रिजर्व बैंक के फैसलों का क्या होगा बैंक कस्टमर्स पर असर, जानें डिटेल्स

बिजनेस डेस्क। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने दिसंबर माह की मौद्रिक नीति समीक्षा (Monetary Policy Review) मीटिंग में रेपो रेट (Repo Rate) में कोई बदलाव नहीं किया है। यह फैसला बढ़ती खुदरा महंगाई और सुधार की तरफ चल रही अर्थव्यवस्था को ध्यान में रखकर लिया गया है। हालांकि, इस फैसले से बैंक ग्राहकों के लिए  कई चीजें पहले की तरह ही रह गईं हैं। बहरहाल, इस मीटिंग में डिजिटल पेमेंट (Digital Payment) को लेकर लिए गए फैसले से कस्टमर्स को फायदा होगा। जानें इस मीटिंग में लिए गए फैसलों का बैंकों के कस्टमर्स पर क्या असर होगा।
(फाइल फोटो)
 

Asianet News Hindi | Published : Dec 5, 2020 4:11 AM IST

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रिजर्व बैंक के फैसलों का क्या होगा बैंक कस्टमर्स पर असर, जानें डिटेल्स
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है। इससे रेपो रेट से लिंक्ड होम लोन रेट में भी कोई बदलाव नहीं हुआ। इससे जिस रेट पर कस्टमर्स ने होम लोन (Home Loan) लिया है, उनकी ईएमआई (EMI) भी पहले की तरह रहेगी। (फाइल फोटो)
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रेपो रेट में बदलाव नहीं होने के बावजूद अगर बैंक चाहें तो होम लोन की दरों में कटौती कर सकते हैं। यह बैंक पर निर्भर है कि वह अपनी ओर से रिस्क मार्जिन बढ़ाकर दरें कम कर दें। (फाइल फोटो)
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रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक में लिए गए फैसलों का एमसीएलआर (MCLR) लिंक्ड होम लोन रेट पर कोई असर नहीं होगा। एमसीएलआर यानी मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड बेस्ड लेंडिंग रेट्स को आम तौर पर बैंक हर 12 या 6 महीने पर बदलते हैं। (फाइल फोटो)
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एमसीएलआर (MCLR) से लिंक्ड होम लोन रेपो रेट लिंक्ड होम लोन से अलग होते हैं। इसलिए MCLR लिंक्ड होम लोन की ईएमआई तभी घटती है, जब बैंक अपनी पॉलिसी के मुताबिक रीसेट पीरियड में दरें घटाते हैं। रेपो रेट में कटौती या बढ़ोत्तरी से MCLR लिंक्ड लोन की रेट भी घट-बढ़ जाएगी, यह जरूरी नहीं है। (फाइल फोटो)
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कोरोनावायरस महामारी की वजह से रेपो रेट में अब तक हुई कटौती के चलते एफडी (FD) रेट भी कम हो गए हैं। बैंक अगर कम दरों पर ब्याज देते हैं तो बैलेंस बनाने के लिए एफडी पर रिटर्न भी कम कर देते हैं। एफडी पर कम ब्याज दर से ऐसे ग्राहकों को दिक्कत होगी, जो जोखिम उठाने में सक्षम नहीं हैं। इस श्रेणी में सीनियर सिटिजन आ जाते हैं। रिजर्व बैंक ने रेपो रेट में बदलाव नहीं किया है, तो इससे एफडी रेट में और कटौती होने की संभावना नहीं है, लेकिन इनमें बढ़ोत्तरी भी नहीं होगी। (फाइल फोटो
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लोग कॉन्टैक्टलेस कार्ड पेमेंट की मदद से ज्यादा अमाउंट का आसानी से ट्रांजैक्शन कर सकें, इसके लिए रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक में कॉन्टैक्टलेस कार्ड ट्रांजैक्शन की लिमिट को बढ़ाकर 5000 रुपए प्रति ट्रांजैक्शन करने का फैसला किया गया है। अभी यह लिमिट 2000 रुपए है। बढ़ाई गई लिमिट 1 जनवरी, 2021 से लागू होगी। (फाइल फोटो)
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