राजनाथ सिंह की राजनीतिक कहानी: डिग्री कॉलेज के प्रोफेसर का बीजेपी में बढ़ता गया कद, ऐसा है पांच दशक का सफर

करियर डेस्क : देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) आज अपना 71वां जन्मदिन मना रहे हैं। 10 जुलाई 1951 को वाराणसी (Varanasi) के भाभोरा गांव (वर्तमान में चंदौली जिला) के एक साधारण किसान के घर में पैदा हुए राजनाथ राजनीति की उस ऊंचाई पर हैं, जहां पहुंचना सबके बस की बात नहीं। राजनाथ सिंह 13 साल की उम्र में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़े और बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष से लेकर केंद्र की राजनीति तक पहुंचे और आज सियासत में उनका कद काफी बड़ा है। उनके जन्मदिन पर जानिए मिर्जापुर के एक कॉलेज के प्रोफेसर से रक्षा मंत्री बनने तक की कहानी...

Asianet News Hindi | Published : Jul 10, 2022 6:02 AM IST / Updated: Jul 10 2022, 11:42 AM IST
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राजनाथ सिंह की राजनीतिक कहानी: डिग्री कॉलेज के प्रोफेसर का बीजेपी में बढ़ता गया कद, ऐसा है पांच दशक का सफर

फिजिक्स में मास्टर हैं राजनाथ सिंह
उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के चंदौली (Chandauli) जिले में आने वाले भभौरा गांव में 71 साल पहले राजनाथ सिंह का जन्म हुआ। उनके पिता का नाम राम बदन सिंह और माता गुजराती देवी थीं। रायकवार राजपूत फैमिली में जन्मे राजनाथ की शुरुआती पढ़ाई-लिखाई गांव के ही स्कूल से हुई। बाद में उन्होंने गोरखपुर यूनिवर्सिटी से फिजिक्स में मास्टर की डिग्री हासिल की। साल 1971 में मिर्जापुर के केबी डिग्री कॉलेज में प्रोफेसर नियुक्त हुए।

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राजनाथ सिंह की पर्सनल लाइफ
जिस साल राजनाथ सिंह प्रोफेसर बने, उसी साल 5 जून 1971 को उनकी शादी सावित्री सिंह के साथ हुई। राजनाथ सिंह के दो बेटे और एक बेटी हैं। बड़े बेटे पंकज सिंह नोएडा से विधायक हैं। छोटे बेटे का नाम नीरज सिंह और बेटी अनामिका सिंह हैं।

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13 साल की उम्र में संघ से जुड़े
राजनाथ सिंह सिर्फ 13 साल की उम्र में ही संघ से जुड़ गए थे। 1969-71 के बीच उन्हें गोरखपुर में ABVP केसंगठनात्मक सचिव बनाए गए। साल 1972 में उन्हें मिर्जापुर शाखा कार्यवाह बनाया गया। 1974 में भारतीय जनसंघ की मिर्जापुर इकाई में ही सचिव बन राजनीति में एंट्री ली। एक साल बाद ही जनसंघ के जिलाध्यक्ष के रूप में नियुक्त हुए।

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26 साल की उम्र में पहली बार विधायक बने
जब राजनाथ सिंह जनसंघ की मिर्जापुर इकाई का जिलाध्यक्ष नियुक्त किए गए तब उनकी उम्र महज 24 साल ही थी। यह वही दौर था जब देश में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की सरकार की नीतियों का विरोध हो रहा था और जेपी आंदोलन की चर्चा थी। इसी दौरान राजनाथ जयप्रकाश नारायण के विचारों से प्रभावित होकर इस मूवमेंट से जुड़ गए। जब देश में आपातकाल लगा तो उन्हें अरेस्ट कर लिया गया। दो साल तक वे जेल में ही रहे और जब बाहर निकले तो 26 साल की उम्र में 1977 में विधायक चुने गए।
 

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बीजेपी में सक्रियता बढ़ी तो कद भी बढ़ने लगा
1980 के दशक की बाद है, तब राजनाथ सिंह ने भारतीय जनता पार्टी (BJP) को जॉइन किया। 1984 में  उन्हें युवा विंग के प्रदेश अध्यक्ष बने और 1988 में इसी विंग के राष्ट्रीय अध्यक्ष। इसी उन्हें यूपी विधान परिषद के लिए चुना गया और साल 1991 में यूपी की कल्याण सिंह सरकार में शिक्षामंत्री बनाए गए।

