लखनऊ(Uttar Pradesh ). कहते हैं कि अगर इंसान के अंदर कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो वह कोई भी मुकाम हासिल कर सकता है। मंजिल कितनी भी मुश्किल हो उसे मेहनतकश इंसान जरूर पाता है। आज हम आपको दोनों आंखों के नेत्रहीन दिव्यांग 2018 बैच के IAS सतेंद्र सिंह की कहानी बताने जा रहे हैं। उन्होंने कभी परिस्थितियों से समझौता नहीं किया और आज एक मुकाम हासिल किया। यूपी के एक छोटे से गांव में जन्मे सतेंद्र की आंखों की रोशनी बचपन में ही चली गई तो किसी ने सोचा भी नहीं होगा कि ये लड़का आगे चल कर किस मुकाम तक जाने वाला है। लेकिन कुछ ऐसा हुआ कि इस नेत्रहीन लड़के ने इतिहास रच दिया।