निधि के डेडिकेशन का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि नौकरी छोड़कर यूपीएससी की तैयारी के मकसद से जब निधि ने घर में कदम रखा तो पहली बार 6 महीने के बाद उन्होंने अपने घर का मेन गेट देखा प्री परीक्षा देने के लिए। निधि एक साक्षात्कार में कहती हैं कि ऐसा नहीं है कि घर में पढ़ाई करने के दौरान डिस्ट्रैक्शंस नहीं होते, लेकिन किसी भी प्रकार के डिस्ट्रैक्शन से खुद को बचाना पड़ता है।
निधि की तैयारी के साथ गौर करने वाली एक और बात यह है कि वे यूपीएससी की तैयारी से जुड़े सारे मिथ तोड़ती हैं। न उन्होंने कभी कोचिंग ली, न किसी ग्रुप से जुड़ी जो परीक्षा की तैयारी करवा रहे हों या कर रहे हों और न ही कभी कोई उनके परिवार से यूपीएससी तो छोड़ो सरकारी नौकरी में भी सेलेक्ट हुआ हो जहां से उन्हें गाइडेंस मिल सके। इस प्रकार एक कैंडिडेट को जहां-जहां से मदद मिल सकती थी, वे सब रास्ते निधि के लिए बंद थे फिर भी उन्होंने न केवल यूपीएससी में सफलता पायी बल्कि अच्छी रैंक भी प्राप्त की।