रक्चरिंग की सुविधा के तहत बैंकों को लोन चुकाने की अवधि बढ़ाने या EMI कम कर के कर्जदारों को राहत देने का विकल्प दिया गया था। जानकारी के मुताबिक, जिन विकल्पों पर बैंक विचार कर रहे हैं, उनमें होम लोन की EMI को कुछ महीने के लिए बंद करने या दो साल तक मौजूदा EMI को कम करने के विकल्प का चुनाव किया जा सकता है। अगर ऐसा होता है, तो कर्जदारों को कुछ राहत मिल जएगी।
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क्या नीति अपना रहे हैं बैंक
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया समेत कुछ दूसरे बैंक भी होम लोन की रिस्ट्रक्चरिंग पर काम कर रहे हैं। बैंक नहीं चाहते हैं कि उनके डिफॉल्टर्स की संख्या बढ़े। इसलिए जिन लोगों की इनकम बिल्कुल बंद हो गई है, उन्हें कुछ महीने तक  EMI भरने से छूट दी जा सकती है। वहीं, जिन लोगों की सैलरी कम हो गई है, उनकी EMI घटाई जा सकती है। इससे वे कम वेतन में ही घटी EMI जमा कर सकेंगे। इसे लेकर पहले हर बैंक अपना प्रस्ताव बना कर बैंक के बोर्ड के सामने रखेगा और इसके बाद रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया से अनुमति ली जाएगी। 
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