28 वर्षीय रेवन के पिता कारपेंटर थे। घर की आर्थिक हालात ठीक नहीं होने से उन्हें 12वीं के बाद पुणे में जाकर गार्ड की नौकरी करनी पड़ी। यह बात 2009 की है। लेकिन दिसंबर, 2019 में कंपनी बंद हो गई, तो गार्ड की नौकरी जाती रही। रेवन कुछ समय नौकरी ढूंढते रहे। जब नहीं मिली, तो स्नैक्स सेंटर पर काम करने लगे। हालांकि यहां पैसा कम मिलता था।