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यूपी की नकल वाली परीक्षा की तस्वीर बदली 
जब राजनाथ सिंह शिक्षा मंत्री बनाए गए तो उन्होंने यूपी के शिक्षा की तस्वीर बदल दी। तब नकल के लिए बदनाम परीक्षा में वे नकलची छात्रों को क्लास में ही गिरफ्तार करवा देते थे। इस पद पर वे दो साल तक रहे और 1992 का एंटी-कॉपिंग एक्ट पेश किया, जिससे नकर करना गैर-जमानती अपराध हो गया। हालांकि बाद में जब मुलायम सिंह यादव की सरकार बनी तो इस अधिनियम को रद्द कर दिया गया। शिक्षामंत्री रहते हुए राजनाथ सिंह ने स्कूलों में वैदिक गणित को पाठ्यक्रम का हिस्सा भी बनाया।

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प्रदेश अध्यक्ष से केंद्रीय कैबिनेट तक का सफर
साल 1994 में राजनाथ सिंह राज्यसभा के लिए चुने गए। उन्हें सलाहकार समिति, हाउस कमेटी और मानव संसाधन विकास समिति में शामिल किया गया। 1997 में यूपी में बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष बने और 1999 में केंद्र में अटल बिहारी की सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाए गए। उन्हें केंद्रीय भूतल परिवहन मंत्री बनाया गया और उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee) की ड्रीम परियोजना NHDP की शुरुआत की।

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यूपी के मुख्यमंत्री बनाए गए राजनाथ सिंह
फिर साल 2000 में राजनाथ सिंह को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बनाया गया। अपने कार्यकाल में उन्होंने सरकारी नौकरियों में आरक्षण संरचना को युक्तिसंगत बनाने पर फोकस किया। उन्होंने राज्य के लॉ एंड ऑर्डर को सुधारने पर जार दिया। दो साल बाद 2002 में उन्हें  मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा और राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा। इसके बाद 2003 में उन्हें वाजपेयी सरकार में केंद्रीय कृषि और खाद्य प्रसंस्करण मंत्री बनाया गया। 

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भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाए गए
साल 2005 में राजनाथ सिंह का कद उस वक्त काफी बढ़ गया, जब उन्हें भाजपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया। इस दौरान उन्होंने हिंदुत्व की विचारधाराओं पर पार्टी को मजबूत करने के लिए काम किया। अपने कार्यकाल में ही जिन्ना की तारीफ और नेहरू का अपमान करने पर उन्होंने जसवंत सिंह को पार्टी से निलंबित कर दिया। 2009 के आम चुनाव में एनडीए की हार हुई तो उन्होंने पद से इस्तीफा दे दिया और गाजियाबाद से सांसद चुने गए।
 

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मोदी को पीएम के तौर पर प्रोजेक्ट किया
24 जनवरी, 2013 की बात है, भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरे जब नितिन गडकरी ने इस्तीफा दिया तो राजनाथ सिंह के हाथ फिर से बीजेपी की कमान आ गई। उन्हें राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया। साल 2014 के आम चुनावों में राजनाथ ने जमकर पार्टी का प्रचार प्रचार किया और पार्टी के अंदरखाने भारी विरोध के बावजूद उन्होंने नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) का नाम बतौर पीएम प्रोजेक्ट किया और फिर मोदी के नेतृत्व में एनडीए की केंद्र में सरकार बनी और बीजेपी को खुद के बलबूते ही पूर्ण बहुमत मिला।
 

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केंद्रीय गृहमंत्री और रक्षा मंत्री बने
भाजपा की प्रचंड जीत हुई, नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री बने तो राजनाथ सिंह को सरकार में दूसरा नंबर मिला यानी उन्हें केंद्रीय गृहमंत्री बनाया गया। इसके बाद उन्होंने राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया। उसके पांच साल बाद जब केंद्र में एनडीए दोबारा सत्ता में आई तो 31 मई 2019 को राजनाथ सिंह को केंद्रीय रक्षा मंत्री के रूप में नियुक्त किया गया। राजनाथ सिंह कई बार बीजेपी के संकटमोचक बने और सरकार बनाने में मदद की। 

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