योगेश के परिजन चाहते थे कि वो एग्रीकल्चर डिपार्टमेंट में नौकरी का प्रयास करें। लेकिन उन्हें तो किसानी करना थी। लोगों ने समझाइश दी कि सीधे तौर पर किसानी करके जोखिम नहीं उठाना चाहिए। योगेश को मालूम था कि जीरे की फसल नगद बिकती है। वहीं, इसकी उपज भी बम्पर होती है। मार्केट में इसकी डिमांड भी रहती है। बस फिर क्या था, योगेश ने अपनी 2 एकड़ जमीन पर जीरे की जैविक खेती शुरू की।