इसे कहते हैं खुद के पैरों पर खड़ा होना। यह कहानी है 12वीं तक पढ़े रेवन शिंदे की। महाराष्ट्र के सोलापुर के रहने वाले रेवन कभी सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी करते थे। उन्हें 12000 रुपए महीने मिलते थे। वे इतनी कमाई में खुश थे। लेकिन एक दिन यह नौकरी जाती रही। रेवन को लगा जैसे दुनिया की उजड़ गई। पहले तो कुछ समझ नहीं आया। फिर चाय की दुकान खोली। लेकिन लॉकडाउन में वो भी बंद करनी पड़ी। लेकिन आज वे चाय की दुकान और चाय की होम डिलेवरी से 2 लाख रुपए महीने कमा रहे हैं। यह सही है कि कोई काम आसान नहीं होता। रेवन को भी शुरुआत में दिक्कत हुई, लेकिन हौसले सारी परेशानियों से लड़ जाते हैं।