स्टेशन पर पढ़ाई कर लकड़ी काटने वाला मजदूर बना IAS अफसर, मां ने बांस की टोकरियां बेच चलाया घर

चेन्नई. हिंदुस्तान में आज भी बहुत से लोग गरीबी में जीते हैं लेकिन उनके इरादें और सपने बहुत बड़े होते हैं। ऐसे ही न जाने कितने गरीब बच्चे बड़े-बड़े सपने तो देखते हैं लेकिन उनको पूरा करने के लिए उन्हें आग के शोलों पर से गुजरना पड़ता है। ऐसे ही एक स्टूडेंट के घर की हालत इतनी खराब थी कि शराबी पिता ने सब कुछ बेच डाला था। गांव में हर जगह थू-थू होती रहती थी लेकिन बेटे ने अफसर बन घर-परिवार की काया ही पलट दी। ये कहानी ऐसी है कि देश के हर स्टूडेंट को जाननी चाहिए। इस कहानी में कुछ कर गुजर जाने का जज्बा और जुनून है। 

Asianet News Hindi | Published : Jan 12, 2020 7:11 AM IST / Updated: Jan 12 2020, 12:42 PM IST
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स्टेशन पर पढ़ाई कर लकड़ी काटने वाला मजदूर बना IAS अफसर, मां ने बांस की टोकरियां बेच चलाया घर
जानिए कैसे गरीबी, सुविधाओं की कमी होते हुए भी स्टेशन पर पढ़कर इस शख्स ने देश का अफसर बनकर दिखाया है। (फाइल फोटो)
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तमिलनाडु के तंजावुर जिले के रहने वाले एम शिवागुरू प्रभाकरन के परिवार की हालत अच्छी नहीं थी। उनके पिता शराबी थे और मां और बहन बांस की टोकरी बुनती। इन टोकरियों को बेचकर ही मां घर का खर्च चलाती थीं।
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बेटा पढ़ाई में बहुत अच्छा था लेकिन शराबी पिता की वजह से घर की जिम्मेदारी उस पर आ गई। घर की जिम्मेदारियों के चलते प्रभाकरन ने 12वीं के बाद पढ़ाई छोड़ दी थी। पर वो बचपन से ही इंजीनियर बनना चाहते थे जिसकी कसक उन्हें लकड़ी काटते वक्त कचोटती रही।
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पढ़ाई छोड़ने के बाद प्रभाकरन ने 2 साल तक आरा मशीन में लकड़ी काटने का काम किया। प्रभाकरन ने मजदूरी भी की। वह मजदूरी करते और फिर स्टेशन पर जाकर पढ़ाई करते।
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घर की आर्थिक स्थिती इतनी खराब थी कि मां को बांस की टोकरियां बुन दरदर जाकर बेचना पड़ता था। बेटे के दिल में सरकारी अफसर बनने की आग थी लेकिन हाय री गरीबी। उसे पढ़ाई नहीं मजदूरी करनी पड़ रही थी।
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प्रभाकरन ने भले ही पढ़ाई छोड़ दी थी लेकिन उन्होंने अपने सपने को मरने नहीं दिया। प्रभाकरन इंजीनियरिंग करना चाहते थे, कॉलेज जाना चाहते थे पर उन्होंने पैसे खर्च करने की बजय स्टेशन पर पढ़ने की ठान ली।
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प्रभाकरन दिन में पढ़ाई करते और रात में सेंट थॉमस रेलवे स्टेशन पर बिताया करते थे। ऐसे में उनके दोस्त ने उन्हें सेंट थॉमस माउंट के बारे में बताया जो कि पिछड़े लोगों के लिए ट्रैनिंग की सुविधा देते थे। इससे प्रभाकरन की जिंदगी संवर गई।
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दिन रात की कड़ी मेहनत के बाद उन्हें आईआईटी में दाखिला मिल गया। आईआईटी की पढ़ाई पूरी करने के बाद प्रभाकरन ने एमटेक में एडमिशन लिया। यहां भी उन्होंने टॉप रैंक हासिल की।
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साल 2017 में एम शिवागुरू प्रभाकरन ने यूपीएससी की परीक्षा में 101वीं रैंक हासिल की थी। प्रभाकरन ने ये स्थान 990 कैंडिडेट्स के बीच प्राप्त किया था। सिविल सर्विस की परीक्षा को पास करना प्रभाकरन के लिए किसी सपने से कम नहीं था। उन्होंने ये रैंक चौथी बार में हासिल की थी। इससे पहले उन्हें तीन बार असफलता हासिल हुई थी।
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प्रभाकर के अफसर बनने के बाद गांव में खुशी और हैरानी की लहर दौड़ गई। एक लकड़ी काटने वाला मजदूर अब सरकारी अफसर बन चुका था। प्रभाकरन ने छोटे भाई की पढ़ाई करवाई और फिर बहन की शादी भी की। उनके संघर्ष और सफलता की कहानी किसी भी आईएएस छात्र के लिए मिसाल है। (सभी तस्वीरें प्रभाकरन के फेसबुक से ली गई हैं।)
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