इंग्लिश के डर ने बिगाड़ी बात –
अभिषेक को हमेशा अपनी इंग्लिश अच्छी न होने को लेकर हीन भावना रहती थी। जहां बाकी कैंडिडेट्स फर्राटे से अपनी बात कहते थे वहीं अभिषेक को डर लगता था कहीं कुछ गलत न बोल जाएं। उन्होंने एक बार मन बनाया कि हिंदी में इंटरव्यू दे दें पर एग्जाम के जबरदस्त प्रेशर के बीच वे तय नहीं कर पाए और उनका इंटरव्यू अच्छा नहीं गया।
अभिषेक एक इंटरव्यू में बताते हैं कि शुरू के अटेम्पट में ऐसा लगता था कि केवल वे नहीं उनका परिवार और पूरा गांव ही परीक्षा दे रहा है, क्योंकि सबकी अपेक्षाओं का भार उनके कंधों पर था। ऐसे में अभिषेक बहुत डरे घबराये से रहते थे कि चयन नहीं हुआ तो कितनी बेइज्जती होगी। वे अपने पहले प्रयास में असफल होने का कारण भी इसी डर को मानते हैं जो उन पर भयंकर तरीके से हावी था।