जानें सैलरी और सेविंग्स अकाउंट में क्या है फर्क; ब्याज दर, मिनिमम बैलेंस और जुर्माने के क्या हैं नियम

बिजनेस डेस्क। बैंकों में खोले जाने वाले अकाउंट कई तरह के होते हैं। आम तौर पर लोगों को इनके नियमों के बारे में ज्यादा पता नहीं होता। बैंकों में सबसे ज्यादा सेविंग्स अकाउंट (Savings Account) खोले जाते हैं। मिनिमम राशि का भुगतान कर और जरूरी डॉक्युमेंट्स जमा कर कोई भी यह अकाउंट खोल सकता है। दूसरा अकाउंट सैलरी अकाउंट होता (Salary Account) है। यह अकाउंट सेविंग्स अकाउंट से अलग होता है। इसके नियम भी सेविंग्स अकाउंट से कुछ अलग होते हैं। इनके बारे में जानना जरूरी है। 
(फाइल फोटो)
 

Asianet News Hindi | Published : Oct 11, 2020 5:39 AM IST / Updated: Oct 11 2020, 11:25 AM IST

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जानें सैलरी और सेविंग्स अकाउंट में क्या है फर्क; ब्याज दर, मिनिमम बैलेंस और जुर्माने के क्या हैं नियम

सैलरी अकाउंट (Salary Account)
सैलरी अकाउंट बैंक में खोला गया वह खाता है, जिसमें किसी की सैलरी आती है। बैंक ये खाते कंपनियों और कॉरपोरेशन के कहने पर खोलते हैं। कंपनी के हर कर्मचारी का अपना सैलरी अकाउंट होता है। इसका संचालन उसे खुद करना होता है।
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सैलरी का पेमेंट
जब कंपनी का अपने स्टाफ को सैलरी के पेमेंट करने का समय आता है, तो बैंक कंपनी के अकाउंट में से पैसे लेकर स्टाफ के अकाउंट में डाल देता है। सैलरी अकाउंट के नियम सेविंग्स अकाउंट से अलग होते हैं। 
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सैलरी अकाउंट में मिनिमम बैलेंस जरूरी नहीं
सैलरी अकाउंट  इम्प्लॉयर अपने स्टाफ को सैलरी देने के लिए खुलवाता है। वहीं, सेविंग्स अकाउंट पैसे की बचत करने और बैंक में रखने के लिए खोला जाता है। सैलरी अकाउंट में न्यूनतम बैलेंस रखने की जरूरत नहीं होती, जबकि सेविंग्स अकाउंट में एक निर्धारित न्यूनतम बैलेंस बनाए रखना जरूरी होता है।
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अकाउंट में सैलरी नहीं आने पर क्या होगा
अगर आपके सैलरी अकाउंट में 3 महीने के लिए सैलरी नहीं डाली गई है, वह फिर सैलरी अकाउंट नहीं रह जाएगा। ऐसा होने पर बैंक सैलरी अकाउंट को रेग्युलर सेविंग्स अकाउंट में बदल देगा, जिसमें न्यूनतम बैलेंस रखने की जरूरत पड़ती है।
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सेविंग्स अकाउंट को बदल सकते सैलरी अकाउंट में
अगर बैंक मंजूरी देता है, तो आप अपने सेविंग्स अकाउंट को सैलरी अकाउंट में बदल सकते हैं। ऐसा आप उस स्थिति में कर सकते हैं, जब नौकरी बदलते हैं। इसके लिए यह जरूरी है कि आपका नया इम्प्लॉयर भी उसी बैंक के में आपका सैलरी अकाउंट खोलना चाहता हो।
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समान है ब्याज दर
सैलरी और सेविंग्स अकाउंट पर मिलने वाली ब्याज दर समान होती है। आपके सैलरी अकाउंट में जमा राशि पर बैंक करीब 4 फीसदी की दर से ब्याज देता है। कॉरपोरेट सैलरी अकाउंट वही खोल सकता है, जो किसी कंपनी में काम करता हो। सैलरी अकाउंट इम्प्लॉयर खोलता है, जबकि सेविंग्स अकाउंट कोई भी खोल सकता है।
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कब जरूरी है मिनिमम बैलेंस रखना
अगर आपने नौकरी बदल ली है अपने सैलरी अकाउंट को बंद नहीं करवाया है, तो उसमें मिनिमम बैलेंस बनाए रखना होगा। ऐसा नहीं करने पर बैंक उस सेविंग्स अकाउंट पर मेंटेनेंस फीस या जुर्माना लगा सकता है। आम तौर पर प्राइवेट कंपनियां निजी बैंकों में सैलरी अकाउंट खुलवाती हैं। इन बैंकों में सेविंग्स अकाउंट में आम तौर पर मिनिमम बैलेस 10 हजार रुपए तक रखना होता है। 
(फाइल फोटो)

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