स्कूल में फेल होने वाली लड़की कैसे बनी IAS अफसर, मिटा दिया अपने माथे से 'बुद्धू' वाला कलंक
नई दिल्ली. क्लास में फेल हो जाने के बाद छात्र खुद को कमतर समझने लगते हैं। समाज और परिवार के लोग भी उन्हें नकारा समझ तानें देते हैं। अधिकतर युवा फेल होने के बाद पूरी तरह से निराश हो जाते हैं और जीने की ही उम्मीदें छोड़ देते हैं। मगर कुछ ऐसे भी युवा होते हैं जो हार में भी जीत तलाशते हैं और उसमें कामयाब भी होते हैं। पर क्या आपने सुना है कि किसी स्टूडेंट ने फेल होने के सबक को जुनून बना लिया और यूपीएससी क्लियर करने तक की ठान ली हो? तो हम आपको बता दें कि रूक्मणि रियार भी एक ऐसा ही नाम है। IAS सक्सेज स्टोरी में हम आपको सिविल अफसर रूक्मणि के संघर्ष की कहानी सुनाएंगे...
Asianet News Hindi | Published : Mar 29, 2020 5:35 AM IST / Updated: Mar 29 2020, 05:50 PM IST
रूक्मणि रिटायर्ड डिप्टी डिस्ट्रिक अटॉर्नी, होशियारपुर बलजिंदर सिंह के घर जन्मी हैं। घर में अनुसाशन का माहौल रहा है। उन्हें बहुत छोटी उम्र में ही बोर्डिंग स्कूल भेज दिया गया था। यहां रुक्मणि बोर्डिंग स्कूल का प्रेशर सहन नहीं कर पाई और छठी कक्षा में फेल हो गई। इसके बाद वह डिप्रेशन में आ गई। डिप्रेशन के चलते वह परिवार तथा टीचर्स के सामने नहीं जाती थी।
काफी दिनों तक इसी तरह दूसरों से अलग-थलग रहने के बाद उन्होंने वापिस मन बनाया कि वह एक बार फिर से कड़ी मेहनत करेंगी और अपनी हर असफलता का जम कर मुकाबला किया।
इसके बाद उन्होंने आगे पढाई के लिए टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज में एडमिशन लिया और वहां से मास्टर्स की डिग्री ली। इस दौरान उन्होंने कई NGO में भी काम का अनुभव लिया।
उन्होंने टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज से मास्टर्स डिग्री हासिल करने के बाद UPSC की तैयारी की और पहले ही चांस में यूपीएससी परीक्षा की टॉपर्स लिस्ट में दूसरा स्थान हासिल किया। सबसे बड़ी बात, उन्होंने ये कामयाबी कोई कोचिंग क्लास ज्वॉइन किए बिना हासिल की।
बिना किसी ट्यूशन और कोचिंग साल 2011 में रूक्मणि के टॉप करने पर हर कोई हैरान था। ये वही लड़की थी जो कभी फेल हो गई थी और आज IAS अफसर की कुर्सी पर बैठी। उनके हौसले और जज्बे को दुनिया ने सलाम किया। आज वो लाखों छात्रों की प्रेरणा हैं।